साथ खाने, बर्तन शेयर करने और चूमने से भी फैल सकते हैं नोरो और रोटा वायरस 

अमेरिका की मेडिकल रिसर्च एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों (NIH scientists) ने पाया है कि ये वायरस सलाइवा (Sliva) के माध्यम से भी फैल सकते हैं। 
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बारिश के मौसम में साथ खाने-पीने का रखें खास ख्याल। चित्र: शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 1 Jul 2022, 15:21 pm IST
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बरसात के मौसम में बढ़े आउटब्रेक का कारण बनने वाले नोरोवायरस और रोटावायरस के बारे में एक नया शोध आया है। शोध के अनुसार ये वायरस सिर्फ दूषित पानी से ही नहीं, बल्कि साथ खाने, बर्तन साझा करने अथवा एक-दूसरों को चूमने के कारण भी फैल सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वैज्ञानिकों की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एंटरिक वायरस (Enteric Virus) जो डायरिया का कारण बनते हैं, वे सलाइवा के एक्सचेंज से फैल सकते हैं। 

खांसने, बात करने, छींकने, साथ भोजन करने और बर्तन साझा करने और यहां तक ​​कि दूसरे व्यक्ति को चूमने से भी यह वायरस फैल सकता है। अभी तक इंसानों पर यह रिसर्च नहीं हो पाई है। यह रिसर्च रिपोर्ट अमेरिकी मैगजीन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है। 

यह निष्कर्ष इन वायरस से होने वाली बीमारियों को रोकने, निदान और उपचार करने के बेहतर तरीकों का पता लगाने में मदद करेगी। इस स्टडी को एनआईएच के ही एक हिस्से नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट (NHLBI) ने किया था।

लार के माध्यम से फैल सकते हैं डायरिया के वायरस

शोधकर्ता यह जानने में सक्षम हो गए हैं कि एंटरिक वायरस, जैसे नोरोवायरस और रोटावायरस किस तरह से फैल सकते हैं? यदि इन वायरस युक्त फीकल या अवशिष्ट पदार्थ से दूषित भोजन खा लिया जाता है या तरल पदार्थ पी लिया जाता है, तो यह बड़ी तेजी से फैलने लगता है। 

पहले यह माना जाता था कि एंटरिक वायरस सैलिवरी ग्लैंड को बायपास कर आंतों को टारगेट करते हैं, जो बाद में मल के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। अब शोधकर्ताओं को यह पुष्टि करनी होगी कि मनुष्यों की आंतों में एंटरिक वायरस का सेलिवा से ट्रांसमिशन संभव है। यह पता चलने पर दुनिया भर में हर साल एंटेरिक वायरस के संक्रमण से प्रभावित होने वाली संख्या को कम किया जा सकेगा।

नवजात चूहों पर किया गया प्रयोग

एनएचएलबीआई में होस्ट-पैथोजेन डायनेमिक्स की प्रयोगशाला के प्रमुख वरिष्ठ लेखक निहाल अल्तान-बोनट के अनुसार, “यह पूरी तरह से नया क्षेत्र है, क्योंकि इन वायरस को केवल आंतों में बढ़ने के बारे में सोचा गया था। एंटेरिक वायरस यदि सेलिवा से ट्रांसमिट होता है, तो निदान और उसके प्रसार को कम करने के तरीकों पर काम किया जा सकेगा।”

वर्षों से आंतों के वायरस का अध्ययन करने वाले अल्टन-बोनट के अनुसार, उनकी टीम नवजात चूहों में एंटरिक वायरस पर प्रयोग कर रही थी। इस तरह के संक्रमणों का अध्ययन करने के लिए नवजात चूहे सबसे अधिक पसंद किए जाते हैं, क्योंकि उनका इममैच्योर डाजजेस्टिव और इम्यून सिस्टम संक्रमण के प्रति अधिक सेंसिटिव होता है।

नवजात चूहों ने अपनी मांओं को किया संक्रमित

वर्तमान अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 10 दिन से भी कम उम्र के नवजात चूहों को नोरोवायरस या रोटावायरस से इनफेक्टेड भोजन खिलाया। फिर उन बच्चों को मदर माउस के साथ पिंजरों में छोड़ दिया गया। उनकी माओं ने उन्हें चाटा और चूसा, जो शुरू में वायरस मुक्त थीं। बच्चों ने भी अपनी मांओं के स्तन से दूध पिया। सिर्फ एक दिन के बाद ही टीम ने चूहों में असामान्य हरकत देखी। अल्टन बोनट की टीम के सदस्यों में से एक शोधकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक और शोधकर्ता सौरीश घोष ने कुछ असामान्य देखा।

नवजात चूहों के गले में आईजीए एंटीबॉडी में वृद्धि दिखाई दी, जो महत्वपूर्ण बीमारी से लड़ने वाले घटक हैं। जबकि नवजात चूहों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं था। घोष ने यह भी नोटिस किया कि वायरस हाई लेवल पर मदर माउस के मिल्क डक्ट में रेप्लीकेट कर रहे थे। जब घोष ने मदर माउस के स्तनों से दूध एकत्र किया, तो उन्होंने पाया कि दूध में आईजीए के बढ़ने का समय और लेवल उनके नवजात चूहों में आईजीए वृद्धि के समय और लेवल एक ही था। 

शोधकर्ताओं ने बताया कि माताओं के स्तनों में संक्रमण ने उनके स्तन के दूध में वायरस से लड़ने वाले IgA एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा दिया, जिससे बाद में नवजात चूहों को अपना संक्रमण दूर करने में मदद मिली।

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शोधकर्ताओं ने प्रयोग के बाद पाया कि नवजात चूहों ने पारंपरिक मार्ग के माध्यम से अपनी मां को वायरस प्रसारित नहीं किया था। परीक्षण करने के लिए नवजात चूहों की लार से नमूने को एकत्र किया गया। यह पाया गया कि सैलिवरी ग्लैंड्स में हाई लेवल पर ये वायरस रेप्लीकेट कर रहे थे। और बड़ी मात्रा में वायरस सेलिवा के जरिये फैल रहे थे। इससे सेलिवरी थ्योरी कन्फर्म हो गई। सकिंग से मदर माउस-से-नवजात चूहे और चूहे से मदर माउस तक वायरल ट्रांसमिशन हुआ।

और अधिक स्टडी की जरूरत

नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ मेडिकल साइंसेज के एमडी मेडिसिन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमोल रत्न कहते हैं, “नोरावायरस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बीमारी और आउटब्रेक का प्रमुख कारण है। इनमें से अधिकांश आउटब्रेक दूषित भोजन और पानी के कारण होते हैं, जो भोजन और बर्तनों को साझा करने पर रोटावायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के सीधे संपर्क में आते हैं।” हालांकि हाल के शोधों से पता चलता है कि एंटेरिक वायरस के ट्रांसमिशन का एक नया तरीका लार है।

 

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एक-दूसरे को चूमने से भी वायरस फैल सकते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

यह ट्रांसमिशन घातक हो सकता है। इसलिए दुनिया भर में अरबों लोगों की रक्षा करने के लिए वायरस ट्रांसमिशन के इस तरीके पर और अधिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है।’ 

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