पीसीओएस और पीसीओडी के बीच कन्फ्यूज़ हैं? यासमीन कराचीवाला बता रहीं है इन दोनों में फर्क

पीसीओएस (PCOS) और पीसीओडी (PCOD) महिलाओं के अंडाशय (ovaries) और हॉर्मोन से संबंधित आम समस्या है। लेकिन क्या आप इन दोनों को लेकर कंफ्यूज हैं? सेलेब फिटनेस इंस्ट्रक्टर यास्मीन कराचीवाला स्त्री रोग विशेषज्ञ की मदद से आपकी इस कन्फ्यूजन को दूर कर रहीं हैं।
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पीसीओएस हार्ट हेल्‍थ को भी प्रभावित कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 23 Oct 2023, 09:49 am IST
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस (PCOS) महिलाओं में सबसे आम हॉर्मोनल विकार है और यह महिलाओं में बांझपन (infertility) का आम कारण है। मधुमेह, डिप्रेशन (depression) और एंडोमेट्रियल कैंसर (endometrial cancer)  भी बांझपन से जुड़े कुछ कारण हैं। इससे साफ पता चलता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है। वर्तमान में, पीसीओएस (PCOS) का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, बर्थ कंट्रोल पिल्स (birth control pills), नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

हमें यकीन है कि आपने पीसीओएस के बारे में पहले भी सुना होगा। फिर भी, बहुत से लोग पीसीओडी और पीसीओएस शब्दों का गलत उपयोग करते है। इन दो स्थितियों को समझने में आपकी मदद करने के लिए, फिटनेस ट्रेनर यास्मीन कराचीवाला ने प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ रंजना धनु के साथ अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इसके बारे में बात की है।

वह कहती है, “आप सब जानते हैं कि पीसीओ (PCO) क्या है। लेकिन क्या होगा अगर हम इसमें एक डी (D) लगा दें?” 

kya hai PCOD aur PCOS
क्या होता है पीसीओडी और पीसीओएस? चित्र: शटरस्टॉक

यहां पढ़िये पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस (PCOS) से जुड़े कुछ आम सवाल 

1. पीसीओडी और पीसीओएस क्या है?

पीसीओएस एंडोक्रिन सिस्टम (endocrine system) से जुड़ा एक मेटाबोलिक विकार है। इस स्थिति में, अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन होता है और इससे ओव्यूलेशन (ovulation) नियमित रूप से ही हो पाता। दूसरी ओर, पीसीओडी एक स्थिति है जिसमें अंडाशय समय से पहले अंडे छोड़ते हैं, जो समय के साथ सिस्ट (cyst) में बदल जाते हैं। दोनों के बीच अंतर बताते हुए, डॉ धनु कहती हैं कि पीसीओडी ओव्यूलेशन की समस्या से जुड़ा हुआ है। 

लेकिन पीसीओएस में अंडे अंडाशय (ovaries) में फंस जाते हैं और मट्युर (mature) अंडे नहीं निकलते हैं। इसके बजाय, वे अपने आसपास थोड़ी मात्रा में फ्लूइड (fluid) के साथ अंडाशय में रहते हैं। जब आप ओव्यूलेट नहीं करते हैं, तो इस अवस्था को एनोव्यूलेशन (anovulation) के रूप में जाना जाता है।

और यही स्थिति एक अलग रूप में आती है  जिसे पीसीओएस कहा जाता है। इसके  लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होते हैं।  लेकिन कुछ सामान्य लक्षण  हैं ब्लीडिंग की समस्या, कॉस्मेटिक मुद्दे जैसे मुंहासे या हिर्सुटिज़्म, अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का न होना, मूड स्विंग और वजन बढ़ना या मोटापा।

2. मिलेनियल्स और नई पीढ़ी इस मुद्दे से ज्यादा प्रभावित क्यों है?

डॉ धनु बताती हैं कि जब हम बच्चे थे तो आउटडोर गेम्स (outdoor games) खेलते थे। आज लड़कियों ऐसा नहीं करती है।  जिसका अर्थ है कि शायद ही कोई शारीरिक गतिविधि हो रही हो। इसके बजाय, वे अपना अधिकांश समय कंप्यूटर के सामने बैठकर बिता रही है और पर्याप्त व्यायाम नहीं कर रही। 

इसके अलावा, बहुत देर तक सोशल मीडिया और बिन्ज इटिंग (binge eating) से नींद की कमी, डीहाईड्रेशन (dehydration), वजन बढ़ना, हाइपरप्रोटीनेमिया (hyperproteinemia) , थायराइड (thyroid) की समस्या और मूड स्विंग हो रहा है। इसके लिए जीवन शैली को दोष दिया जा सकता है। 

3. वज़न बढ़ने और पीसीओएस में क्या संबंध है?

वजन बढ़ना पीसीओएस का सबसे आम लक्षण है। डॉ धनु कहती हैं कि पीसीओएस के साथ समस्या यह है कि इसमे ओव्यूलेशन नहीं होता है और अंडे अंडाशय (ovaries) में फंस जाते हैं और निकल नहीं पाते हैं। ये अंडे पुरुष हार्मोन को बंद कर देते है जिससे थायराइड (thyroid) और प्रोलैक्टिन (prolactin) पैदा होता हैं। थायराइड और प्रोलैक्टिन वजन बढ़ाने का कारण बनते हैं। इससे पीसीओएस के लक्षण बिगड़ते हैं। इस प्रकार वजन बढ़ना और पीसीओएस एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

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वज़न बढ़ना है पीसीओएस के लक्षण। चित्र: शटरस्टॉक

 

4. पीसीओएस के चक्र को कैसे तोड़े?

डॉ धनु ने कहा, “पीसीओएस को नियंत्रित करने के लिए वजन पर ध्यान, आहार के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव और व्यायाम करने की आवश्यकता है। गंभीर मामलों में, हमें महिलाओं को मधुमेह विरोधी उपचार, या एंटी-प्रोलैक्टिन (anti-prolactin) पर रखना होगा। अन्यथा, इससे वजन बढ़ सकता है और यह हो सकता है कि थाइरोइड उपचार के बाद अधिक हो। साथ ही, अगर किसी मरीज को मुंहासे या हिर्सुटिज्म जैसे किसी विशेष लक्षण का सामना करना पड़ रहा है, तो हम उसका भी इलाज शुरू कर देते हैं।”

5. क्या पीसीओएस पूरी तरह खत्म हो सकता है?

डॉ धनु स्पष्ट रूप से कहती हैं कि एक बार जब आपको पीसीओएस का पता चल जाता है, तो यह आजीवन रहने वाला है। लेकिन आप अपने वजन को नियंत्रित करके, आहार और जीवनशैली में बदलाव करके और इसके  लक्षणों का इलाज करके ही बीमारी की गंभीरता को कम कर सकते हैं। 

कराचीवाला ने डॉक्टर धनु से यह भी पूछा कि क्या पीसीओएस का इलाज शल्य चिकित्सा (operation) से किया जा सकता है? जवाब में, डॉ धनु ने कहा कि पीसीओएस में सर्जरी के लिए कोई जगह नहीं है, जब तक इंफर्टिलिटी (infertility) की समस्या न हो।

इससे जुड़ी कुछ और जरूरी बातें 

कराचीवाला ने डॉ धनु से पीसीओएस पीड़ित महिलाओं को किस तरह के व्यायाम करने चाहिए, इस बारे में मार्गदर्शन करने को कहा।

डॉ धनु ने निष्कर्ष निकाला, “आप एक दिन में दस हजार कदम (walk), योग और पिलाटेज (pilates) जैसे कोर मजबूत करने वाले व्यायाम शामिल कर सकती हैं। यह मधुमेह, हाइपरथायरायडिज्म (hyperthyroidism), हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism), हाई ब्लड प्रेशर को दूर रखने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, व्यायाम करने से आप खुश रहेंगी।”

 

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