इन 6 योगासनों के अभ्यास से आप भी कर सकती हैं डायबिटीज़ को कंट्रोल

बॉडी में इंसुलिन का असंतुलन या शुगर लेवल का अचानक बढ़ना-घटना डायबिटीज़ कहलाता है। योगाभ्यास की मदद से लाइफस्टाइल स्ट्रेस और डायबिटीज़ को नियंत्रण में रखा जा सकता है। 
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डायबिटीज़ कंट्रोल में भी है योग फायदेमंद चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 20 Oct 2023, 09:06 am IST
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मधुमेह (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है जो उचित व्यायाम की कमी, अनुचित भोजन की आदतों आदि के परिणामस्वरूप होती है। आधुनिक जीवनशैली में तनाव का होना कोई बड़ी बात नहीं है। जिससे डायबिटीज का जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है। एक बार डायबिटीज होने का मतलब है उम्र भर दवाओं और परहेज के साथ रहना। पर क्या आप जानती हैं कि योग आपकी डायबिटी की समस्या का भी समाधान कर सकता है। जी हां, ये बिल्कुल सही है। योगाभ्यास के द्वारा उन समस्याओं को संभालने में मदद मिलती है, जो डायबिटीज का कारण बन सकती हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 योगासनों (Yoga for diabetes) के बारे में जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं। 

क्या है डायबिटीज 

मधुमेह दो प्रकार का होता है – टाइप 1, जहां इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है और टाइप 2, जहां अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। कई मामलों में, मधुमेह की शुरूआती अवस्था में उसे नज़रअंदाज करना भी आसान होता है, खासकर तब, जब आपको कोई लक्षण ही दिखाई न दे।

भागती दौड़ती इस लाइफस्टाइल में अपने ऊपर ध्यान देने के लिए समय निकालना जुपिटर पर रॉकेट भेजने जैसा ही मुश्किल काम लगता है। ऐसे में भारी भरकम एक्सरसाइज कर पाना तो और भी मुश्किल है। ऐसे में, प्राणायाम, योग और ध्यान, जिसे साधारणत: ‘योग अभ्यास’ कहा जाता है, को अगर आप अपनी दिनचर्या में शामिल करती हैं, तो आपको मधुमेह को मात देंने में मदद मिल सकती है। 

डायबिटीज और योगाभ्यास 

योगाभ्यास के बेहतर परिणामों के लिए इसे अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। जहां तक ​​संभव हो, एक दैनिक कार्यक्रम पर टिकी रहें। अपनी ज़रुरत और समय की उपलब्धता के आधार पर आप सुबह या शाम योगाभ्यास कर सकती हैं। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर आप योगाभ्यास को अनुशासित रूप से करती हैं तो यह डायबिटीज़ पर लगाम कसने में आपकी मदद कर सकता है। 

 मधुमेह से बेहतर तरीके से निपटने के लिए हेल्थशॉट्स ने बात की योग विशेषज्ञ ग्रैंड मास्टर अक्षर से जिनके बताए हुए इन छः योगासनों को अपना कर आप अपनी बॉडी में शुगर लेवल बनाए रख सकती हैं :

मधुमेह के लिए योग के लाभ

यह पाचन, परिसंचरण और प्रतिरक्षा में सुधार करता है

योग तंत्रिका और अंतःस्रावी अंगों को एक्टिव करता है

यह पुरानी बीमारियों से बचा सकता है और राहत दे सकता है

कुल मिलाकर योगाभ्यास करने से आपका शरीर स्वस्थ और अधिक ऊर्जावान महसूस करता है साथ ही बीमारियां भी काबू में रहती हैं।

 

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यहां हैं 5 योगाभ्यास जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं 

1 कपालभाति प्राणायाम (skull shining breath)

स्कल ब्रीदिंग की यह तकनीक आपके नर्वस सिस्टम को एक्टिव करने और बनाए रखने में मदद करती है। यह आसन मस्तिष्क की कोशिकाओं को फिर से सक्रिय और जीवंत बनाता है। मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए कपालभाति प्राणायाम एक बहुत उपयोगी योगाभ्यास है, क्योंकि यह पेट में मौजूद विभिन्न अंगों को सही तरीके से काम करने में सहायता करता है। यह प्राणायाम बॉडी में ब्लड फ्लो को भी दुरुस्त करते हुए आपके दिमाग को भी एक्टिव बनाता है।

कैसे करें:

कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सुखासन, अर्धपद्मासन, वज्रासन या पद्मासन जैसी किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। 

आराम से बैठने के बाद सांस लें और छोड़ें। सांस लेते हुए अपने पेट को जितना हो सके उतना अंदर लें, जिससे आपके पेट की मांसपेशियां काम कर सकें। 

अपना ध्यान अपनी श्वास और अपने पेट की गति पर बनाए रखें।

2 सुप्त मत्स्येन्द्रासन (लेट-डाउन बॉडी ट्विस्ट- Let Down body twist)

लेट-डाउन बॉडी ट्विस्ट के इस योगासन में आंतरिक अंगों पर काम होता है और यह पाचन तंत्र में भी सुधार करता है। यह आसन पेट के अंगों पर दबाव डाल कर मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए सहायक सिद्ध होता है ।

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सुप्त मत्स्येन्द्रासन चित्र- शटरस्टॉक।

कैसे करें :

सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। 

अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और ऊपर उठाते हुए इसके तलवे को बाएं घुटने पर टिकाएं। 

फिर अपनी पीठ को बायीं ओर मोड़ें और अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें। वहीं, बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैलाएं। 

इसके बाद सिर को बायीं ओर घुमाएं। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।

अगर आपको रीढ़ की हड्डी, पेट या सिर से संबंधित कोई समस्या है, तो यह योगासन न करें। कोई सर्जरी हुई है तो भी आपको इस योगासन के अभ्यास से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। योगाभ्यास के दौरान आपको कमर में किसी भी तरह की तकलीफ महसूस होती है, तो इसका अभ्यास तुरंत बंद कर दें।

 3 धनुरासन (धनुष मुद्रा- )

धनुष मुद्रा अग्न्याशय को नियंत्रित करती है और मधुमेह पीड़ितों के लिए बहुत प्रभावी है। यह योग मुद्रा पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत करती है और एक बेहतरीन स्ट्रेस बस्टर होने के साथ ही थकान से भी छुटकारा देती है।

धनुरासन स्‍वस्‍थ शरीर के लिए अनिवार्य मुद्रा है।
धनुरासन स्‍वस्‍थ शरीर के लिए अनिवार्य मुद्रा है।

कैसे करें: 

धनुरासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। 

घुटनों को मोड़ते हुए कमर के पास ले आएं और अपने हाथ से दोनों टखनों को पकड़ें। 

अब अपने सिर, छाती और जांघ को ऊपर की ओर उठाएं। 

अपने शरीर के भार को पेट के निचले हिस्से पर लेने का प्रयास करें। पैरों को पकड़कर आगे की ओर शरीर को खींचने की कोशिश करें। 

अपनी क्षमतानुसार लगभग 15-20 सेकेंड तक इस आसन को करें। 

सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और छाती, पैर को जमीन पर रख कर आराम करें।

 4 पश्चिमोत्तानासन (आगे की ओर झुकना-Paschimottanasana )

बैठकर, दो पैरों की तरफ आगे झुककर किया जाने वाला यह आसन आपके पेट व  पैल्विक पोर्शन को टोन करता है, और मधुमेह से पीड़ित लोगों की मदद भी करता है। यह योग मुद्रा शरीर में प्राण को संतुलित करने में मदद करती है और मन को भी शांत करती है।

कैसे करें : 

जमीन पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधे रखें। 

इसके साथ ही गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। इसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों (knees) पर रखें। 

अब अपने सिर और धड़ (trunk) को धीरे से आगे की ओर झुकाएं और अपने घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। 

इसके बाद गहरी श्वास लें और धीरे से श्वास को छोड़ें। 

अपने सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें। 

बांहों को झुकाएं और कोहनी (elbow)से जमीन को छूने की कोशिश करें।

श्वास को पूरी तरह छोड़ दें और इस मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें। 

कुछ सेकेंड के बाद वापस पहली वाली मुद्रा में आ जाएं। 

अब सामान्यरूप से श्वास लें और इस आसन को 3 से 4 बार दोहराएं। 

पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास खाली पेट किया जाता है। लेकिन यदि आप किसी कारणवश भोजन करने के बाद इस आसन का अभ्यास करना चाहती हैं, तो यह सुनिश्चित कर लें कि आसन करने से लगभग 6 घंटे पहले भोजन कर लें। 

भोजन सही तरीके से पचने के बाद आसन का अभ्यास करने में शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है। इस योगासन का अभ्यास करने का बेहतर समय सुबह होता है लेकिन शाम को भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।

5 अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha matsyendrasana)

सिटिंग हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पेट के अंगों की मालिश करता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है और रीढ़ को लचीला बनाता है। यह मन को शांत करने में भी आपकी मदद करता है साथ ही रीढ़ में रक्त के प्रवाह में भी सुधार करता है।

कैसे करें 

पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं, दोनों पैरों को साथ में रखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। 

बाएं पैर को मोड़ें और बाएं पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें (या आप बाएं पैर को सीधा भी रख सकते हैं)| 

दाहिने पैर को बाएं घुटने के ऊपर से सामने रखें। बाएं हाथ को दाहिने घुटने पर रखें और दाहिना हाथ पीछे रखें। 

कमर, कन्धों व गर्दन को दाहिनी तरफ से मोड़ते हुए दाहिने कंधे के ऊपर से देखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। 

इसी अवस्था को बनाए रखें, लंबी, गहरी, साधारण सांस लेते रहें। 

सांस छोड़ते हुए, पहले दाहिने हाथ को ढीला छोड़े, फिर कमर, फिर छाती और अंत में गर्दन को। आराम से सीधे बैठ जाएं। 

दूसरी तरफ से प्रक्रिया को दोहराएं। सांस छोड़ते हुए सामने की ओर वापस आ जाएं।

6 शवासन  (शव मुद्रा- Corpse Pose)

विश्राम योग मुद्रा, शरीर को एक गहरी ध्यान की स्थिति में ले जाती है, जिससे आपका पूरा शरीर रिलैक्स होता है। तनाव को कंट्रोल करने और बॉडी को ईज़ करने के लिए यह योगासन बेहद प्राभाव्शाली है।

 कैसे करें:

योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। ये सुनिश्चित करें कि आसन करने के दौरान कोई भी आपको डिस्टर्ब न करे। 

आप बिना किसी समस्या के आराम से लेटे हों। लेकिन किसी तकिया या कुशन का इस्तेमाल न करें। 

सबसे अच्छा यही है कि आप सख्त सतह पर लेटे हुए हों। अपनी आंखें बंद कर लें। 

दोनों टांगों को ध्यान से अलग-अलग कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि आप पूरी तरह से रिलैक्स हों और आपके पैरों के दोनों अंगूठे साइड की तरफ झुके हुए हों। 

आपके हाथ आपके शरीर के साथ ही हों लेकिन थोड़ी दूर हों। 

हथेलियों को खुला लेकिन ऊपर की तरफ रखें। अब धीरे-धीरे शरीर के हर हिस्से की तरफ ध्यान देना शुरू करें, शुरुआत पैरों के अंगूठे से करें। 

जब आप ऐसा करने लगें, तो सांस लेने की गति एकदम धीमी कर दें। धीरे-धीरे आप गहरे मेडिटेशन में जाने लगेंगी। लेकिन जैसे ही आपको आलस या उबासी आए सांस लेने की गति तेज कर दें। 

आपको शवासन करते हुए कभी भी सोना नहीं है। सांस लेने की गति धीमी​ लेकिन गहरी रखें। ये आपको धीरे-धीरे पूरी तरह रिलैक्स करने लगेगी। 

मन में ख्याल लाएं कि जब आप सांस ले रहे हैं तो वह पूरे शरीर में फैल रही है। आप और ज्यादा ऊर्जावान होते जा रहे हैं। लेकिन जब आप सांस छोड़ रहे हैं, शरीर शांत होता जा रहा है। 

आपका फोकस सिर्फ खुद और अपने शरीर पर ही रहेगा। बाकी सारे कामों को भूल जाएं। इस स्थिति के सामने सरेंडर कर दें और आनंद लें। लेकिन ध्यान दें आपको सोना नहीं है। 

10-12 मिनट के बाद, जब आपका शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाए और नई ताजगी को महसूस करने लगे तो, एक तरफ को करवट ले लें।

दोनों आंखों को बंद रखें। एक मिनट तक इसी स्थिति में बैठे रहें। इसके बाद धीरे-धीरे उठें और फिर पालथी मारकर या सुखासन में बैठ जाएं। कुछ गहरी सांसें लें और आंखें खोलने से पहले आसपास चल रहे माहौल का जायजा लें। इसके बाद धीरे-धीरे आंखें खोल दें।

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