क्या आपके बच्चे भी बात-बात पर गाली देते हैं, तो ये आदत छुड़ाने के लिए अपनाएं ये  5 एक्सपर्ट टिप्स

क्या आपके बच्चे में कभी-कभार गाली देने की आदत पड़ गई है। वह स्वेयर वर्ड का इस्तेमाल करने लगा है? यहां हैं इस आदत को छुड़ाने के 5 एक्सपर्ट टिप्स।
Bachhon ko bhi ho sakti hai anxiety
जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चा डिसअपाइटमेंट से डील करना सीख जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 17 Sep 2022, 21:00 pm IST
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कई पेरेंट्स इस बात की शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे को गाली देने की आदत पड़ गई है। वह कभी-कभी स्वेयर वर्ड का इस्तेमाल करने लगा है। लोगों के बीच उसकी इस आदत से हमें शर्मिंदा भी होना पड़ता है। वास्तव में पेरेंट्स यह जान भी नहीं पाते हैं कि उनके बच्चे में यह आदत कैसे और कहां से डेवलप हो गई। हमें इस बात से वाकिफ होना चाहिए कि बच्चा हर आदत अपने परिवेश से ही सीखता है। यदि पेरेंट्स या घर के किसी अन्य सदस्य को गाली देने की आदत है, तो बच्चे भी उनकी इस आदत को फॉलो करने लग जाते हैं। कई बार किसी फ्रेंड, क्लासमेट से भी वह यह आदत सीख लेता है। उसे लगता है कि गाली देना फैशनेबल लगता है। इससे उसकी लोगों के बीच धाक बनती है। उसकी इस नई डेवलप हुई आदत की सराहना पेरेंट्स भी करेंगे। वह अपनी धौंस जमाने के लिए अपने से छोटे भाई-बहन या संबंधियों को गाली दे देता है।

प्यार से समझा-बुझा कर या सही ढंग से बतायें गाली न देने के बारे में

वह इस बात से बिल्कुल अंजान होता है कि हमारे समाज में गाली देने को अच्छा नहीं माना जाता है। यह बुरी आदत है। बच्चे की किसी भी बुरी आदत को मार या डांट कर नहीं बल्कि उसे प्यार से समझा-बुझा कर या सही ढंग से बताकर खत्म किया जा सकता है। प्रसिद्ध् पेरेंटिंग कोच और गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी की फाउंडर डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट पर कुछ टिप्स बता रही हैं। इनके जरिये आप अपने बच्चे की गाली देने या स्वेयर वर्ड यूज करने की बुरी आदत से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं।

 यहां हैं पेरेंटिंग कोच डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी की 4 टिप्स (parenting tips to break the habit of swearing in children)


 पल्लवी कहती हैं कि बच्चों के मुंह से जब आप पहली बार कोई स्वेयर वर्ड सुनती हैं, तो आपका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है। पर यहां आपको समझदारी से काम लेने की जरूरत है। डांटने या मारने की बजाय उन्हें प्यार से समझाएं। इन टिप्स की मदद से आप हमेशा के लिए बच्चों की इस बुरी आदत को खत्म कर सकती हैं।

 1 गाली देना या स्वेयर वर्ड यूज करना किसी भी जगह के लिए अनुकूल नहीं होता है

बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि गाली देने को किसी भी जगह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यदि वह घर में बार-बार स्वेयर वर्ड का यूज करता है, तो स्कूल जाकर भी वह अपनी इस आदत को बरकरार रखेगा। यह स्कूल अनुशासन के खिलाफ बात होगी। उसे बताएं कि स्कूल टीचर उसकी इस आदत को कभी अच्छा नहीं मानेंगे। इसके अलावा, क्लासमेट, पीयर सभी उसकी इस आदत से परेशान हो जाएंगे। इसलिए इस बुरी आदत को वह हमेशा के लिए छोड़ दे।

2 पारिवारिक मूल्यों की प्राथमिकता

बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि हर परिवार के कुछ मूल्य होते हैं। पारिवारिक मूल्यों के अनुसार, गाली देने या स्वेयर वर्ड के इस्तेमाल को कभी अच्छा नहीं माना जा सकता है। गाली देना व्यक्ति के वीक पर्सनैल्टी का प्रतीक है। इससे तुम्हारी पर्सनैल्टी भी सभी के सामने वीक मानी जाएगी।

3 गाली लोगों को दुख पहुंचाती है

हर व्यक्ति को गाली देना या गाली सुनना अच्छा नहीं लगता है। कुछ लोग इससे इतने अधिक हर्ट हो जाते हैं कि वे गाली देने वाले बच्चे या बड़े से बातचीत तक करना पसंद नहीं करते हैं।

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बच्चे को यह जरूर बतायें कि उसकी गाली देने की आदत किसी को दुखी कर सकती है।
चित्र:शटरस्टॉक

तुम्हारा उद्​देश्य किसी को हर्ट करना तो नहीं ही होगा। यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारी बातों से किसी को दुख न पहुंचे, तो आज से गाली देना छोड़ दो।

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 4 स्वेयर वर्ड या गालियों के भी हैं अल्टरनेटिव वर्ड

बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि स्वेयर वर्ड या गालियों के भी अल्टरनेटिव वर्ड हैं। ओह गॉस, ओह गॉड जैसे कई वर्ड हैं, जिन्हें तुम आई स्वेयर वर्ड के बदले बोल सकते हो। शुरुआत में इन्हें अपनाने में दिक्कत हो सकती है। पर अच्छी आदतों को अपनाने में ज्यादा देर नहीं लगती है।

अंत में

बच्चों के लिए पेरेंट्स ही सबसे बड़े उदाहरण होते हैं। उनकी आदतों, व्यवहार को ही बच्चे फॉलो करते हैं। यदि आपको भी गाली देने या बातचीत के दौरान स्वेयर वर्ड कहने की आदत है, तो संभल जाएं।

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खुद में अच्छी आदत डालें और बच्चों को भी सिखायें। चित्र: शटरस्टॉक

आपका बच्चा आपको फॉलो कर रहा है। किसी बात के लिए मना करने से पहले खुद को जरूर जांचें कि कहीं यह गंदी आदत आपमें भी तो नहीं है। यदि है, तो बच्चे को मना करने से पहले खुद में सुधार लायें।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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