Sologamy : जानिए क्या है ये टर्म और क्यों आजकल सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है

सिर्फ खुद के साथ कोई एक शाम बितानी हो या पूरी जिंदगी, यह पूरी तरह से आपका निजी मसला है। इसलिए सोलोगैमी (sologamy) बारे में किसी और की राय आपके लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं। 
Khud se love karein
जानते हैं वो टिप्स जिससे इस वेलेंनटाइन डे पर आप नहीं करेंगे खुद को अकेला महसूस (Solo Valentine's Day tips)। चित्र-शटरस्टॉक।
शालिनी पाण्डेय Updated: 6 Jun 2022, 19:27 pm IST
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गुजरात के वडोदरा की क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) नाम की लड़की खुद से ही शादी करने जा रही हैं। वह मंडप में खुद से फेरे लेंगी, जयमाला करेंगी और यहां तक कि खुद की मांग में सिंदूर भी भरेंगी। बस इस शादी में कोई दूल्हा नहीं होगा। इस खबर के चर्चा में आने के बात से ही सोशल मीडिया पर घमासान मच गया है। कुछ लोग इसे आत्म-आनंद से जोड़ रहे हैं, तो कुछ संस्कृतिवादियों की भृकुटियां तन गईं हैं। भारत में भले ही यह पहला मामला हो पर दुनिया भर के लिए खुद से शादी करना यानी सोलोगैमी शादियां नई नहीं हैं। आइए जानते हैं सोलोगैमी (Sologamy) के बारे में विस्तार से।  


पहले समझिए क्या है सोलोगैमी (What is sologamy)

यह एक टर्म है, जिसमें लोग खुद से ही शादी करते हैं। इसे ऑटोगैमी (Autogamy) भी कहा जाता है। इसके समर्थकों का मानना है कि वे खुद से ही प्यार करते हैं और अपने मूल्यों के साथ खुशी-खुशी जीवन बिताना चाहते हैं। ऐसे लोग किसी अन्य व्यक्ति के बजाय खुद को ही अपना जीवनसाथी चुनते हैं।

कैसे होती हैं सोलोगैमी शादियां?

सोलोगैमी शादियों का चलन भारत में नहीं है। वडोदरा की क्षमा बिंदु (Kshama Bindu of Vadodara) का मामला देश में पहला है। मगर पश्चिमी देशों में यह परंपरा नई नहीं है। सोलोगैमी मैरिज सेरेमनी (Sologamy marriage ceremony) पूरी तरह पारंपरिक शादी समारोह की तरह ही होती हैं। बस फर्क इतना होता है कि इसमें दो लोग नहीं, बल्कि एक अकेली लड़की या अकेला लड़का ही शादी करता है। 

apni jarooraton ke baare mein sochana svaarthee nahin ha
सेल्फ लव की नई ताबीर रची जा रही है। चित्र : शटरस्टॉक

बाकी अन्य रस्में जैसे कि फेरे, जयमाला, रिसेप्शन आदि पारंपरिक शादी समारोह की तरह ही होती हैं। सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को भी आमंत्रित किया जाता है। यहां तक कि सोलोगैमी शादी करने वाले लोग अकेले हनीमून पर भी जाते हैं। दुनिया भर में कुछ ट्रैवल एजेंसियां हैं, जो सोलो हनीमून पैकेज (Solo Honeymoon Package) ऑफर कर रही हैं।

कब हुई सोलोगैमी की शुरुआत?

सोलोगैमी की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। 1993 में यहां लिंडा बारकर (linda barker) नाम की महिला ने खुद से शादी की थी। उस शादी में 75 मेहमान उपस्थित हुए थे। इसके बाद अन्य पश्चिमी देशों में भी सोलोगैमी का ट्रेंड बढ़ता गया। अब भारत में भी सोलोगैमी चर्चा का केंद्र है।

सोलोगैमी पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

इस बारे में बात करते हुए मेंटल काउंसलर भारती गौड़ कहती हैं, “ यह पूरी तरह व्यक्ति का निजी मामला है। एक तरफ से यह खुद की खुशी को सेलिब्रेट करने का मामला है, तो दूसरी तरफ यह आज के माहौल में टूटते रिश्तों से उपजी निराशा भी कही जा सकती है कि आप अपने जीवन में खुशी के लिए किसी और पर भरोसा नहीं करना चाह रहे। 

दूसरी तरफ समाजशास्त्र रिसर्चर गुनगुन थानवी कहती हैं, “ समाज में आने वाले बदलाव अगर सकारात्मक हों, तो निश्चित तौर पर उनका स्वागत होना चाहिए। पर खुद से प्यार करने के लिए शादी जैसे आडम्बर का महिमामंडन मुझे तर्कसंगत नहीं लगता। न ही समाज के परिप्रेक्ष्य में इस बात का कोई ठीक ठीक औचित्य समझ में आता है। यह समझने वाली बात है कि खुद से प्रेम की इस पराकाष्ठा के बाद का हासिल क्या है?

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