PMDD : क्या आप भी पीरियड्स के दौरान बहुत झगड़ालू या भावुक हो जाती हैं? तो ये हो सकते हैं पीएमडीडी के लक्षण 

मासिक धर्म के दो सप्ताह पहले से उत्पन हो सकने वाले पीएमएस या मासिक धर्म के पूर्व होने वाले तनाव यानी (PMT) से ज़्यादा खतरनाक है पीएमडीडी।
पीएमएस से ज़्यादा तकलीफदेह है पीएमडीडी, चित्र:शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 20 Oct 2023, 09:12 am IST
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माहवारी अपने साथ बहुत सारी समस्याएं लेकर आती है। पेट दर्द, कमर दर्द, जांघों में होने वाला भयंकर दर्द। इसके बावजूद आपको अपने डेली रुटीन निपटाने होते हैं। न केवल आपको फिजिकली एक्टिव रहना होता है, बल्कि भावनात्मक तौर पर भी कई जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है। क्या इन जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए आपको इतना ज्यादा गुस्सा आता है कि आप लोगों से झगड़ने लगती हैं, चिल्लाने लगती हैं या कभी-कभी इतनी उदास हो जाती हैं कि आत्मघाती कदम उठाने का मन करता है? तो आपको यथाशीघ्र मदद की जरूरत है। क्योंकि ये साधारण पीएमएस नहीं बल्कि पीएमडीडी (premenstrual dysphoric disorder) के लक्षण हैं। 

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) क्या है?

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का कहीं ज़्यादा गंभीर रूप है। पीएमएस आपके मासिक धर्म से एक या दो सप्ताह पहले सूजन, सिरदर्द और स्तन में कोमलता का कारण बनता है।

वहीं पीएमडीडी के साथ, आपको अत्यधिक चिड़चिड़ापन, चिंता या अवसाद के साथ-साथ पीएमएस के लक्षण भी हो सकते हैं। पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर इन लक्षणों में सुधार होता है, लेकिन ये काफी गंभीर हो सकते हैं। कई बार ये लक्षण आपके जीवन में उथल-पुथल भी मचा सकते हैं.

क्या पीएमडीडी कोई दुर्लभ समस्या है? 

एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार PMDD उन 10% महिलाओं को प्रभावित कर सकता है जिन्हें पीरियड्स होते हैं। यानी यह बहुत आम नहीं है। सौ में से केवल 10 महिलाओं को अपने पीरियड्स के दौरान इसका अनुभव होता है।

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इस दौरान किसी भी तरह के भावनात्मक निर्णय लेने से बचें, चित्र:शटरस्टॉक

पीएमडीडी किसे हो सकता है?

आपको पीएमडीडी होने का अधिक खतरा हो सकता है यदि आपको

चिंता या अवसाद है।

पीएमएस है।

पीएमएस, पीएमडीडी या मूड डिसऑर्डर का पारिवारिक इतिहास रहा है।

क्या हो सकता है पीएमडीडी का कारण

विशेषज्ञ नहीं जानते कि कुछ महिलाओं को पीएमडीडी क्यों होता है। ओव्यूलेशन के बाद और मासिक धर्म से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के घटते स्तर लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं।
सेरोटोनिन, मस्तिष्क में बनने वाला एक ऐसा रसायन है जो मूड, भूख और नींद को नियंत्रित करता है। इसकी अधिकता भी पीएमडीडी होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आपके मासिक धर्म के दौरान हार्मोन के स्तर की तरह सेरोटोनिन का स्तर भी बदलता रहता है।

पीएमडीडी के लक्षण क्या हैं?

PMDD के लक्षण मासिक धर्म से एक या दो सप्ताह पहले दिखाई देते हैं और आपके मासिक धर्म शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर चले जाते हैं। पीएमएस के लक्षणों के अलावा पीएमडीडी के दौरान ये लक्ष्ण हो सकते हैं:

क्रोध या चिड़चिड़ापन।

घबराहट या घबराहट के दौरे पड़ना।

अवसाद होना और आत्मघाती विचार आना।

मुश्किल से ध्यान केन्द्रित कर पाना।

थकान और कम ऊर्जा महसूस होना।

खाने की इच्छा बढ़ जाना।

सिरदर्द, अनिद्रा, मूडस्विंग्स।

Periods aapke PTSD ko affect karte hai
पीरियड्स मूड स्विंग्स अगर आत्महत्या के खयाल के साथ आए तो हो सकता है आपको भी हो पीएमडीडी । चित्र:शटरस्टॉक

निदान और परीक्षण

पीएमडीडी का निदान कैसे किया जाता है?

डॉक्टर पहले आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री लेंगे और फिर आपके लक्षणों का मूल्यांकन किया जाएगा। आपको एक या दो मासिक धर्म चक्रों के माध्यम से अपने लक्षणों को ट्रैक करने की आवश्यकता पड़ सकती है। पीएमडीडी का निदान करने के लिए, वे मूडस्विंग्स से संबंधित लक्षण सहित पांच या उससे अधिक पीएमडीडी लक्षणों की तलाश करेंगे। वे चिंता, अवसाद या प्रजनन संबंधी विकारों जैसी अन्य स्थितियों का पता लगा कर उनका निदान करेंगे।

क्या इस समस्या को किसी तरह मैनेज किया जा सकता है? 

PMDD को प्रबंधित करने के लिए आपका डॉक्टर इनमें से एक या अधिक उपचारों की सलाह दे सकते हैं:

आपके मस्तिष्क के सेरोटोनिन के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए वे आपको एंटीडिप्रेसेंट दे सकते हैं।

आहार यानी आपकी डाइट में परिवर्तन कर नमकीन, वसायुक्त या शर्करायुक्त खाद्य पदार्थों और कैफीन को कम करेंगे।

बर्थ कंट्रोल की दवाएं जिसमें ड्रोसपाइरोन और एथिनिल एस्ट्राडियोल होता है, भी दी जा सकती हैं।

ऐंठन, सिरदर्द, स्तन कोमलता और अन्य शारीरिक लक्षणों को कम करने के लिए हल्के पेनकिलर्स भी दिए जा सकते हैं।

मूड में सुधार के लिए नियमित व्यायाम की सलाह दी जाती है।

तनाव प्रबंधन यानी एंग्जाइटी मैनेजमेंट के लिए गहरी सांस लेने जैसे  व्यायाम और ध्यान की सलाह भी कारगर हो सकती है।

पीएमडीडी की जटिलताएं क्या हैं?

इलाज न होने की स्थिति में पीएमडीडी अवसाद और गंभीर मामलों में, आत्महत्या का कारण बन सकता है। यह विकार गंभीर भावनात्मक संकट भी पैदा कर सकता है और रिश्तों और करियर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। ऐसी स्थिति में बेहद ज़रूरी है कि जीवन का कोई भी महत्वपूर्ण फैसला न लिया जाए क्योंकि अतिरिक्त भावुकता में लिए गए ऐसे फैसले आपकी पूरी ज़िन्दगी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

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