सरोगेसी के जरिए बनना चाहती हैं मां, तो इन सोशल टैबू और मिथ्स को दूर करना है जरूरी

क्या आप किसी कारण से गर्भवती नहीं हो पा रही हैं और सरोगेसी के बारे में सोच रही हैं? तो सरोगेसी के बारे में ये 4 मिथ्स आपकी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। इन पर भरोसा न करें।
surrogacy ke baare mein myth aur facts
सरोगेसी के बारे में मिथ और तथ्य। चित्र : शटरस्टॉक

भारत में सरोगेसी हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। हाल ही में, प्रियंका चोपड़ा के सरोगेट मदर बनने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। मगर इसने कई चर्चाओं को भी जन्म दिया है – जैसे कि यह विकल्प सिर्फ अमीर लोगों के लिए होता है या सेलेब्स अपना फिगर खराब नहीं करना चाहती हैं, इसलिए सरोगेसी का माध्यम चुनती हैं।

यह सब वे मिथ हैं, जो जरूरतमंद लोगों को सरोगेसी का विकल्प चुनने से रोकते हैं। इसलिए हेल्थ शॉट्स के इस लेख के माध्यम से हम सरोगेसी से जुड़े कुछ मिथ को दूर करने की कोशिश करेंगे, जो कि इस सकारात्मक कदम को टैबू बनाते हैं।

मगर उससे पहले जान लेते हैं क्या होती है सरोगेसी?

सरोगेसी (Surrogacy) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसे अक्सर कानूनी समझौते द्वारा समर्थित किया जाता है। जिसके तहत एक महिला (गर्भावधि वाहक) किसी अन्य व्यक्ति या लोगों के लिए बच्चे को जन्म देने के लिए सहमत होती है। जो जन्म के बाद बच्चे के माता-पिता बन जाएंगे। आमतौर पर सरोगेसी दो तरह की होती है- जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy) और ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy)।

surrogacy ke baare mein myths
जानिए सरोगेसी के बारे में कुछ मिथ्स। चित्र: शटरस्टॉक

1. मिथ: सरोगेट मदर ही बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होती है

यह सबसे बड़ा मिथ है, मगर ऐसा हमेशा नहीं होता है। सरोगेसी दो तरह की होती है। जेस्टेशनल सरोगेसी इच्छित माता-पिता के शुक्राणु और अंडे का उपयोग करती है, और फिर उसे सरोगेट के गर्भ में स्थानांतरित कर देती है। यदि यह गर्भकालीन सरोगेसी है, तो इच्छित मां बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होती है, न कि सरोगेट मां। भले ही उसने उन्हें अपने गर्भ में रखा हो।

हालांकि, पारंपरिक सरोगेसी में, शुक्राणु (Sperm) को इच्छित पिता से प्राप्त किया जाता है, जबकि सरोगेट (Surrogate) गर्भावस्था के लिए अपना अंडा दान करता है। उस स्थिति में, सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होगी।

2. मिथ: सरोगेसी उन महिलाओं के लिए है जो अपना फिगर बचाना चाहती हैं

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार अधिकांश महिलाएं जो सरोगेसी का विकल्प चुनती हैं, वे बांझपन से जूझ रही होती हैं। जबकि गर्भावस्था और मां बनना एक व्यक्तिगत निर्णय है। कई महिलाओं का मानना ​​​​है कि वे सरोगेट प्राप्त करने के बजाय बच्चे को जन्म देंगी।

लेकिन, अगर उनका शरीर इसे संभव बनाने में सक्षम नहीं है, तो सरोगेसी का विकल्प बिल्कुल भी बुरा नहीं है। यह कहना कि महिलाएं अपने फिगर को बचाने के लिए सरोगेसी का विकल्प चुनती हैं, एक मिथ है।

surrogacy ke baare mein myths
अधिकांश महिलाएं जो सरोगेसी का विकल्प चुनती हैं, वे बांझपन से जूझ रही होती हैं।

3. मिथ: केवल अमीर लोग ही सरोगेसी का खर्च उठा सकते हैं

हालांकि यह सच है कि आज के समय में अमीर लोग और मशहूर हस्तियां सरोगेसी पर निर्भर हैं, लेकिन यह इस मिथ को सही नहीं ठहराता। इस भ्रांति के पीछे मुख्य कारण यह है कि सरोगेसी की लागत कभी स्थिर या निर्धारित नहीं होती है।

एक सफल सरोगेसी का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है। चाहे वह एक पारंपरिक प्रक्रिया हो, एजेंसी की फीस, सरोगेट मदर के शुल्क, स्वास्थ्य बीमा कवरेज और कुछ अन्य कारक। कई सरोगेट माताओं के पास उनके स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर किया गया सब कुछ होता है, ऐसे में माता-पिता को जन्म के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।

4. मिथ: सरोगेसी के बाद बच्चे से संबंध बनाना मुश्किल होता है

हालांकि यह सच है कि गर्भावस्था मां और बच्चे के बीच एक अनोखा बंधन बनाती है। पर कौन कहता है कि बच्चे के जन्म के बाद यह बंधन स्थापित नहीं किया जा सकता है? सरोगेसी तथ्यों के बारे में बात करते समय, यह सबसे चर्चित बिंदुओं में से एक है।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

एक बार जब बच्चा सरोगेसी के माध्यम से पैदा हो जाता है, तो उन्हें तुरंत त्वचा से त्वचा के संपर्क के लिए इच्छित माता-पिता को सौंप दिया जाता है। ये संबंध बनाने के तरीके बच्चे को उसके वास्तविक माता-पिता को पहचानने में मदद करने के लिए आवश्यक हैं।

तो लेडीज यदि आप सरोगेसी प्लान कर रही हैं, तो इन मिथ को अपने दिमाग से निकाल दें और अपने दृष्टिकोण को नए बदलावों के लिए सकारात्मक रखें।

यह भी पढ़ें : प्रियंका चोपड़ा के मां बनने के बाद, क्या आपके मन में भी हैं सरोगेसी से जुड़े सवाल? तो यहां हैं उनके जवाब

  • 124
लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

अगला लेख