मूड स्विंग्स को कंट्रोल कर आपका फोकस बढ़ा सकती है ब्लू थेरेपी, जानिए क्या है यह

रिलैक्सेशन थेरेपी के नाम से मशहूर ब्लू थैरेपी किस तरह से रख सकती हैं आपको तनाव से मुक्त, जानते हैं एक्सपर्ट की राय।
Blue therapy ke fayde
बढ़ रहे तनाव से बाहर निकलने के लिए प्रकृति के समीप समय बिताने के एहसास को ब्लू थेरेपी कहा जाता है। चित्र अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 18 Mar 2023, 15:30 pm IST
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मध्यम गति से चलने वाली समुद्र की लहरें, हल्की हवाएं और नीला आसमान। सब मिलकर हमारे तन और मन को एक यात्रा पर ले चलते है। उंमग की इस यात्रा में हम सभी तकलीफें और परेशानियां भूल जाते है। याद रहता है समुद्र और उसका पानी। जो हर बार और तेज़ी से हमारी ओर बढ़ता है और अपने नज़दीक होने का एहसास दिलाता है। ये किसी कवि की पक्तियां नहीं बल्कि ब्लू थेरेपी (Blue therapy) के वो फायदे है, जो इन दिनों लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। बढ़ रहे तनाव से बाहर निकलने के लिए प्रकृति के समीप समय बिताने के एहसास को ब्लू थेरेपी कहा जाता है (mental benefits of blue therapy)। आइए जानते हैं विशेषज्ञ से इसके फायदे।

क्या है ब्लू थेरेपी

ब्लू थैरेपी यानि वो उपचार जब व्यक्ति को नीले रंग की लाइटस में ट्रीटमेंट दिया जाता है। इस बारे में डॉ युवराज बताते हैं कि तनाव से घिरे लोगों को अक्सर इस सिचुएशन से बाहर निकालने के लिए उनके आस पास इमेज़िनरी वर्ल्ड क्रिएट किया जाता है। इसके चलते ब्लू लाइट में उन्हें एक सीन फील करवाया जाता है। जहां उन्हें कहा जाता है कि वे सोचें कि उनके सामने समुद्र है और हवाओं को महसूस करें। स्किन से जुड़ी समस्याओं और कैंसर उपचार के अलावा मूड स्विंग्स में भी ब्लू लाइट थेरेपी का उपयोग बेहद फायदेमंद साबित होता है।

क्या हैं इसके फायदे

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि ब्लू थेरेपी शरीर में इमबैलेंसिंग को शांत करने का काम करती है। आमतौर पर हम समुद्र, पानी, नदी के पास जितना जाएंगे उतना ही शांति की प्राप्ति होगी। अगर हम सप्ताह में दो दिन नेचर के करीब रहेंगे, तो हम स्ट्रेस फ्री रहकर कर हैप्पीनेस को आसानी से पा सकते हैं। ब्लू थेरेपी को रिलैक्सेशन थेरेपी भी कहा जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि दिन में दो घंटे पर्यावरण के नज़दीक रहने से मन शांत औ खुशहाली से पूर्ण रहता है।

खुद को रिफ्रेश करने और दोबारा से एनर्जी से भरने के लिए इन टिप्स को अपने रूटीन में शामिल करें। चित्र अडोबी स्टॉक

1. तनाव दूर होता है

ऐसा माना जाता है कि समुद्र की लहरों से उठने वाला शोर मन को शांति प्रदान करता है। नीला रंग स्वास्थ्य को ठंडक देता है और आंखों के लिए फायदेमंद साबित होता है। जब आप तनावग्रस्त होते हैं और मन कई प्रकार के विचारों से परेशान होता है, तो ऐसे में समुद्र के नज़दीक जाना आपको राहत पहुंचाने का काम करता है। इसके अलावा समुद्री दृश्यों और कल्पनाओं से भी हम खुद को बेहतर महसूस करने लगते हैं। 

2. खुशी का अनुभव

आज के समय में जब लोग टेंशन्स से घिरे रहते हैं, तो इस बीच हैप्पीनेस बेहद ज़रूरी है। प्रकृति के नज़दीक बैठकर, बोटिंग करके, तैरकर या खुली हवा में कुछ दिन रहकर खुद को मेंटल तौर पर हेल्दी बनाया जा सकता है। न्यू साइंटिस्ट पब्लिकेशन के मुताबिक जंगल और बाग बगीचे हमारी मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा समुद्र और नदियां भी हमें उत्साहित रखती हैं।

3. अच्छी नींद आती है

नींद न आना या नींद कम आना आज के समय की एक बड़ी समस्या है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से लोगों का माइंड सोते जागते हर समय व्यस्त रहता है। ऐसे में समुद्र के किनारे कुछ समय बिताने से बॉडी में सेरोटोनिन का लेवल बढ़ता है। इससे न केवल मन तनाव से दूर रहता है बल्कि नींद की क्वालिटी में भी सुधार होने लगता है।

dimaag ko wyawsthit krna chahiye
मन में यदि ढेर सारे विचार हों, तो आपको अपना लक्ष्य कभी स्पष्ट नहीं दीखता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

4. एकाग्रता बढ़ती है

अगर आप टेंशन या स्ट्रेस में रहते हैं, तो दिमाग कहीं भी फोकस नहीं कर पाता है। चीजों को समझने में परेशानी का अनुभव होने लगता है। कई बार याद की हुई चीजें भी हम भूलने लगते है। कारण, अत्यधिक व्यस्तता और दिमाग का ओवर ऑक्यूपाइड होना। ऐसे में कलर थैरेपी आपके दिमाग को शांत रखने का काम करती है। माइंड जब रिलैक्सिंग मोड पर जाता है, तो सभी भूली हुई चीजों दोबारा अपने आप रिमांइड होने लगती है। ऐसे में ब्लू थैरेपी लेना या प्रकृति के नज़दीक कुछ वक्त बिताना बेहद ज़रूरी है। चाहे बच्चे हो या व्यस्क, हर किसी के माइंड का कुछ वक्त के लिए शांति महसूस करना ज़रूरी है।

5. मूड स्विगंस से बचा जा सकता है

अगर आपके पास समय की किल्लत है और समुद्र के किनारे नहीं जा पा रहे हैं, तो सी साइड से संबधित किसी मूवी को आप देख सकते हैं। इससे भी आप खुद को मरीन एनवायरमेंट के करीब महसूस करने लगते हैं। लाइफ स्टाइल एशिया के मुताबिक साल 2021 की एक स्टडी के मुताबिक अगर आप नदी या तालाब के किनारे कुछ देर चहलकदमी करते हैं, तो इससे आपका मांइड अपने आप रेस्टिंग मोड पर चला जाता है। इसका अर्थ है कि बाकी सभी चीजों से अपना ध्यान खींचकर आपका दिमाग सिर्फ अपने आप पास के वातावरण को महसूस करता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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