तनाव हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है, जिसके लिए हमारी जीवनशैली ही दोषी है। आज के समय में काम, निजी और सामाजिक जीवन को महत्व देते देते, हमारा मी टाइम पीछे छूट गया है। भाग दौड़ के इस जीवन में खुद के लिए शायद ही हम समय निकाल पाते हों। ऐसे में तनाव होना लाजमी है।
लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आप इसे हल्के में लें। तनाव बहुत गम्भीर समस्या है और इसे नजरअंदाज करना अपनी सेहत से खिलवाड़ करना हुआ।
जिस तरह तनाव बढ़ रहा है, उससे बचने के नए नए तरीके भी हमारे सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक तरीका है अरोमा थेरेपी।
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सुगंधित मोमबत्तियां तो आप सबने देखी होंगी, चाहें बाजार में चाहें ऑनलाइन। लेकिन अगर आपको लगता है कि मोमबत्ती का खुशबूदार होना आपकी सेहत पर कोई असर नहीं डालता तो यहां आप गलत हैं। खुशबूदार मोमबत्तियां अरोमाथेरेपी का ही हिस्सा हैं।
अरोमाथेरेपी का अर्थ है खुशबू की मदद से दिमाग को रिलैक्स करना और चिंता और तनाव को खत्म करना। इसे ही अरोमाथेरेपी कहते हैं। जर्नल ‘साइंटिया फार्मासिटिका’ में प्रकाशित 2016 की स्टडी के अनुसार खुशबू मनुष्य के दिमाग पर साइकोफिजियोलॉजिकल प्रभाव डालती है। बहुत सी स्टडीज में सामने आया है कि खुशबू दिमाग के कॉग्निटिव प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
प्रकृति से आने वाली खुशबू आपके दिमाग पर एक राहत का प्रभाव डालती हैं। केमिकल से बनी खुशबू यह काम नहीं कर सकती हैं। चाहे मोमबत्तियां हों, अगरबत्ती हो या कोई अन्य माध्यम- खुशबू का स्रोत फूलों के एसेंशियल ऑयल होते हैं। इन ऑयल में नाक के रिसेप्टर को संवेदनशील बनाने वाला कम्पाउंड होता है।
जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लिमेंटरी मेडिसिन में प्रकाशित रिव्यू के अनुसार अरोमाथेरेपी की मदद से डिप्रेशन के लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि डिप्रेशन पर अरोमाथेरेपी का क्या प्रभाव है, इस पर अधिक रिसर्च की आवश्यकता है।
बाजार में अरोमाथेरेपी के लिए बहुत से प्रोडक्ट मौजूद हैं, लेकिन सेंटेड कैंडल यानी सुगंधित मोमबत्ती सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। यह आपके तनाव कम करने में बहुत सहायक है।
अगर मोमबत्ती लेने जा रहे हैं तो चमेली, चंदन, क्लेरी सेज, बेसिल, गुलाब, लैवेंडर, कैमोमाइल और बर्गमोट एसेंस की मोमबत्ती लें। ये खुशबू स्ट्रेस पर सबसे अधिक प्रभाव डालती हैं।
तो अगली बार जब आप तनाव में हों, परेशान हों इन मोमबत्तियों को जलाएं। रूम में लाइट को हल्का करें, अपना पसंदीदा संगीत बजाएं और खुशबू का आनंद लें। आप अपने लिए कॉफी या चाय भी बना सकती हैं। वैसे तो सिर्फ गुनगुना पानी भी काफी है। अरोमाथेरेपी की मदद से आप खुद को रिलैक्स कर सकती हैं।
हफ्ते में एक बार अपने लिए समय निकालकर अरोमाथेरेपी का सहारा लें।