कोविड-19 से रिकवरी के बाद बुजुर्गों में बढ़ गया है अल्जाइमर का जोखिम, जानिए क्या कहते हैं शोध 

कोविड-19 महामारी ने बुजुर्गों के लिए खतरा और अधिक बढ़ा दिया है। हाल की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि जिन बुजुर्गों को कोविड हुआ था, उन्हें अल्जाइमर होने का जोखिम अधिक है।
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कोविड से पीड़ित होने पर बुजुर्गों में अल्जाइमर का खतरा बढ़ सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:32 am IST
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बुजुर्गों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली बीमारी है अल्जाइमर। विश्व भर में इसकी संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। हाल के आंकड़े और स्टडी तो बुजुर्गों के और अधिक देखभाल की जरूरत पर जोर देती है। अध्ययन बताते हैं कि कोविड-19 महामारी के बाद से स्मृति हानि (link between covid-19 and Alzheimer) की इस बीमारी का जोखिम और  भी ज्यादा बढ़ा गया है। इसलिए सही समय पर अल्जाइमर की पहचान और फिर इसका तुरंत इलाज शुरू करना भी जरूरी है। इसलिए जरूरी है कि आप इसके बारे में सब कुछ जानें।      

क्या कहती है रिसर्च?

अमेरिका के ओहियो स्थित केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा एक स्टडी की गई। इसमें शोधकर्ताओं के नेतृत्व में अमेरिका में 65 वर्ष से अधिक आयु के 6 मिलियन लोगों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड पर स्टडी की गई। इस अध्ययन में पाया गया कि जिन बुजुर्गों को कोविड -19 था, उनमें एक वर्ष के भीतर अल्जाइमर रोग होने का अधिक जोखिम पाया गया। 

हालांकि अध्ययन में सिर्फ कोविड को ही अल्जाइमर का दोषी नहीं पाया गया। लेकिन कोविड-19 और अल्जाइमर के बीच संबंध होने की बात जरूर सामने आई है। यह स्टडी जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिजीज में भी प्रकाशित की गई। अध्ययन में पाया गया कि जिन 1000 बुजुर्गों को कोविड हुआ था, उनमें से 7 बुजुर्गों में एक वर्ष के भीतर अल्जाइमर के लक्षण पाए गए। 

शोधकर्ताओं में से एक पामेला डेविस के अनुसार, पहले से जानी हुई बात है कि कोविड मस्तिष्क (Covid-19 effect on brain health) को प्रभावित कर सकता है। मगर इसके द्वारा मस्तिष्क को प्रभावित करने की दर अनुमान से अधिक पायी गई है। 

कोविड से प्रभावित होने के बाद बढ़ जाता है डिमेंशिया का खतरा

जिन लोगों को लंबे समय तक कोविड (Long Covid)  रहा है, उन्हें अल्जाइमर रोग होने का खतरा अधिक है। केस वेस्टर्न रिजर्व स्टडी ने देश भर के लगभग 70 स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के रोगियों का प्रतिनिधित्व करने वाले डेटाबेस का उपयोग किया। वैज्ञानिकों ने 65 से अधिक रोगियों पर ध्यान केंद्रित किया। जिन्होंने 2 फरवरी, 2020 से 30 मई, 2021 तक 15 महीने की अवधि के दौरान मेडिकल ट्रीटमेंट कराई थी। 

उन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया। जो कोविड -19 से प्रभावित हुए थे, उन्हें एक तरफ और जो कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुए थे, उन्हें दूसरी तरफ रखा गया। इस स्टडी के निष्कर्ष में कोविड -19 और अल्जाइमर रोग के बीच संबंध होने की पुष्टि की गई। 

पहले भी केस वेस्टर्न रिजर्व के कुछ शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 62 मिलियन अमेरिकियों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच की थी। इसमें उन्होंने पाया कि डिमेंशिया वाले रोगियों में कोविड-19 का जोखिम बिना डिमेंशिया वाले रोगियों की तुलना में अधिक था।

अल्जाइमर के डिफेक्टिव रिसेप्टर्स

कोलंबिया यूनिवर्सिटी वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन के वैज्ञानिकों ने भी एक स्टडी की। इसमें कुछ मृत कोविड -19 रोगियों के दिमाग का अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि उनके पास डिफेक्टिव रिसेप्टर्स थे, जिन्हें अल्जाइमर रोग का इंडिकेटर माना जाता है। 

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कोविड से पीड़ित होने पर डिमेंशिया होने का खतरा भी बढ़ जाता है। चित्र: शटरस्टॉक

एक दूसरी स्टडी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती कोविड -19 रोगियों के ब्लड के एक घटक सीरम को जांचा गया। उन रोगियों में डिमेंशिया की कोई हिस्ट्री नहीं थी। उनमें भी न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग के मार्कर डेवलप हुए थे।

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ध्यान रखें 

ये सभी अध्ययन चिंता बढ़ाने वाले हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने एजिंग पेरेंट्स की ब्रेन हेल्थ का बहुत ख्याल रखें। उनमें अगर आप स्मृति हानि या ब्रेन फॉग जैसे लक्षण देखती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अकेलापन और तनाव भी अल्जाइमर्स और डिमेंशिया को ट्रिगर कर सकते हैं

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