बच्चों को बनाना है अनुशासित और कामयाब, तो आज ही से छोड़ दें ये 5 हरकतें

पेरेंट्स अपने बच्चों से चाहते हैं कि उनके बच्चे गुड मैनर वाले हों। उनकी हर बात वे मानें। बच्चों को गुड पर्सन बनाने के लिए आपको कुछ बातें नहीं करनी चाहिए। इस बारे में क्या कहती हैं एक्सपर्ट?
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परीक्षा में समय अच्छी पैरेंटिंग से करें बच्चों को गाइड। चित्र- अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 9 Jan 2023, 13:09 pm IST
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पेरेंट्स की इच्छा होती है कि उनका बच्चा अच्छा व्यवहार करे। क्लास में अच्छे रिजल्ट्स लाये। लेकिन जब उनका बच्चा कुछ मुश्किल में फंसता है, तो पेरेंट्स तुरंत आगे आ जाते हैं। वे बच्चे की मदद करते हैं। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से बच्चे के रास्ते की बाधा दूर हो गई। अब वह तेजी से आगे बढ़ पायेगा। अपने काम पूरे कर पायेगा। पर यहां पर हम गलत हैं। हम बच्चों का काम कर उन्हें मुश्किलों से सीखने से वंचित कर देते हैं। मशहूर पेरेंटिंग कोच और इन्स्टाग्राम पर गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी प्रोग्राम चलाने वाली डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी इससे अलग राय रखती हैं। वे अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं कि यदि हम अपने बच्चों को गुड मैनर और गुड स्किल से लैस करना चाहते हैं, तो कुछ चीज़ों (how to discipline a child) को हमें नहीं करना चाहिए।

बच्चों को क्या सिखाएं 

डॉ. पल्लवी कहती हैं, ‘बच्चों को यह सीखने की जरूरत है कि समस्याओं और चुनौतियों से खुद कैसे निपटना है। दुर्भाग्य से कई बार हमें लगता है कि हम शॉर्टकट से उनकी मदद कर रहे हैं। वास्तव में हम उनकी किसी प्रकार की सहायता नहीं कर रहे हैं। कभी-कभी बच्चों के लिए सबसे अच्छी चीज जो आप कर सकती हैं, वह है एक कदम पीछे हटना। उन्हें खुद अपनी समस्याओं के बारे में जानने देना। समस्याओं का हल निकालने देना। हमें यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि हम गिरने से भी बहुत कुछ सीखते हैं। गिरना, संभलना और पाना भी एक हुनर है, जिसे बच्चों को भी सीखना चाहिए।’

डॉ. पल्लवी के अनुसार, वे 5 चीजें जो बच्चों को गुड पर्सन बनाने के लिए हमें नहीं करना चाहिए

1 स्कूल का होमवर्क (Homework) और एक्टिविटी करना

कई बार हमें लगता है कि बच्चा थक गया होगा। इस काम को पूरा कर देने पर वह दूसरा काम भी जल्दी कर लेगा। इसलिए स्कूल में दिए होम वर्क को हम पूरा कर लेते हैं। किसी प्रकार की एक्टिविटी वर्क को घर से तैयार कर लाने को कहा गया है, तो उसे मैं पूरा कर देती हूं। ऐसा करके हम उसके लिए काम आसान नहीं बल्कि कथी बना रहे हैं। एक बार यदि ऐसा कर लिया जाता है, तो बच्चा बार-बार होमवर्क करने की जिद करेगा। कई ऐसी चीजें वह नहीं सीख पायेगा, जो उसकी क्लास की पढाई के लिए जरूरी है। इससे उसमें आत्मविश्वास की भी कमी ही जाएगी।

2 उनके हक में हर फैसला

बच्चे अपनी कुछ चाहत और मांग को लेकर फैसला लेते हैं। इन्हें अपने पैरेंट को सुनाते हैं। यदि आप उनका हर जायज-नाजायज फैसला मान लेती हैं, तो उसे इसकी लग लग जाती है। वह सोचता है कि उसके निर्णय लेने का मतलब ही है- उसका हर फैसला पेरेंट को मानना पड़ेगा। यदि बच्चा कुछ गलत फैसला सुनाता है, तो उसे मानने से तुरंत इनकार कर दें। उसे समझाएं कि अभी उसका हर फैसला सही नहीं है। हर बात उसे बारीकी से समझाएं।

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यदि बच्चा कुछ गलत फैसला सुनाता है, तो उसे मानने से तुरंत इनकार कर दें। चित्र: शटरस्टॉक

3 उनके हर एक काम की तारीफ करते हैं

बच्चा अच्छा-बुरा जो भी काम करता है, आप दोनों को तारीफ़ करने की आदत है। यह जान लें कि अब आपका बच्चा बड़ा हो गया है। उसके गलत काम पर उसकी बुराई होगी। यदि किसी तरह के हुनर का काम वह औसत दर्जे का करता है, तो उसे जरूर बताएं। उसकी आलोचना कीजिये। उसे बताएं—निंदक नियरे राखिये… का कितना महत्व है।

4 हमेशा उन्हें असफलता से बचाते हैं

बच्चा किसी चीज में असफल हो जाता है, तो हम आगे बढकर उसकी असफलता के गम को कम करने की कोशिश करने लगते हैं। उन्हें असफल होने से बचा लेना चाहते हैं। डॉ. पल्लवी कहती हैं, ‘ सफलता का स्वाद चखने के लिए असफलता भी जरूरी है। असफलता का सामना करने पर ही बच्चे सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।

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असफलता का सामना करने पर ही बच्चे सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। चित्र : शटरस्टॉक

5 वे जो चाहते हैं सब कुछ मिल जाता है

बच्चा जैसे ही किसी चीज की मांग करता है, उसकी मांग पूरी हो जाती है। ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चे को हर बुरी और अच्छी चीज नहीं देनी चाहिए। इससे वह चिडचिडा हो जाता है वह जिद्दी बन जाता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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