जीभ, एनस और कान में भी हो सकता है स्किन कैंसर, जानिए क्याें भारत में भी बढ़ता जा रहा है इसका जोखिम

ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्किन कैंसर केवल चेहरे, हाथ और पैर की त्वचा को ही प्रभावित करता है। जबकि यह आपके मुंह सहित कई अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
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यहां जानिए स्किन कैंसर के बारे में सब कुछ। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 17 Apr 2023, 19:00 pm IST
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जानकारी के आभाव और पहले से चली आ रही भ्रामक अवधारणाओं के कारण बहुत से लोग स्किन कैंसर की दस्तक (Skin cancer symptoms) को समय रहते समझ नहीं पाते। जिसके चलते उनकी स्थिति गंभीर होती चली जाती है और जान का जोखिम भी बढ़ जाता है। अब भी ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि त्वचा का कैंसर सिर्फ बाहरी त्वचा पर ही विकसित हो सकता है। जबकि हाल ही में हुए शोध इसके और व्यापक होने की सूचना दे रहे हैं।

वास्तव में स्किन कैंसर त्वचा के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। जिसके बारे में हम सभी को उचित जानकारी होनी चाहिए। ताकि कैंसर की शुरूआती लक्षणों को पहचान कर उनका उपचार शुरू कर सकें। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार स्किन कैंसर (Skin cancer) का सबसे बड़ा कारण सूरज की हानिकारक किरणें हैं। इसके अलावा हार्मफुल केमिकल्स भी आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं।

यहां भी बढ़ते जा रहे हैं स्किन कैंसर के मामले

भारत में स्किन कैंसर के आकड़ें बहुत कम हैं। 1 प्रतिशत से भी कम लोग स्किन कैंसर का शिकार होते हैं। परन्तु चिंताजनक बात यह है, की धीमे-धीमे भारत में भी स्किन कैंसर (Skin cancer) के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण इसका पता काफी देर से चलता है।

स्किन कैंसर का मृत्यु दर भी काफी कम है। परंतु डायग्नोसिस होने के बाद भी पूरी जिंदगी स्किन कैंसर का खतरा बना रहता है। इसलिए आज हेल्थ शॉट्स आपके लिए कुछ जरुरी जानकारी लाया है। जानेंगे स्किन कैंसर (Skin cancer) शरीर के किन-किन अंगों में हो सकता है, ताकि लक्षण नजर आने पर बिना देर किये डॉक्टर से मिल सके और इसका इलाज करवा सकें।

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स्किन कैंसर से मुकाबला करना मुश्किल। चित्र: शटरस्टॉक

शरीर के इन हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है स्किन कैंसर

1. एनस

एनस यानी नितंब आमतौर पर सूर्य के संपर्क में नहीं आते। इसके बावजूद एनस में स्किन कैंसर का खतरा हो सकता है। बेसल सेल और मेलेनोमा कैंसर दोनों का खतरा बना रहता है। एनोरेक्टल म्यूकोसल मेलेनोमा कैंसर का एक खतरनाक और दुर्लभ रूप है, जो आमतौर पर एनस के अंदर होता है। हालांकि, यह बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है, परन्तु इसका इलाज काफी दर्दनाक और कठिन होता है।

अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार इससे पीड़ित व्यक्तियों में से केवल 14 प्रतिशत व्यक्ति इलाज के बाद भी केवल पांच साल तक ही जीवित रहते हैं। इसका कारण सूरज की हानिकारक किरणें नहीं, बल्कि धूम्रपान की अधिकता हो सकती है।

यह कैंसर शुरुआत में पीले निशान के रूप में प्रकट होता है। कभी-कभी खुले घाव जैसा भी नजर आता है। एक समय के बाद यह ठीक होता है और कुछ दिनों में वापस आ जाता है।

2. कान

सभी प्रकार के स्किन कैंसर कान में हो सकते हैं। कान के कैंसर के लगभग सभी मामले पहले स्किन कैंसर के रूप में शुरू होते हैं। इसका इलाज आसान नहीं है। यूएस में हर साल केवल 300 मरीज ही डायगनोसिस हो पाते हैं। इस प्रकार के कैंसर की स्थिति में कान की त्वचा पर छोटे सफेद धक्के, लाल धब्बे, पपड़ीदार त्वचा, काले या भूरे रंग के घाव नजर आते हैं। कुछ लोग शुरुआत में सूजन और दर्द का अनुभव करते हैं। जिसके कुछ दिनों बाद ही फ्लूइड आना शुरू हो जाता है।

लंबे समय तक सूरज की किरणों के संपर्क में रहने से कान के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर हम सभी सनस्क्रीन लगाते वक़्त कान को भूल जाते हैं, जो बिलकुल भी उचित नहीं है।

3. अंगूठे के नाख़ून के अंदर

मेलेनोमा का एक दुर्लभ और खतरनाक कैंसर है। यह कैंसर अंगूठे के नाखूनों के अंदर विकसित होता है। यदि यह अधिक फ़ैल जाए तो काफी घातक हो सकता है। अभी इसके विकसित होने के कारण को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया गया है। आमतौर पर यह नाखून के नीचे काले या भूरे रंग के मलिनकिरण के रूप में दिखाई देता है।

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यदि आपके अंगूठे में लंबे समय से सूजन है या आप अपने अंगूठे के अंदर की त्वचा के रंगत में बालव देख रही हैं तो फ़ौरन डॉक्टर से मिलें। आपकी देरी आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है।

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आपके पैरों के नाखूनों को भी चाहिए एक्स्ट्रा केयर। चित्र शटरस्टॉक।

4. आंख

आंखों के कैंसर के आकड़ें जितने कम हैं, उतना ही यह खतरनाक होता है। हर वर्ष अमेरिका में लगभग 3,500 आंख के कैंसर के मामलों को डायगनोसिस किया जाता है, जिनमें से लगभग सभी मामले यूवील मेलानोमा के होते हैं। यह कैंसर तब फैलना शुरू होता है जब कोशिकाएं रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाती हैं और ब्लड फ्लो के माध्यम से शरीर के एक नए हिस्से में खुद को एम्बेड करती हैं। यदि समय रहते इसका उचित इलाज न करवाया जाए तो यह आखों की रौशनी छीन सकता है।

5. स्कैल्प

स्कैल्प कैंसर स्किन कैंसर का हिस्सा है। अक्सर स्कैल्प से जुडी समस्यायों पर हमारा ध्यान नहीं जाता क्युकी यह बालों से ढका हुआ होता है। स्किन कैंसर के तीनो प्रकार स्कैल्प को अपना शिकार बना सकते हैं। लंबे समय तक सूरज के हानिकारक किरणों में रहने के कारण स्कैल्प कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। स्कैल्प कैंसर के शुरूआती लक्षण में आपको दर्द, मोल, अल्सर और अन्य प्रकार की असामान्य स्थिति देखने को मिल सकती है।

यदि यह कैंसर समय रहते डिटेक्ट हो जाए तो इसे फैलने से रूका जा सकता है। यदि एक बार यह फैल जाए और शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच जाए तो इसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है।

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6. जीभ के निचले हिस्से में

मुंह के तल का कैंसर या जीभ ने निचले हिस्से में बनने वाला कैंसर कई लोगों को अपना शिकार बना चूका है। प्रत्येक 60 पुरुषों में से लगभग एक और प्रत्येक 141 महिलाओं में से एक महिला अपने पूरे जीवन में एक बार मुंह के कैंसर का सामना जरूर करती हैं। मुंह के तल पर बनने वाले कैंसर स्किन कैंसर के रूप में जानें जाते हैं।

यह आमतौर पर तंबाकू चबाने और अधिक शराब पिने वाले व्यक्तियों को अपना शिकार बनता है। यदि आपको जीभ के निचे बार बार घाव बन रहा है तो आपको बिना देर किये डॉक्टर से मिलना चाहिए।

मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से इसे आसानी से हटाया जा सकता है। वहीं यदि समय रहते इसका पता लगा लिया जाए तो इसे आसानी से हराया जा सकता है।

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जीभ साफ़ करने के साथ धूम्रपान से परहेज रखें. चित्र : शटरस्टॉक

बचाव के उपाय

आमतौर पर स्किन कैंसर का कारण सूरज की हानिकारक किरणें होती हैं। परन्तु अंगूठे के नाख़ून के अंदर और कान में कैंसर होने का कारण युवी रेज के साथ ही गंदगी भी हो सकती है। जीभ के निचले हिस्से और एनस की त्वचा पर कैंसर बनने का कारण धूम्रपान है।

कभी भी धुप में या दिन के समय घर से बाहर निकलें तो सनस्क्रीन अप्लाई करना न भूलें और कोशिश करें की शरीर ढका रहे। साथ ही धूम्रपान से पूरी तरह से दुरी बनाये रखें इसके साथ ही यदि किसी प्रकार के लक्षण नजर आएं तो फ़ौरन कैंसर विशेषज्ञ से मिलें और सलाह लें। की गयी थोड़ी सी देरी आपके ऊपर भारी पड़ सकती है।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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