आजकल पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) के बारे में जागरूकता काफी बढ़ गई है। यह एक तरह का लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसकी गंभीरता इसी बात से आंकी जा सकती है कि हर 4 में से 1 स्त्री पीसीओएस से ग्रस्त है। इस में लो या इररेगुलर पीरियड्स के साथ-साथ हाइपरएंड्रोजेनिज्म के लक्षण जैसे मुंहासे, चेहरे के बालों का बढ़ना,गंजापन आदि शामिल हैं।
मगर क्या आप जानती हैं कि यह सिंड्रोम केवल महिलाओं में प्रजनन प्रणाली तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे शरीर के हर अंग को प्रभावित कर सकता है – जैसे कि आपका लिवर।
दक्षिणी कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं के एक समूह के नए शोध के अनुसार, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित महिलाओं में लिवर रोग खासतौर से Nonalcoholic fatty liver disease (NAFLD) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। पीसीओएस एक हार्मोन असंतुलन है, जो इंसुलिन प्रतिरोध द्वारा प्रकट होता है। यह ओव्यूलेशन और प्रजनन क्षमता में हस्तक्षेप करता है।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (NALD) वाली चार महिलाओं में से एक को नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस हो सकता है। यह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) का सबसे गंभीर रूप है। इम के स्तर का मापन इस तरह के लीवर की क्षति का पता लगाने में विफल हो सकता है।
क्या वाकई पीसीओएस या अनियमित पीरियड्स आपके लिवर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं? इस बारे में और जानने के लिए हमने मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति सलाहकार, डॉ. अनघा छत्रपति से बात की। डॉ अनघा से जानते हैं पीसीओएस और लिवर हेल्थ का कनैक्शन।
डॉ. अनघा के अनुसार – ” नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डीजीज (NAFLD) लिवर की बीमारी का सबसे आम कारण है, जो अंतिम चरण के लिवर की विफलता के गंभीर परिणामों में बढ़ सकता है।”
डॉ. अनघा बताती हैं कि – ”इंसुलिन प्रतिरोध के विकृति के कारण पीसीओएस के रोगियों में एनएएफएलडी देखा गया है। मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और एण्ड्रोजन की अधिकता से मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है जो लिवर में वसा के संचय का सबसे आम कारण है जिससे लिवर खराब हो जाता है।”
”इंसुलिन प्रतिरोध त्वरित लाइपोलिसिस का कारण बनता है जिससे लिवर में फैटी एसिड के मुक्त प्रवाह में वृद्धि होती है, जिससे वसा जमा होती है। इससे होने वाली क्षति शराब के कारण होने वाले डैमेज के समान है। अन्य योगदानकर्ताओं में पोषण संबंधी विकार, कुछ दवाएं और अन्य स्थितियां शामिल हैं जो हेपेटाइटिस समूह के वायरस (हेप बी. या हेप सी.) के संक्रमण के रूप में लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।”
पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में फैटी लिवर रोग में योगदान करने वाले कारकों में शामिल हैं:
पेट का अतिरिक्त वजन
उच्च ट्राइग्लिसराइड्स
हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर
कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर
वसा, चीनी और परिष्कृत खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन
गतिहीन जीवन शैली
यदि आप इससे बचना चाहती हैं, तो अपना वज़न कम करें, संतुलित आहार लें और एक्सरसाइज़ करना न भूलें। डॉ. छत्रपति के अनुसार ”उपचार में आहार, वजन घटाने और व्यायाम सहित जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं जो सबसे उपयुक्त हैं। चिकित्सा प्रबंधन में मेटफोर्मिन शामिल है जो इंसुलिन प्रतिरोध वाले मधुमेह रोगियों को दी जाने वाली दवा है।”
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