मेमोरी बढ़ाकर बच्चों को बनाना है मेंटली स्ट्रॉन्ग, तो उन्हें हर रोज करवाएं ये ब्रेन बूस्टिंग योगासन

कोविड-19 के बाद स्कूल खुलने लगे हैं। लंबे ब्रेक के बाद यह समय आपके बच्चों के लिए थोड़ा मानसिक बोझ बढ़ा सकता है। इसलिए आज ही से उनके रुटीन में योग और प्राणायाम को शामिल करनाा जरूरी है।
bachcho ke liye exercise hai jaruri
इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाले दर्द को कम करने में मदद मिलती है। चित्र:शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Updated: 27 Oct 2023, 17:52 pm IST
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बच्चे बहुत लचीले स्वभाव के होते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज और सामाजिक दूरी का पालन किया है, लेकिन अब धीरे-धीरे स्कूल खुलने लगे हैं। ऐसे में शारीरिक और मानसिक रूप से आपका बच्चा थक सकता है। इस थकान को दूर करने और बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए हम बता रहें हैं कुछ ऐसे मेमोरी बूस्टिंग व्यायाम जो उनकी मानसिक थकान को कम करने के साथ फोकस भी बढ़ाएंगे। 

व्यायाम और बच्चों का मानसिक विकास 

अमेरिका में कैसर परमानेंट हेल्थ सिस्टम के शोध से पता चला है कि जिन बच्चों ने कोविड-19 महामारी के दौरान अधिक व्यायाम किया, वे बीमारी के स्ट्रेस और मेंटल दबाव जैसी जोखिमों से कम परेशान हुए है। यह भी दिखाया गया है कि जो बच्चे अधिक समय खेलने में बिताते हैं, वे आमतौर पर घर के अंदर रहने वालों की तुलना में चिंता और अवसाद के शिकार कम होते हैं। 

शारीरिक गतिविधि और प्रकृति में बिताया गया समय बेहतर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। अध्ययन में पाया गया कि समय के साथ चिंता और अवसाद की रिपोर्ट में कमी आई है। इसके अलावा, जिन बच्चों ने कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करने की सूचना दी, उनमें व्यायाम करने वाले बच्चों की तुलना में सबसे अधिक अवसाद और चिंता पाई गई है। 

ये योगासन आपके बच्चों के लिए है ब्रेन बूस्टर 

1. सुखासन 

छोटी सी उम्र में सम्पूर्ण विकास के लिए योगासन बहुत आवश्यक हैं। यह आपके बच्चें को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत करने में मदद करते हैं। सुखासन आपके बच्चे के लिए ब्रेन बूस्टर और स्ट्रेस बस्टर की तरह काम कर सकता है। यह एकाग्रता बढ़ाने के साथ उनमें सकारात्मक सोच का संचार करता है। 

Yoga mental health ko boost karta hai
योगासन मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद करता है। चित्र-शटरस्टॉक

कैसे करें: 

  • इस आसन को करने के लिए बच्चों को आराम से पैर फैलाकर बैठाएं।
  • अब दायां पैर बायीं जांघ के नीचे और बायां पैर दायीं जांघ के नीचे रखें।
  • शरीर को सीधा रखें और ध्यान की अवस्था में रहें।
  • इस मुद्रा में आपका बच्चा अच्छी और खुश करने वाली बातों के बारे में सोच सकता है। 
  • श्वास की गति पर ध्यान दें। यह बच्चे के ब्रेन को क्लीन करने में मदद करेगा। 

2. बालासन 

इसे चाइल्ड पोज भी कहां जाता है। इस आसन को करने से मन शांत और बच्चों का मानसिक विकास होता है। इसके अलावा यह मुद्रा पूरे शरीर में ब् सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है। यह ब्रेन सेल्स में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है। 

कैसे करें: 

  • सबसे पहले घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं।
  • टखनों और एड़ियों को आपस में जोड़ लें और घुटनों को बाहर की तरफ फैलाएं।
  • अब सांस अंदर खींचकर आगे की ओर झुकें।
  • जब पेट दोनों जांघों के बीच आ जाए तो सांस छोड़ दें।
  • दोनों हाथों को सामने की तरफ रखें।

3. ताड़ासन 

ताड़ासन से बच्चों की स्ट्रेचिंग होती है। यह आपके बच्चों को फिट रखने में मदद करता है। साथ ही यह मस्तिष्क और पूरे शरीर में रक्त का संचार करता है। ताड़ासन बच्चों की लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है। 

कैसे करें: 

  • सबसे पहले खड़े हो जाएं और पैर के पंजों के बीच लगभग दस सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • दोनों पैरों पर समान वजन रखें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर लें जाएं।
  • शरीर को सीधा रखें और ऊपर की तरफ स्ट्रेच करें।

प्राणायाम भी हैं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद 

1. अनुलोम विलोम प्राणायाम 

यह विशेष प्राणायाम आपके बच्चों की एकाग्रता बढ़ाने के साथ उनके फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा। इसमें किए गए श्वास अभ्यास आपके बच्चों की दैनिक ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करेंगे। इससे उनके मस्तिष्क को सतर्क और चुस्त रहने में मदद मिलेगी। 

कैसे करें: 

  • अनुलोम विलोम को खाली पेट करना चाहिए, खासकर खाना खाने के 4 घंटे बाद। इसके लिए आपको एक शांत, आरामदायक वातावरण भी मिलना चाहिए।
  • सबसे पहले ध्यान मुद्रा में बैठे। अपनी रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें और आंखें बंद कर लें।
  • अब अपने दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए, अपनी मध्यमा (middle finger) और तर्जनी (index finger) को अपनी हथेली की ओर मोड़ें।
Bacho ke saath kare anulom vilom
अपने बच्चों के साथ करें अनुलोम विलोम। चित्र:शटरस्टॉक
  • अपने अंगूठे को अपने नाक के दाहिने छिद्र पर और अपनी अनामिका (ring finger) को बाएं नथुने पर रखें।
  • दाहिने नथुने को अपने अंगूठे से बंद करें और अपने बाएं नथुने से धीरे-धीरे और गहराई से श्वास लें, जब तक कि आपके फेफड़े भर न जाएं। अपनी श्वास पर ध्यान दें।
  • इसके बाद, अपना अंगूठा छोड़ें और अपनी अनामिका (ring finger) से अपने बाएं नथुने को बंद करें।
  • अब अपनी दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • इसे दूसरे नथुने से दोहराएं। इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से सांस छोड़ें।
  • पूरी प्रक्रिया के दौरान, अपने श्वास के प्रति सचेत रहें और महसूस करें कि यह शरीर और मन दोनों को कैसे प्रभावित करता है।

2. भस्त्रिका प्राणायाम 

भस्त्रिका एक प्रकार का प्राणायाम है जो कपालभाति के समान दिखता है लेकिन कुछ तरीकों से अलग है। यह मस्तिष्क तक ऑक्सीजन पहुंचा सकता है, जिसके कारण आपके बच्चों के नर्वस सिस्टम को लाभ पहुंचता है।  यह शरीर और दिमाग को ऊर्जा प्रदान करने के लिए बहुत अच्छा है। अवसाद (depression) और चिंता को दूर करने  के लिए रामबाण है। 

फेफड़ों और बार-बार होने वाली खांसी, फ्लू, सांस की समस्या, एलर्जी या सांस फूलने से पीड़ित होने पर यह प्राणायाम अनिवार्य रूप से करना चाहिए। 

 

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कैसे करें: 

  • इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन (कमल मुद्रा) में बैठें। 
  • एक गहरी सांस लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें। 
  • पांच तक गिनने के बाद सांस छोड़ें। 
  • अब बल के साथ सांस लेने और छोड़ने की तकनीक का अभ्यास शुरू करें। 
  • ऐसे श्वास लें जैसे कि आप हांफ रहे हो। शुरुआती अभ्यास के लिए कम से कम 21 बार भस्त्रिका प्राणायाम किया जा सकता है। 

तो लेडीज, अपने बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए इन योगासन को उनकी दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाएं। 

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