क्या सोशल मीडिया आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है? चलिए पता करते हैं

सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, लेकिन आनंद और अडिक्शन के बीच एक पतली रेखा है जो कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
Social media aapke mental health ko prabhavit karta hai
सोशल मीडिया आपके मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 23 Oct 2023, 10:14 am IST
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दिल्ली की एक सेल्स प्रोफेशनल प्रियंका प्रधान (29) रोज सुबह उठते ही खुद को इंस्टाग्राम चेक करने से नहीं रोक सकतीं। यह उसे एक “एनर्जी” देता है, और आधिकारिक तौर पर उसके दिन की शुरुआत करता है। एक घंटे से अधिक समय तक सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम स्क्रॉल करने के बाद, वह अपने बिस्तर से उठ जाती है और दिन के काम शुरू कर देती है।

ब्रेक के बीच, वह दिन के दौरान कुछ ‘मिम्स’ भेजने के लिए फिर से फोन कहलाती हैं, और दोस्तों से अपडेट प्राप्त करती है। शाम को (काम के बाद) फिर से फ़ीड के माध्यम से बिना सोचे-समझे स्क्रॉल करने लगती हैं जब तक वह रात को थक ना जाती हों।

प्रधान निश्चित रूप से अकेली नहीं हैं। क्या यह आपकी भी आदत है? हम सोशल मीडिया पर इतने अधिक निर्भर हैं कि हमें नहीं पता कि “इसके बिना” क्या करना है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप इसका एक उदाहरण है। अधिकांश लोगों ने “बेचैनी” महसूस की हैं और वे नहीं जानते कि इससे कैसे निपटा जाएं।

Aaj ke samay mein aap social media par bahut nirbhar hai
आज के समय में आप सोशल मीडिया पर बहुत निर्भर हैं। चित्र: शटरस्टॉक

आप इसे ‘सामान्य’ मान सकते हैं, लेकिन क्या यह सच में आम बात हैं? वास्तव में ऐसा नहीं है! ऐसे प्लेटफार्मों का अत्यधिक उपयोग हमारे गिरते मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।

पुणे स्थित मनोवैज्ञानिक तीथी कुकरेजा ने हेल्थशॉट्स के साथ साझा किया, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सोशल मीडिया ने हमें अपने दोस्तों और परिवार के साथ अच्छी तरह से जुड़ने में मदद की है, लेकिन यह हमारे अकेलेपन का बैसाखी बन गया हैं।

मेरे ऐसा कहने का कारण यह है कि हम अब आत्मचिंतन नहीं करते हैं। हम किसी भी प्रकार के खालीपन को भरने के लिए जल्दी से अपने फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं। उनका अत्यधिक उपयोग चिंता और अकेलेपन के उच्च स्तर से जुड़ा हुआ है।”

बिना सोचे फ़ीड स्क्रॉल करना 

हां, हम जानते हैं कि बिना सोचे-समझे फ़ीड को स्क्रॉल करने में आपको कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन कितनी बार ऐसा हुआ है कि आपको पता ही नहीं चलता कि आप क्या कर रहे हैं? क्या ऐसा नहीं होता है कि आप इन प्लेटफार्मों पर कई घंटे बीता देते हैं? खैर, यह एक हानिकारक है जो सोशल मीडिया की लत को जन्म दे सकती है।

कुकरेजा कहती हैं, “ज्यादातर लोगों के लिए, इन प्लेटफार्मों का उपयोग केवल कमेन्ट, लाइक और शेयर करने के लिए होता हैं । यह तत्काल संतुष्टि एक डोपामाइन रश (dopamine rush) को जन्म देती है, जो हमें हर बार उस पर वापस जाने के लिए उकसाता हैं। लेकिन यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि जब आप दूसरों के साथ अपने जीवन की तुलना करना शुरू करते हैं, तो आपकी खुद की धारणा (self-image) प्रभावित होने लगती हैं।”

Zyadatar log in platform par like, share aur comment karte hai
ज्यादातर लोग इन प्लेटफॉर्म पर लाइक, शेयर और कमेन्ट करते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

पेन मेडिसिन और मैकलीन अस्पताल के शोध के अनुसार, सोशल मीडिया चिंता और अवसाद के सबसे बड़े कारणों में से एक है। एक और अध्ययन है जो रॉजर्स बिहेवियरल हेल्थ द्वारा किया जा रहा है। यह देखता है कि कैसे इंस्टाग्राम पर कम फॉलोवर्स होने के कारण बच्चें डिप्रेशन और खाने के विकारों से पीड़ित होते हैं। 

फ़िल्टर और केयरफुल क्यूरेशन भी लोगों में फ़ोमो (FOMO), मतलब फियर ऑफ मिसिंग आउट की भावना पैदा करता है। अगर आपको नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री द सोशल डिलेमा याद है, तो आपको पता होगा कि आपकी बागडोर आप नहीं  बल्कि सोशल मीडिया नेटवर्क है।

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आप वही देखते हैं जो वे आपको दिखाना चाहते हैं। तथ्य यह है कि आप केवल लोगों को ऐसा जीवन जीते हुए देखते हैं जो आपको भी चाहिए लेकिन वास्तविकता में यह समान नहीं हैं।

क्या सोशल मीडिया के अधिक उपयोग से आपसी संबंध प्रभावित होते हैं?

कुकरेजा कहती हैं, “निश्चित रूप से यह सच है। यहां तक ​​​​कि जब हम अपने दोस्तों और परिवारों के साथ समय बिताते हैं, तो हम केवल अपने सोशल मीडिया फीड के बारे में सोच सकते हैं। हम लोगों के साथ आमने-सामने नहीं जुड़ते हैं। इसके बजाय, हम में से अधिकांश एक अलग दुनिया में रहते  हैं । आप सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर हजारों लोगों से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन आप स्क्रीन से परेह बहुत कम दोस्तों को अपने पास पाते हैं।” 

सोशल मीडिया और इसके दुष्परिणाम!

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अजीब लग सकता है लेकिन सोशल मीडिया पर खराब बातें तेजी से फैल सकती है। 2009 और 2012 के बीच 100 मिलियन से अधिक फेसबुक उपयोगकर्ताओं से एक बिलियन से अधिक स्टेटस अपडेट का आकलन करने के बाद, यह पाया गया कि नकारात्मक पोस्ट की संख्या में 1% की वृद्धि हुई हैं।

Social media aapko FOMO mehsoos karwa sakta hai
सोशल मीडिया आपको फ़ोमो महसूस करवा सकता हैं। चित्र-शटरस्टॉक.

2014 में, ऑस्ट्रिया में कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने फेसबुक पर 20 मिनट तक स्क्रॉल करने के बाद बैड मूड की सूचना दी, जो कि इंटरनेट ब्राउज़ करने वालों की तुलना में कम थे। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर लोग ‘स्क्रॉलिंग’ को समय की बर्बादी मानते थे।

कंप्यूटर एंड ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जो लोग सात या अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, उनमें 0-2 प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों की तुलना में चिंता के लक्षण होने की संभावना तीन गुना अधिक थी।

इसके अलावा, 2016 में किए गए एक अन्य अध्ययन में 1,700 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें सबसे अधिक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों में अवसाद और चिंता का तीन गुना जोखिम था। कुछ कारणों में साइबर-बुलींग, अन्य लोगों के जीवन के बारे में विकृत सोच और बहुत कुछ शामिल हैं।

Vyayam karne ya kitabe padhne se social media ka asar kam ho sakta hai
व्यायाम करने या किताब पढ़ने से सोशल मीडिया का असर कम हो सकता हैं। चित्र: शटरस्टॉक

इससे निपटने के सुझाव 

  1. यहां कुछ टिप्स दी गई हैं जो सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से आपको बचा सकती हैं:
  2. सोशल मीडिया के उपयोग को ट्रैक करें । 
  3. व्यायाम करने या किताब पढ़ने के लिए बाहर निकलें । 
  4. जैसे हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करें; सोशल मीडिया की धारणा आपकी मदद नहीं करेगी । 
  5. सोशल मीडिया से पूरी तरह मत कटिए। दिन में लगभग 10 मिनट सोशल मीडिया का उपयोग स्वस्थ माना जाता है। 
  6. व्यक्तिगत रूप से दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। 

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