एक्‍सपर्ट बता रहीं हैं क्‍या होता है जब आप अनिच्‍छा से बनाती हैं सेक्‍स संबंध, जानिए क्‍यों जरूरी है सहमति

सेक्‍स आपको शारीरिक और मानसिक रूप से कई लाभ देता है। पर जब यही संबंध एक व्‍यक्ति दबाव में या अनिच्‍छा से बनाता है तो इसके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अनिच्‍छा से बनाए गए सेक्‍स संबंध आपको तनाव में धकेल सकते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
अनिच्‍छा से बनाए गए सेक्‍स संबंध आपको तनाव में धकेल सकते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
Kamna Chhibber Published: 5 Apr 2021, 15:30 pm IST
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किसी भी रोमांटिक/वैवाहिक रिश्‍ते में आत्‍मीयता अहम् भूमिका निभाती है। लेकिन यह भी महत्‍वपूर्ण है कि इस तरह की आत्‍मीयता संबंधों में स्‍वत: स्‍फूर्त होनी चाहिए। जो उस रिश्‍ते को आगे जारी रखने के लिहाज़ से दोनों ही पार्टनर्स को कम्‍फर्ट देती है। संबंधों में प्रगाढ़ता और आत्‍मीयता बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि आत्‍मीयता भी कुछ इस रफ्तार से बढ़ती रहे जो दोनों पार्टनर्स को स्‍वीकार्य हो।

सेक्‍स साधन नहीं है

कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि एक पार्टनर दूसरे पार्टनर के साथ यौन संबंध शुरू करने या बनाए रखने के लिए तैयार या इच्‍छुक नहीं होता। इसकी बहुत-सी वजहें हो सकती हैं। ऐसे में किसी के साथ जोर- जबरदस्‍ती करना गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है जो कि प्रभावित व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। साथ ही, इनकी वजह से संबंधों पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

समझिए इनकार की वजह

यदि कोई व्‍यक्ति अपने रिश्‍ते में यौन संपर्क की शुरुआत करने या उसे बनाए रखने का इच्‍छुक नहीं है, तो इसका कारण पता लगाने की कोशिश की जानी चाहिए। उसके साथ जबरदस्‍ती करना या अपना पक्ष बदलने के लिए उस पर दबाव डालना दोनों ही गलत हैं।

यह आपके पार्टनर को भी तनाव दे सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
यह आपके पार्टनर को भी तनाव दे सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

इसकी बजाय यह समझने की कोशिश की जानी चाहिए कि आखिर उस संबंध का कौन-सा पहलू है, जिसकी वजह से वह व्‍यक्ति यौन संबंध कायम करने या उसे जारी रखने को लेकर अनिच्‍छुक है।

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचाते हैं अनचाहे सेक्‍स संबंध

जब किसी व्‍यक्ति पर उसकी इच्‍छा के बगैर यौन संपर्क बनाने या जारी रखने के लिए दबाव बनाया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे ही कुछ परिणाम हैं:

  •  लो मूड का शिकार होना और जिंदगी को लेकर नाखुशी का भाव मन में पैदा होना।
  • रिश्‍तों की प्रकृति को लेकर गहरा असंतोष तथा अप्रसन्‍नता बढ़ना और इस परिप्रेक्ष्‍य में अन्‍य पहलुओं से भी असंतुष्‍ट रहना।
  •  चिड़चिड़ापन और आक्रोश का भाव पैदा होना, जो यह दर्शाता है कि कुछ ऐसा करने को मजबूर किया जा रहा है, जिसे करने की इच्‍छा नहीं है।
  •  रिश्‍ते में समझौता करने के लिए मजबूर किए जाने पर कई बार असहायता, नाउम्‍मीदी और यहां तक कि खुद को व्‍यर्थ समझ लेने का भाव भी उत्‍पन्‍न हो सकता है
  •  अपने जीवन को अपनी इच्‍छा के मुताबिक ढालने में असमर्थ होने पर अत्‍यधिक शर्मिंदगी तथा उलझन का भाव।
  •  जिंदगी में बन रहे हालातों और आगे चलकर वे कैसा रूप धर सकते हैं, इन ख्‍यालों के चलते अत्‍यधिक चिंता और परेशानी का भाव पैदा होना
  •  नींद और भूख प्रभावित हो सकती है, जो व्‍यक्ति की जीवनशैली और उसके जीवन की गुणवत्‍ता पर असर डाल सकती है।
आप में जीवन के प्रति निराशा का भाव भी आ सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
आप में जीवन के प्रति निराशा का भाव भी आ सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
  •  अन्‍य रिश्‍तों पर भी नकारात्‍मक असर पड़ सकता है, जिससे जीवन के अन्‍य पहलुओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता चला जाता है।
  • अपने आप से नाखुश रहने और साथ ही, अपने हालातों को बदलने में समर्थ नहीं होने का ख्‍याल लगातार बना रहता है।
  • काम के मोर्चे पर उत्‍पादकता में गिरावट आती है और प्रभावित व्‍यक्ति अपने निर्धारित दायित्‍वों/कार्यों को सक्रियतापूर्वक निभाने में भी कठिनाई महसूस करता है

कैसे निपटें इस सेक्‍सुअल तनाव से

जब ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, तो व्‍यक्ति अपने पूरे संबंध का पुनर्मूल्‍यांकन करता है और बार-बार इस पर विचार करने लगता है कि वह अब तक कैसा जीवन जीता आया है। ऐसे में वह कई बार उन विकल्‍पों के चयन के बारे में सोच-विचार कर सकता है, जिनके दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं।

एक-दूसरे को समझने सबसे ज्‍यादा जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉक

एक-दूसरे को समझने सबसे ज्‍यादा जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉकरिश्‍तों में खुलापन ही बदलाव ला सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि रोमांटिक/वैवाहिक संबंधों के परिप्रेक्ष्‍य में किसी के भी सम्‍मान के साथ कोई समझौता न हो। इसके अलावा, यदि ऐसा महसूस हो कि कोई व्‍यक्ति आवश्‍यकता होने पर भी दूसरों के साथ शेयर और कम्‍युनिकेट नहीं कर पा रहा है, तो ऐसे में आसपास मौजूद अन्‍य लोगों का सपोर्ट लेना जरूरी होता है।

ऐसे मित्रों तथा परिजनों तक अपनी बात पहुंचाएं जो आपको फैसले लेने या इन हालातों में कोई विकल्‍प चुनने में मदद कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में किसी एक्‍सपर्ट के साथ मिलकर सलाह-मश्विरा करना काफी फायदेमंद होता है।

उन पहलुओं पर काम किया जा सकता है, जो किसी रिश्‍ते की क्‍वालिटी में सुधार ला सकते हैं। किसी भी तरह की जोर-जबरदस्‍ती के चलते संबंधों को हो रहे नुकसान से भी बचा सकते हैं।

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लेखक के बारे में

Head, Mental Health & Behavioral Science, Fortis Healthcare ...और पढ़ें

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