सेल्फ गिल्ट कभी खुशी नहीं दे सकता, यहां जानिए इससे उबरने के 6 उपाय 

किसी भी गलती के लिए स्वयं को दोषी मानना आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हाे सकता है। यहां हैं स्वयं को दोषी न मानकर खुश रहने के 6 उपाय।
kud ko khush rakhne ke upay
स्वयं को दोषी न मानकर खुश रहने के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 2 Aug 2022, 23:00 pm IST
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अक्सर जब कुछ गलत हो जाता है या गलती नहीं होने की स्थिति में भी किसी दूसरे के द्वारा गलत ठहरा दिया जाता है, तो हमें एक अपराधबोध (Guilt) होने लग जाता है। हमारा मन अक्सर इस उधेड़बुन में रहने लगता है कि गलत कौन था? क्या हम सही थे या सामने वाला सही था। फिर हम स्वाभाविक रूप से दोष देना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर मामलों में हम स्वयं को दोषी मानने लगते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा है, तो स्वयं को तनाव मुक्त और खुश रखने के लिए अपराधबोध की भावना को छोड़ दें। यहां हम बता रहे हैं कैसे (how to overcome self guilt)। 

कैसे पैदा होता है अपराधबोध 

अपराधबोध से निकलकर स्वयं को किस तरह खुश रखें, इसके लिए हमने बात की सर गंगाराम हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट-क्लिनिकल साइकोलॉजी डॉ. आरती आनंद से। 

उन्होंने बताया कि व्यक्ति किसी भी गलती के लिए सबसे अधिक स्वयं को दोषी मानने लगता है। इसलिए वह दुख से बाहर नहीं निकल पाता है और स्ट्रेस में जीने लगता है। यदि वह चाहे, तो कुछ उपायों को अपनाकर स्वयं को खुश रख सकती हैं।

यहां हैं 6 टिप्स, जो आपको अपराधबोध से बचाकर खुश रहने में मदद करेंगे 

1 छोड़ दें स्वयं को दोष देना

जब कुछ गलत हो जाता है, तो हम सबसे अधिक स्वयं को दोष देना शुरू करते हैं। ऐसी स्थिति में आप सिर्फ दुखी और तनावग्रस्त ही रहेंगी। याद रखें कि अक्सर किसी भी घटना के पीछे घटनाओं की एक पूरी श्रृंखला होती है, जिन्होंने गलत होने में योगदान दिया होता है। 

बुरे परिणाम के डर से सभी बातों को सहन करते जाना भी सही नहीं होता है। आपकी कोशिश भी कभी-कभार नाकामयाब हो सकती है। इसलिए हर बात के लिए स्वयं को दोषी ठहराना अभी से छोड़ दें। 

2 प्रायोरिटी लिस्ट में पहले नंबर पर रखें खुद को

डॉ. आरती आनंद कहती हैं, ‘अपने लिए समय निकालना, स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए समय देना बुरी बात नहीं है, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। खुद की देखभाल करने के लिए दोषी महसूस करना गलत बात है। आत्म-देखभाल महत्वपूर्ण है। यह आपको दूसरों की बेहतर देखभाल करने में मदद करेगा। स्वयं को प्रायोरिटी लिस्ट में सबसे ऊपर रखें।’

3 समझें कि कोई भी परफेक्ट नहीं 

यदि आपने गलती की है, तो विषय पर चिंतन-मनन करने की बजाय अपनी गलतियों को किसी और के नजरिए से देखें। सोचें कि यदि आपके स्थान पर आपकी कोई मित्र या संबंधी होते, तो इस समस्या से वे किस तरह सामना करते? यह न सोचें कि आपसे गलती नहीं हो सकती है। 

कोई भी व्यक्ति सौ प्रतिशत परफेक्ट नहीं होता। इसलिए दोषी महसूस करने में समय बर्बाद करने की बजाय अपनी गलती स्वीकार करें और इसे सही करने की पूरी कोशिश करें।

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कोई भी सौ प्रतिशत परफेक्ट नहीं होता। इसलिए स्वयं से अधिक अपेक्षा न करें। चित्र: शटरस्टॉक

4 आगे देखें पीछे नहीं

जिन चीजों को आप बदल नहीं सकती हैं, तो उन पर बहुत अधिक सोचना-विचारना छोड़ दें। यदि आपको लगता है कि आपने अपने बच्चे पर समय नहीं दिया है, इसलिए स्टडी या अन्य एक्टिविटीज में उसका अब तक का परफॉर्मेंस खराब रही, तो बच्चे की असफलता पर अधिक न सोचें। यह आपको समस्याओं के भंवर में उलझा देगा। 

इसकी बजाय आप आगे के बारे में सोचें कि किस तरह आपको टाइम मैनेज करना है और बच्चे के लिए समय निकालना है। अपनी पिछली गलतियों से सीखने की कोशिश करें। इसका उपयोग अपना, अपने बच्चे और आसपास के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करें।

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5 डायरी में नोट करने की आदत 

जैसे ही कोई बात आपको परेशान करने लगती है, उसे तुरंत अपनी डायरी में नोट कर लें। इसमें यह भी नोट करें कि क्या करना आपको दुख पहुंचाता है और किस कार्य को करना आपको खुशी देता है। 

इस लिखे हुए को हर दो सप्ताह बाद पढ़ने की कोशिश करें। दोबारा पढ़ते हुए आप स्वयं समस्या का समाधान निकालने में सक्षम हो जाएंगी। डायरी में नोट करने की आदत विकसित होने पर आप स्ट्रेस को रिलीज करना और स्वयं को खुश रखना सीख जाएंगी।

6 स्वयं को ट्रीट दें

हमेशा घर और ऑफिस के कार्यों में पिसते रहने से स्ट्रेस लाजिमी है। एक कैलेंडर लेकर बैठें और यह जानने की कोशिश करें कि कौन-से दिन घर या ऑफिस में आपके नहीं रहने पर काम बहुत अधिक प्रभावित नहीं होगा। बस उसी दिन स्वयं को ट्रीट दें। काम से ब्रेक लें और अकेले घूमने के लिए निकल जाएं। 

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स्वयं को खुश रखने के लिए कहीं भी घूमने निकल जाएं। चित्र: शटरस्टॉक

1 दिन की ट्रीट भी आपको बहुत कुछ सोचने-विचारने और तनाव से मुक्त करने के लिए काफी होगी। ब्रेक के बाद वापस आने पर आपको किसी तरह का गिल्ट नहीं रहेगा। आप खुद को तरोताजा और खुश महसूस करेंगी।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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