गर्मी के कारण शरीर को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। सूर्य की तेज रोशनी (Scorching heat) त्वचा को जला सकती है और टैन भी कर सकती है। नमी के कारण पसीना आ सकता है, जिससे स्किन पर मैल, गंदगी जमा हो जाती है। इससे स्किन इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। इसके कारण स्किन पर खुजली भी होने लगती है। छतरी से धूप से बचाव किया जा सकता है। लेकिन खुजली की समस्या गर्मी के मौसम में आम है। स्किन इचिंग होने पर आयुर्वेद कई तरह के उपचार (skin itching home remedies) बताता है। इसके लिए हमने बात की आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट से।
डॉ. नीतू भट्ट कहती हैं, ‘गर्मी का मौसम शरीर में भी गर्मी बढ़ा देता है। यह त्वचा की समस्याओं का भी कारण बनता है। इसलिए बाहर की गर्मी को मात देने की जरूरत पड़ती है। शरीर को अंदर की गर्मी से भी ठंडा रखने का तरीका खोजना होगा। गर्मी में सनबर्न, लालिमा, जलन, चकत्ते और मुंहासे की समस्या हो सकती है।’
आयुर्वेद के अनुसार हमारी त्वचा पर वात, पित्त और कफ दोष का बहुत असर पड़ता है। इसी के अनुसार किसी खास किस्म की त्वचा को किसी खास मौसम में ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वात त्वचा सूखी, पतली, नाजुक होती है, जो छूने में ठंडी होती है। यह आसानी से निर्जलित यानी डिहाइड्रेट हो सकती है।
पित्त दोष वाली त्वचा संवेदनशील, मुलायम और गर्म होती है। इस पर झाईयों, मस्सों, चकत्ते, मुंहासे या सनस्पॉट का अधिक प्रभाव पड़ता है। कफ त्वचा तैलीय, मोटी, पीली, मुलायम, ठंडी और सूर्य के प्रति अधिक सहनशील हो सकती है। इसमें मुहांसे और वाॅटर रिटेंशन की अधिक प्रवृत्ति हो सकती है।
गर्मी में धूप से बचाव करना सबसे अधिक जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, सूर्य की गर्म किरणों के संपर्क में आने से पित्त दोष होता है। लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी वात में वृद्धि होती है, जिससे त्वचा रूखी हो जाती है। इससे बचने के लिए अच्छी क्वालिटी का एलोवेरा सनस्क्रीन दिन भर लगायें।
गर्मी में पूरे दिन 8 गिलास पानी के साथ हाइड्रेटेड रहें। अदरक और नींबू से बनी हर्बल चाय जैसे तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा सकती हैं। यह पाचन को स्वस्थ और त्वचा को चमकदार बनाए रखते हैं। एवोकाडो, हिबिस्कस, रोजमेरी, मोरिंजा टी का भी लाभ ले सकती हैं।
रूखी त्वचा के लिए तेल मालिश सबसे अच्छा उपाय है। हफ्ते में 2-3 बार रात में एप्रिकोट, बादाम आदि के तेल लगाने से खुजली की समस्या खत्म हो जाती है। तेल मालिश करने से रक्त परिसंचरण, लिम्फोयड निकासी में सुधार होता है। इससे बैक्टीरिया डेवलप नहीं होते और खुजली भी नहीं होती है।
नीम त्वचा की सूजन और खुजली के इलाज में प्रभावी है। यह खराब कफ और पित्त को संतुलित करता है। यह घमौरियों जैसे त्वचा के संक्रमण के इलाज में सहायक है। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और नल के पानी से धो लें। इस पेस्ट को एक सप्ताह तक रोजाना लगाएं।
5. चंदन और गुलाब जल (Sandal and Rose water benefits)
एंटीसेप्टिक, बिटर और एंटी इन्फ्लेमेट्री होते हैं चंदन और गुलाब जल। चंदन और गुलाब जल से बना पेस्ट घमौरियों के लिए बढिया घरेलू उपचारों में से एक है। यह स्किन की जलन को शांत करने में मदद करता है। चंदन में ताज़ा गंध भी होती है, जो पसीने के कारण होने वाली दुर्गंध की समस्या से निपटती है।
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