क्या आप भी चाय-कॉफी के सहारे देर रात तक जाग रहीं हैं, तो जानिए आपकी सेहत पर इसका दुष्प्रभाव

जब आपको नींद आ रही हो, तो सेहत के लिए जरूरी है कि सोया जाए। अगर आप इसे चाय या कॉफी के मग के सहारे स्थगित कर रहीं हैं, तो निकट भविष्य में आपको कई मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
Coffee mood booster hai par ise neend ka vikalp na banayen
कॉफी मूड बूस्टर है पर इसे नींद का विकल्प न बनाएं। चित्र : शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 25 Apr 2022, 22:00 pm IST
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रात को काम करते हुए चाय कॉफ़ी पी कर सुस्ती तो हम सब ने कभी न कभी दूर की ही होगी। पर क्या आप जानती हैं चाय और कॉफ़ी में कैफीन होती है। कैफीन की ही वजह से हमारे शरीर में मौजूद सुस्ती या नींद आना बंद हो जाती है। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रात को कॉफ़ी या चाय पीने से इन्सोमिया यानी नींद न आने की परेशानी हो सकती है। जो भविष्य में आपके लिए फोकस, मेमोरी और तनाव संबंधी समस्याएं खड़ी कर सकता है। यहां जानिए कैसे आपकी ब्रेन हेल्थ को प्रभावित करता है कैफीन (caffeine side effects)।

चाय-कॉफी के दीवानों के लिए बुरी खबर

चाय और कॉफ़ी को अगर आपने रूटीन का हिस्सा बनाया हुआ, तो इसके सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी जानें :

कैफीन का सेवन सबसे ज्यादा चाय या कॉफ़ी से बने ड्रिंक्स में किया जाता है। चूंकि कैफीनयुक्त उत्पादों में बहुत अधिक विविधताएं हैं, इसलिए यह जानना मुश्किल हो सकता है कि किसी विशेष पेय में कैफीन की मात्रा कितनी है। कैफीन युक्त ड्रिंक्स में कॉफी सबसे आम है। एक आठ औंस कप कॉफी में 95-200 मिलीग्राम कैफीन होता है। तुलना के लिए, एक 12 औंस सोडा में 35-45mg होता है, जो एक माइल्ड कप कॉफी की मात्रा का लगभग आधा होता है।

coke me bhi caffeine maujood hota hai
कोक में भी कैफीन पाया जाता है। चित्र: शटरस्टॉक

यहां जानिए किस पेय पदार्थ से आप ले रहीं हैं कितना

8 कप कॉफी – 95 – 200mg
8 कप एनर्जी ड्रिंक – 70 – 100 मिलीग्राम
12 कप सोडा – 35 – 45 मिलीग्राम
8 कप चाय – 14 – 60 मिलीग्राम

जानें कैफीन मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है?

जब हम कैफीन मिले ड्रिंक और फ़ूड आइटम्स लेते हैं, तो हमारा पेट और स्मॉल इंटेस्टाइन कैफीन को जल्दी एब्जॉर्ब कर लेते हैं। कैफीन का सबसे ज्यादा असर आमतौर पर इसे लेने से 30-60 मिनट के बीच हो सकता है। शरीर में कैफीन पहुंचने के बाद यह पूरे शरीर में पहुंचता है, और फिर शरीर में मौजूद खून से मस्तिष्क तक पहुंचता है।

कैफीन मस्तिष्क में पहुंचकर, एडेनोसाइन रिसेप्टर्स को काम करने से रोकता है। एडीनोसिन एक नींद को बढ़ावा देने वाला रसायन है, जो हमारे जागने के समय मस्तिष्क में उत्पन्न होता है। आम तौर पर, हम जितनी देर तक जागते हैं, मस्तिष्क में एडेनोसाइन बनता है। जितना अधिक यह बनता है, हम उतना ही ज़्यादा सोते हैं। जब कैफीन इस प्रक्रिया को रोकता है, तो हम सतर्क रहते हैं यानी हमारी नींद भाग जाती है।

इस बारे में क्या कहते हैं शोध 

शोध से यह भी पता चला है कि कैफीन सर्कैडियन मेलाटोनिन को भी बनने से रोकता है। यही वजह है कि रात में कॉफी पीने पर आपको नींद आने में समस्या का सामना करना पड़ता है। सर्कैडियन रिद्म हमारे सोने-जागने के सर्कल को लगातार बनाए रखता है। एडेनोसाइन का निर्माण इस प्रक्रिया में योगदान देता है, जिस पर कैफीन बुरा प्रभाव डालता है। भविष्य में यह आपकी मेमोरी और फोकस दोनों को प्रभावित करता है।

Do cup se adhik coffee apki sehat ko prabhavit kar sakti hai
दो कप से अधिक कॉफी आपकी सेहत को प्रभावित कर सकती है। चित्र : शटरस्टॉक

कितने समय तक रहता है कैफीन का प्रभाव?

आमतौर पर कैफीन का प्रभाव इसे लेने से 4-6 घंटे के बीच बना रहता है। कैफीन में मौजूद कॉम्पोनेंट्स डाइजेशन की प्रक्रिया को धीमा या तेज कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को कैफीन लेने से डाइजेशन में दिक्कत आती है। यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान कराती हैं तो चाय या कॉफी से बचना चाहिए। आप चाहें तो दिन भर में सिर्फ दो कप कॉफी ले सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान, नाल के माध्यम से बच्चे तक कैफीन पहुंच सकता है। स्तन के दूध में कैफीन की एक ट्रेस की जाने लायक मात्रा भी पाई जा सकती है। गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चाय कॉफ़ी को गुडबाय कहने में देर नहीं लगानी चाहिए। क्योंकि यह उनके बच्चे की ब्रेन हेल्थ को प्रभावित करती हैं।

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