समय के साथ खुद ब खद कमजोर होने लगता है सार्स कोवि-2 वायरस : शोध 

कोविड-19 महामारी का कारण बनने वाले सार्स कोवि 2 वायरस के बारे में आईआईटी दिल्ली ने एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है। 
Sars Cov 2
सार्स कोव 2 पर पर लगातार महत्वपूर्ण शोध हो रहे हैं। चित्र:शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 30 May 2022, 16:00 pm IST
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हाल में दिल्ली IIT में हुए रिसर्च के अनुसार, यह सामने आया है कि मनुष्य के शरीर में जब SARS-CoV-2 जीनोम प्रवेश करता है, तो कुछ महीने तक विकास करने के बाद उसके CpG डिप्लेशन रेट में तेजी से कमी आने लगती है। यह शोध भविष्य में कोविड-19 के उपचार और पोस्ट कोविड जटिलताओं के समाधान में मददगार हो सकता है। 

कोविड-19 संक्रमण और उसका प्रसार 

किसी भी पॉजिटिव टेस्ट का मतलब है कि वायरस के प्रोटीन जो COVID-19 का कारण बनते हैं, आपकी नाक के स्वाब नमूने में पाए गए हैं। यदि आपमें SARS-CoV-2 डिटेक्ट हुआ है, तो इसका मतलब है कि आपको COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए घर पर सबसे अलग रहना होगा। पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट के कारण आप दूसरों को भी कोविड पॉजिटिव कर सकती हैं। 

क्या है शोध 

आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के शोधार्थियों ने मनुष्यों में SARS-CoV-2 का विकास किस तरह होता है, उसका खुलासा किया है। यह रिसर्च कोविड-19 (COVID-19)  रोग को बढ़ाने, मनुष्य के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने और वायरस से संबंधित वैरिएंट की उत्पत्ति को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है। रिसर्च टीम में सदस्यों के अनुसार, वायरस जीनोम में CpG (साइटोसिन और गुआनिन) की संख्या होस्ट-स्विचिंग, वायरस के रेप्लिकेट करने, इम्यून सिस्टम को कमजोर करने और वायरस द्वारा बीमारी पैदा करने की क्षमता से भी जुड़ी है। उन्होंने पाया कि मनुष्यों में विकास के पहले कुछ महीनों के बाद SARS-CoV-2 जीनोम से CpG की दर तेजी से कम होती है। इसके लिए उन्होंने दुनिया भर से 1.4 मिलियन की संख्या में पूर्ण लंबाई वाले SARS-CoV-2 सीक्वेंस का अध्ययन और विश्लेषण किया। 

यह शोध मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसका शीर्षक है- “ह्यूमन होस्ट में SARS-CoV-2 जीनोम में CpG डिप्लेशन की दर क्यों कम हो जाती है।” इस शोध का परिणाम भविष्य में सीपीजी डिप्लेशन से संबंधित वायरस होस्ट इंटरेक्शन को समझने में मदद करेगा। 

इंटरमीडिएट एनिमल पर जारी है रिसर्च 

SARS-CoV-2 के लिए सबसे संभावित इकोलॉजिकल रिजर्वायर चमगादड़ ही हैं। लेकिन माना यह भी जाता है कि वायरस ने किसी और इंटरमीडिएट एनिमल होस्ट के सहारे ह्यूमन बॉडी तक अपनी पहुंच बनाई है। यह इंटरमीडिएट होस्ट नॉनवेज के रूप में खाया जाने वाला एनिमल भी हो सकता है। लेकिन वैज्ञानिक अभी तक इसे पहचान नहीं पाए हैं। 

हालांकि कोविड वैक्सीन के कारण कोरोना से बचाव संभव हो गया है। लेकिन अभी भी लोग इसके शिकार हो रहे हैं और कोविड रिकवरी के बाद भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। 

कोविड के बाद लंबे समय तक रह सकती हैं कुछ स्वास्थ्य समस्याएं 

1 लंबे समय तक खांसी रहना : 

कोविड होने के बाद सबसे अधिक समस्या लंबे समय तक खांसी रहने की होती है। आयुर्वेद में इसका सटीक इलाज मौजूद है। कोविड महामारी के दौरान हम सभी ने सबसे अधिक हल्दी-दूध का इस्तेमाल किया। आज भी यही उपाय खांसी को ठीक करने में कारगर है। 

इसके लिए एक गिलास दूध में एक चुटकी हल्दी पाउडर डालकर कुछ देर तक उबालें। गुनगुना होने पर इसे पी लें। इस दूध का सेवन दिन में दो बार किया जा सकता है। 

covid se samasya
पोस्ट कोविड कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। चित्र:शटरस्टॉक

2 कमजोरी या थकावट: 

पोस्ट कोविड कुछ लोगों को काफी दिनों तक कमजोरी या छोटा-मोटा काम करने पर थकान महसूस होने लगती है। इसलिए डाइट में पौष्टिक चीजों का सेवन बढ़ा दें। ताजे फल और हरी सब्जियां खूब खाएं। इससे शरीर एनर्जेटिक हो पाता है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार खाएं। यदि डायबिटीज पेशेंट हैं, तो ब्लड शुगर लेवल चेक करते रहें। क्योंकि कोरोना के कारण ब्लड शुगर लेवल भी बढ़ जाता है। 

3 ध्यान लगाने में परेशानी 

कोविड से उबरने के बाद कुछ लोगों को ब्रेन फॉग या फोकस करने में परेशानी का अनुभव हो सकता है। कभी-कभी यह समस्या लंबे समय तक भी बनी रह सकती है। इसका जोखिम उन लोगों में अधिक होता है, जो काेविड के दौरान पर्याप्त आराम नहीं करते। इसके लिए कोविड के दौरान पर्याप्त आराम करना सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर कोविड से उबरने के बाद भी आपको फोकस में परेशानी का अनुभव हो रहा है, तो ध्यान या मेडिटेशन आपके लिए मददगार हो सकती हैं। यह जरूरी है कि आप तनाव से दूर रहें। 

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