एजिंग ही नहीं कैंसर का भी कारण बन सकता है लगातार तनाव, जानिए क्या कहता है शोध

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि तनाव इम्यून एजिंग को बढ़ावा देता है, जिसका मतलब है कि यह आगे चलकर कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है।
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तनाव और अवसाद में भी है अंतर, चित्र : शटरस्टॉक

हाल ही में हुए नए शोध में सामने आया है कि ट्राॅमा या किसी भी तरह के तनाव का अनुभव करने की वजह से इम्युनिटी कमजोर होने लगती है। जो संक्रमण के लिए अधिक प्रवण होती है और कैंसर और अन्य बीमारी विकसित होने के जोखिम को बढ़ाती है। इस शोध के अनुसार लगातार तनाव में रहने वाले लोग कमजोर इम्युनिटी सिस्टम, एजिंग और कैंसर के जोखिम (stress and immunity) में भी जा सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रॉमा और समाज में हो रहे भेदभाव की वजह से लोग लगातार तनाव लेने लग जाते हैं। जिसकी वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इसका पता शोधकर्ताओं को टी सेल्स में उतार – चढ़ाव की जांच करने के बाद चला।

ट्रॉमा और भेदभाव दो प्रमुख प्रकार की टी सेल्स में उतार – चाढ़ाव का कारण बनता है। एक वो जो इम्यून अटैक करते हैं और दूसरे वो जो इम्यून अटैक को रेगुलेट करते हैं। मगर तनाव के कारण सिर्फ एक तरह के सेल्स पर ही असर पड़ता है।

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तनाव को दूर करने की कोशिश करें। चित्र : शटरस्टॉक

और भी हो सकते हैं कारण

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान, मोटापा, शराब और उम्र जैसे जीवनशैली कारकों को हटा दिए जाने पर तनाव का प्रभाव उतना नहीं रह जाता है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रमुख अध्ययन लेखक डॉ. एरिक क्लोपैक ने कहा ”यह हमें संकेत देता है कि जो लोग तनाव का अनुभव करते हैं, उनका आहार खराब होता है और व्यायाम भी नहीं करते हैं। इसका मतलब है कि स्वस्थ खानपान और एक अच्छा रूटीन तनाव के स्तर को कम कर सकता है।

साइटोमेगालोवायरस है इम्यून एजिंग का कारण

इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं ने पाया कि साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus), हरपीज़ परिवार का एक वायरस है, जो कई प्रतिभागियों के लिए प्रतिरक्षा उम्र बढ़ने का एक कारक है। सीएमवी एक सामान्य वायरस है जिसे इम्यून एजिंग के लिए जाना जाता है। एक बार संक्रमित होने के बाद, व्यक्ति को जीवन भर के लिए वायरस होगा, अक्सर हरपीज़ या कोल्ड सोर के रूप में।

रक्त के नमूने लिए गए और उनकी टी कोशिकाओं की गिनती की गई। हालांकि प्रतिरक्षा प्रणाली में टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा उम्र बढ़ने से प्रभावित एकमात्र कोशिकाएं नहीं हैं, वे प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक हैं।

टी कोशिकाएं कैंसर और रोगजनकों से लड़ने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, टी कोशिकाओं का जल्दी नुकसान कैंसर, संक्रामक रोगों और अन्य स्थितियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक हो सकता है।

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लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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