वेट लॉस के लिए कर रहीं हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग की शुरुआत, तो पहले जान लें इसके कुछ जरूरी नियम

अक्सर डाइट प्लान हमें इस बात की सूचना देता है कि कोई व्यक्ति क्या खाए। मगर इंटरमिटेंट डाइट प्लान का फोकस क्या खाएं की जगह कब खाने पर निर्भर है। अगर आप भी एक बिगेनर के तौर पर इसे अपनाना चाहते हैं, तो इन रूल्स को ज़रूर फॉलो करें।
Intermittent fasting heart health ko kaise pehunchaati hai nuksaan
जो दिन भर में आठ घंटे की इंटिंग विंडो को फॉलो करते हैं। उनमें हृदय रोग से मौत का जोखिम 91 फीसदी बढ़ जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 28 Feb 2023, 10:46 am IST
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फास्टिंग(fasting) का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में दिनभर भूखा रहने का ख्याल आने लगता है। तरह तरह की रेसिपीज़ दिमाग के आस पास गोल गोल चक्कर काटने लगती हैं। मगर बढ़ रहे बैलीफैट(how to reduce belly fat) को कम करने के लिए हम अपने मन के विरूद्ध जाकर कई तरह के जूस और खाद्य पदार्थोंं का सेवन करना आरंभ कर देते हैं। डाइटीशियन के अनुसार हम अपनी मील्स में कई तरह के बदलाव लेकर आते हैं। अपने अस्त व्यस्त हो चुके खान पान को बदलकर नई तरह की डाइटस को अपनी मील का हिस्सा बना लेते हैं। मगर इंटरमिटेंट फास्टिंग का तरीका(Intermittent fasting rules) बिल्कुल जुदा है।

कई बार शरीर में जमा होने वाली ज्यादा कैलोरी(calories) और नो वर्कआउट(workout) शरीर के लिए नुकसानदायक साबित होता है। इससे शरीर में मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। वहीं कुछ स्टडीज़ में पाया गया है कि इस तरह की फास्टिंग इन कंडीशंस को पूरी तरह से खत्म करने में सहायक साबित होती है।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग मेमोरी पावर को बढ़ाता है। चित्र:शटरस्टॉक

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है

इस बारे में डॉ स्टरलिंग अस्पताल में डाइटीशियन, पूजा शैलाट का कहना है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है कि दिन के चौबीस घंटों में से कुछ घंटे आपको फास्ट करना होता है। वहीं कुछ घंटों के दौरान आपको हेल्दी खाना खाना होता है, जो हमारी इटिंग विंडो कहलाती है।

इसे करने के कई अलग अलग तरीके होते है।

पहला तरीका
दिन के 16 घंटे भूखे रहना है और आठ घंटे इिंटंग विंडो होती है। इसका अर्थ है कि सुबह 8 से शाम 4 बजे तक आप खाना खा सकते है। शाम 4 से सुबह 8 बजे तक बिना खाए रहना पड़ता है।

दूसरा तरीका
10 घंटे इंटिंग विडो होता है, बाकी समय बिना खाए रहना पड़ता है।

तीसरा तरीका
पांच दिन नार्मल खाना खा सकते हैं और बाकी दो दिन कम कैलोरी कंज्यूम करनी है।

एक्सपर्ट की क्या है राय

इस बारे में न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा का कहना है कि अगर लेट नाईट खाना खाते हैं, तो उससे वेटलॉस हेंपर होने लगता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग दो भागों में बंटी हुई है। एक इटिंग पीरियड(eating period) और एक फास्टिंग पीरियड। इटिंग पीरियड में हर तीन से चार घंटे में आप मील ले सकते है। मील में गुड प्रोटीन और लो वेट डाइट लेनी चाहिए। वहीं फास्टिंग पीरियड(fasting period) में आप सिर्फ पानी पी सकते हैं। अगर आपको जोड़ों में दर्द यां सूजन की समस्या है, तो इस प्रक्रिया के ज़रिए आपकी समस्याएं अपने आप कम हो जाएंगी।

इस बारे में जॉन्स हॉपकिंस आहार विशेषज्ञ क्रिस्टी विलियम्स, एमएस, आरडीएन का कहना है कि आज से 50 साल पहले वज़न को नियंत्रित करना आसान माना जाता था। उस वक्त सालों पहले गैजेट्स का दौर नहीं था। उस वक्त टीवी 11 बजे तक चलता था और उसके बाद लोग सो जाते थे। दिन में जल्दी उठते थे, व्यायाम करते थे और अपने कामों में जुट जाते थे। मगर अब लोग दिन के साथ साथ रात भर उठे रहते हैं और ज्यादा वक्त गैजेटस पर चैटिंग में बिताते है। साथ ही में कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग के रूल्स

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसा मील प्लान है। जो फास्टिंग और डाईट में तालमेल को बैठाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो कुछ देर तक बिना खाए रहने के बाद आप अपनी मर्जी के हिसाब से हेल्दी डाइट ले सकते है। इससे आप वजन जल्दी कम होने लगता है। इससे मोटापे की समस्या कम होने के साथ साथ कई बड़ी बीमारियों से खतरों से भी बचा जा सकता है। मगर फिर भी मन में कई तरह के सवाल उठते हैं कि क्या ये हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है या इसका हमारी सेहत पर कोई दुष्प्रभाव हो सकता है। इन सभी सवालों के जवाब देने के लिए हमारे साथ हैं मनिपाल हास्पिटल गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा

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5 तरह से की जा सकती है इंटरमिटेंट फास्टिंग। चित्र शटरस्टॉक

1. किस उम्र में कर सकते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग

इंटरमिटेंट फास्टिंग किसी खास उम्र के हिसाब से न होकर बॉडी की रिकवायरमेंट के हिसाब से तय की जाती है। बच्चों को इससे पूरी तरह से दूर रखा जाता है। वहीं प्रेगनेंट महिलाओं, लेकेटेशन मदर्स, हार्ट पेशेंटस और डायबिटिकस के लिए उचित नहीं है। अगर आप मोटापे के शिकार है, तो किसी डाइटीशियन और डॉक्टर की सुपरविज़न में इस प्रक्रिया को अंजाम दें।

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2. मील्स तय करें

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कुछ लोग दिन में एक मील खाते हैं, तो कुछ दिन में दो मील लेते हैं। आपकी बॉडी के हिसाब से मील्स को प्लान किया जाता है। शुरूआत में मील्स के मध्य 8 से 10 घंटे का गैप रहता है। उसके बाद वो गैप बढ़कर 12 घंटे हो जाता है। फिर उसके बाद ये गैप 18 घंटे तक पहुंच जाता है। इसके लिए बॉडी की ज़रूरत को समझना बेहद ज़रूरी है।

3. न्यूट्रिश्नल वैल्यू का रखें ख्याल

डॉ अदिति के हिसाब से वेट रिडक्शन के दौरान बॉडी नरिशमेंट बेहद ज़रूरी है। इसके लिए डाइट में माइक्रो न्यूट्रिएंटस को शामिल करने की ज़रूरत है। साथ ही बॉडी के हिसाब से कैलोरीज़ का ध्यान रखें। अगर आप जल्दी और अच्छे रिज़ल्टस चाहते हैं, तो पौष्टिक और हेल्दी डाईट को अपनी मील में शामिल करने की कोशिश करें।

4. बॉडी कैलोरी रिक्वायरमेंट को जानें

किसी भी डाइटीशियन की सलाह से आप इस बारे में जानकारी एकत्रित करें कि आपके शरीर को कितनी कैलोरीज़ की आवश्यकता है। इसका अंदाज़ा आपकी उम्र, सेहत और वजन को जांचकर लगाया जा सकता है। कम कैलोरीज़ आपको अंदरूनी तौर पर कमज़ोर बना सकती हैं। वहीं ज्यादा कैलोरी इनटेक आपके शरीर के वज़न को कम होने में बाधा के तौर पर काम करने लगता है।

5. अपने शरीर का ज़रूरत पहचानें

हर किसी का शरीर एक दूसरे से अलग है। सबसे पहले इस बात को जानें कि आपका शरीर कितनी देर तक बिना खाए रह सकता है। क्या आप दिनभर में बहुत कम खाते है या मील में आप किन खाद्य पदार्थों को एड करते हैं। इन सब बातों से आप अपने शरीर की ज़रूरत को पहचान सकते हैं। बिना गाइडेंस के ली गई इंटरमिटेंट डाइट आपके लिए परेशानी का कारण भी साबित हो सकती है।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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