जीवन में नमक होना जरूरी है। पर कितना, इसकी मात्रा अकसर स्वाद के हवाले कर दी जाती है। टेबल पर नमक की शीशी रखना भी टेबल मैनर का हिस्सा बन गया है। जबकि यही नमक आपके मोटापे का कारण बन सकता है। असल में नमक और उसमें मौजूद सोडियम की अधिकता बॉडी वॉटर वेट में इजाफा करती है। जिसके परिणामस्वरूप आपका वजन बढ़ता जाता है। इसे मेडिकल टर्म में एडिमा (edema) कहा जाता है। हैरान हैं न? आइए जानते हैं नमक (Salt) और आपके मोटापे (Obesity) यानी बॉडी वॉटर (Body water weight) के बारे में विस्तार से।
शरीर में 60% तक पानी मौजूद होता है, जो स्वस्थ और सक्रिय शरीर के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। जल ही जीवन है यह बात सर्वमान्य है। परंतु शरीर में ज्यादा मात्रा में पानी होना भी आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। और नमक इसका एक बड़ा कारण है। खाने में अधिक नमक का अर्थ है अधिक वॉटर वेट। जिससे सूजन, मांसपेशियों में ऐंठन से लेकर वजन बढ़ने और घटने तक की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बॉडी वाटर वेट की समस्या आम समस्याओं में से एक है। परंतु इसे समय रहते नियंत्रित न करने से यह आपके लीवर किडनी और हार्ट को प्रभावित कर सकती हैं। यदि आप भी इस समस्या से परेशान है, तो चिंता न करें, हम बताएंगे आपको इससे नियंत्रित रखने के 5 आसान उपाय।
ब्लाटिंग की समस्या, खासकर एब्डोमिनल एरियाज को प्रभावित करती हैं।
पैर, एड़ियों और उंगलियों में सूजन की समस्या।
जोड़ों में जकड़न की समस्या।
वजन का घटना और बढ़ना।
चेहरे में सूजन हो सकती है।
लंबे समय तक एक ही पोजीशन में खड़े रहने या बैठे रहने से आपके शरीर में वाटर वेट बढ़ सकता है। ग्रेविटी हमारे शरीर के खून को नीचे की ओर आकर्षित करती है। इसलिए एक पोजीशन में रहने की जगह खुद को सक्रिय रखने से ब्लड तेजी से और अच्छी तरह से पूरे शरीर मे सर्कुलेट हो पाता है।
आपके खाने में प्रयोग होने वाला नमक शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है। साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक्स में भी सोडियम की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। जब आप अपने दैनिक आहार में नमक या जंक फूड का सेवन बढ़ा देती हैं, तो सोडियम इंटेक सामान्य से ज्यादा हो जाता है। जिससे बॉडी वॉटर वेट बढ़ने लगता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंशरीर में पानी का वजन बढ़ते जाना कमजोर हृदय स्वास्थ्य का भी संकेत हो सकता है। कमजोर हार्ट शरीर में खून को ठीक तरह सर्कुलेट नहीं कर पाता जिसके कारण वाटर वेट बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है।
कई दवाइयां ऐसी है, जिसका साइड इफेक्ट बॉडी में वॉटर वेट बढ़ने जैसी समस्या हो सकती हैं। कीमोथेरेपी और ब्लड प्रेशर के ट्रीटमेंट में यह समस्या ज्यादातर देखने को मिलती है।
न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड एकेडमी की डायरेक्टर डॉ पूनम दुनेजा, बताती हैं कि शरीर में पानी की अधिक मात्रा लिवर, किडनी और हार्ट को प्रभावित करने के साथ ही एडिमा की संभावना भी बढ़ा देती है। एडिमा शरीर में तरल पदार्थों के जमा होने के कारण हुई सूजन को कहते हैं।
डॉक्टर पूनम दुनेजा के अनुसार एडिमा होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे नींद की कमी अधिक मात्रा में नमक का सेवन, और स्थिर शरीर।
मेडिकेशन की जगह अपनी आदतों में कुछ जरूरी बदलाव लाने से इस समस्या से निजात पा सकती हैं। रोजाना व्यायाम का अभ्यास, समय पर सोने, योग करने के साथ खाने में जरुरी पोषक तत्व लेने से मदद मिलेगी। इसके साथ ही वे बॉडी वॉटर वेट कम करने के लिए कुछ उपाय भी सुझाती हैं –
डॉ पूनम दुनेजा के अनुसार खाना बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले नमक में आमतौर पर 75% तक सोडियम की मात्रा होती है। सोडियम पानी को आकर्षित करता है। जिसकी वजह से शरीर ज्यादा मात्रा में पानी स्टोर कर लेता है।
बॉडी में वाटर वेट बढ़ने से सूजन और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शरीर को 1 दिन में केवल 2,300 मिलीग्राम सोडियम की जरूरत होती है। ऐसे में अधिक मात्रा में नमक के सेवन से परहेज रखना जरूरी है। कई खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से नमक पहले से मौजूद होते हैं। व्यंजनों को बनाने में कम नमक का इस्तेमाल करें।
डॉ पूनम दुनेजा ने बताया कि पोटेशियम हमारे पाचन तंत्र को मजबूत रखता है। साथ ही यह मांसपेशियों की मजबूती के लिए भी जरूरी है। यह शरीर में सोडियम के लेवल को भी नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। डार्क चॉकलेट, नट्स और ग्रेन्स में पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। पोटेशियम से भरपूर केला, एवोकाडो, टमाटर, दही, ग्रीन टी, शकरकंद, कॉफ़ी, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक जैसे पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर आप शरीर का वॉटर वेट कम कर सकती हैं।
बॉडी वाटर वेट को कम करने के लिए शरीर को सक्रिय रखना जरूरी है। विशेषज्ञ इसके लिए नियमित रूप से योग और व्यायाम का अभ्यास करने की सलाह देती हैं। वर्कआउट करने के दौरान आपके शरीर से पसीना बहता है। जिससे शरीर से एक्स्ट्रा पानी बाहर निकल जाता है।
कार्बोहाइड्रेट और कार्ब्ज शरीर में पानी को जमा करते हैं। यदि हम पूरे दिन में लिए गए कार्बोहाइड्रेट का प्रयोग नहीं कर पाते, तो बचे हुए कार्ब्ज ग्लाइकोजन मॉलिक्यूलस के रूप में शरीर मे स्टोर हो जाते है। 1 ग्राम ग्लाइकोजन मॉलिक्यूलस में 3 ग्राम पानी मौजूद होता है। जिसके कारण बॉडी में वॉटर वेट की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए खाने में ब्रेड, राइस और पास्ता जैसे हाई कार्ब्ज फूड्स की जगह कार्ब्ज और प्रोटीन युक्त फूड्स अंडा, मीट और सोयाबीन का सेवन कर सकती हैं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी वाटर वेट को कम करने में मदद करता है। डिहाइड्रेशन में पानी की कमी होने से शरीर पानी को स्टोर करके रखता है। साथ ही पानी किडनी को साफ रखने के साथ एक्स्ट्रा पानी और सोडियम को बाहर निकालने का काम करता है।
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