कोरोना (Corona Virus) ने न सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में हाहाकार मचाई थी। इससे छोटे, बड़े हर उम्र के लोग प्रभावित हुए हैं और एक बार फिर से कोरोना का कहर बढ़ने लगा है। बदलते मौसम में वैसे भी सर्दी-खांसी का डर बढ़ जाता है और ऐसे में कोरोना का बढ़ना एक बार फिर से खतरा हो सकता है। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चों के लिए खतरा काफी ज्यादा है। इस वायरस का असर फेफड़ों पर भी होता जिससे उनकी क्षमता घट जाती है। हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि कोविड-19 वायरस (Covid-19 virus) से बच्चों के फेफड़ें कमजोर हो सकते हैं।
अगर आपके बच्चे को बार-बार खांसी, सांस फूलना और फेंफडों से संबंधित समस्याएं हो रही हैं। तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि शोध के मुताबिक, कोरोना में बहुत से लोग एसिंप्टोमेटिक (वायरस बॉडी में होना लेकिन उसके लक्षण नज़र न आना) रहे। हो सकता है कि इस वायरस ने बच्चों को चपेट में लेकर उनकी फेफड़ों की क्षमता को घटा दिया जाता है। रिसर्च में तो फेफड़ों (Lungs) की स्ट्रक्चर में बदलाव देखा गया है।
बच्चों पर होने वाले कोविड के प्रभाव को लेकर एक ऑनलाइन रिसर्च की गई। ए जनरल ऑफ रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका में पब्लिश हुई इस रिसर्च में सामने आया कि लंबे वक़्त तक वायरस के रहने की वजह से संभावना अधिक यही रही कि बच्चे ओमिक्रोन और डेल्टा वायरस की चपेट में आए होंगे। इन्हें वयस्क और बुजुर्ग से अधिक या कम नुकसान हुआ होगा पर ऐसी भी संभावना जताई गई कि इससे बच्चों के फेफड़े डैमेज हुए या फिर उनके फेफड़ों के काम करने की क्षमता कम हो गयी हो।
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शोध में 54 बच्चों पर स्टडी की गयी जिसमें 11 साल तक के बच्चे शामिल थे। सभी बच्चों की लो फील्ड MRI से उनके फेफड़ों की जांच की गई। टेस्ट में पाया गया कि 29 बच्चे पूर्ण रूप से रिकवर हो चुके थे, हालांकि 25 बच्चे लॉन्ग कोविड के शिकार थे। लॉन्ग कोविड के शिकार बच्चों में से कुछ में कम और कुछ में कोरोना के अधिक लक्षण पाए गए।
कोविड ने सबसे अधिक असर फेफड़ों पर ही किया है। वायरस से ग्रस्त होने के बाद फेफड़ों की काम करने की क्षमता काफी घट जाती है जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है। इस बदलते मौसम में बच्चे सर्दी-खांसी की चपेट में आ रहा है। लेकिन अगर बच्चों बच्चे को बार बार सर्दी या खांसी हो परेशानी हो रही है या सांस लेने में किसी तरह की समस्या हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और कोशिश करें कि बच्चों को इम्यून सिस्टम मजबूत करने वाले आहार दें। और किसी भी तरह की लापरवाही न करें न ही घरेलू उपाय करें। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इलाज करें।
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