बिना दवा खाये ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकती है विजयसार की छाल, जानिए कैसे करना है इसका इस्तेमाल

जड़ी बूटी भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसा ही एक हेर है इंडियन किनो ट्री या विजयसार। यह कैसे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मददगार है, आइये जानते हैं एक्सपर्ट और शोध से।
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इंडियन किनो ट्री या विजयसार का पेड़ ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। चित्र : एडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:14 am IST
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डायबिटीज मेलेटस (Diabetes Mellitus) मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है। इसके कारण हाइपरग्लेसेमिया होती है। इसके परिणामस्वरूप इंसुलिन सीक्रेशन और इंसुलिन के कामकाज पर असर पड़ता है। इन दिनों खराब लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज एक ग्लोबल प्रॉब्लम (Global Problem) बन गया है। डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) ने भारत को मधुमेह रोगियों की सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाला देश बताया है। इसके अनुमान के मुताबिक 1995 से 2025 के बीच भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या में 195% की वृद्धि होगी। आयुर्वेद में कुछ हर्ब को ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाला बताया गया है। इंडियन किनो ट्री या विजयसार का पेड़ (Indian Kino Tree for Diabetes) ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।

ब्लड शुगर के अलावा मोटापे को भी करती है नियंत्रित

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं, ‘विजयसार इंडियन किनो ट्री (Indian Kino Tree) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद इसे ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली जड़ी बूटी मानता है। मुख्य रूप से पेड़ की छाल का प्रयोग ब्लड शुगर कंट्रोल करने में किया जाता है। मधुमेह को नियंत्रित करने के अलावा, विजयसार कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों के दर्द और वजन घटाने में भी कारगर होता है। विजयसार में एल्कलॉइड्स और फ्लेवोनोइड्स की प्रचुरता शरीर को तेजी से अतिरिक्त वजन कम करने में मदद करती है।’

एंटी-ग्लाइसेमिक, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाली छाल (Vijaysar Bark)

वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित आयुर्वेदिक शोधकर्ता भागेश्वरी जनागल और चंदन सिंह की टीम के शोध आलेख के अनुसार, विजयसार (Indian Kino Tree Or Pterocarpus Marsupium) भारत के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी पाया जाता है। यह भारत के वेस्टर्न घाट रीजन, कर्नाटक-केरल क्षेत्र, मध्य प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य भारत के जंगलों में भी पाया जाता है। इसकी छाल एंटी-ग्लाइसेमिक, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाली होती है। यह स्टार्च से ग्लूकोज में ब्रेकडाउन को घटा देता है। इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल नहीं बढ़ पाता है।

ब्लड ग्लूकोज को कम करने वाले यौगिक (Blood Glucose Level)

डॉ. नीतू बताती हैं, ‘विजयसार एक ऐसा पौधा है, जिसके प्रत्येक भाग का आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाओं में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियां, लकड़ी, छाल, गोंद, फूल या फलियों का भी दवा में प्रयोग होता है। विजयसार में कई महत्वपूर्ण केमिकल कंपाउंड मौजूद होते हैं। यह टेरोसुपिन, टेरोस्टिलबेन, मार्सुपिन और एपिकेटचिन कंपाउंड का समृद्ध स्रोत है। ये सभी ब्लड ग्लूकोज को कम करने वाले यौगिक हैं।

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विजयसार में कई महत्वपूर्ण केमिकल कंपाउंड मौजूद होते हैं। चित्र : शटर स्टॉक

ये एंटी-डायबिटिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और कसैले गुण (Astringent) को प्रदर्शित करते हैं। विजयसार की छाल सूजन को कम करता है और इंसुलिन की कमी के कारण बढ़े ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करता है। यह मधुमेह के लक्षणों जैसे बार-बार पेशाब आना, अधिक खाने, अधिक प्यास लगने और अंगों में जलन को भी कम करता है

शुगर क्रेविंग को कम करता है (Sugar Craving)

जर्नल ऑफ़ डायबिटिक रिसर्च के अनुसार, कभी-कभी मीठे की बहुत ज्यादा क्रेविंग होती है। क्रेविंग होने पर विजयसार के पौधे की पत्तियों को सीधे जीभ पर लगा लिया जाता है। पत्तियों को चबाया जाता है या काढ़े के रूप में सेवन किया जाता है, तो व्यक्ति की मीठे खाद्य पदार्थ को खाने की इच्छा में कमी आ जाती है। यह प्रभावी रूप से क्रेविंग और अचानक खाने की इच्छा को सीमित कर देता है

कब और कितनी मात्रा में करें इसका सेवन

डॉ. नीतू के अनुसार, विजयसार के पेड़ की छाल के पाउडर या हार्ट वुड पाउडर का प्रयोग ब्लड शुगर को कम करने के लिए बहुत पुराने समय से किया जाता रहा है। इसके पेड़ की छाल या पाउडर को एक ग्लास या 100 मिली पीने के पानी में रात भर के लिए छोड़ दिया जाता है।

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सुबह नाश्ते से आधा घंटा पहले  विजयसार की छाल के पानी को पी लिया जाता है। चित्र: शटरस्टॉक

सुबह नाश्ते से आधा घंटा पहले इसके पानी को पी लिया जाता है। इसका सेवन दूध के साथ भी किया जा सकता है। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। डॉक्टर ही आपके शरीर के अनुकूल मात्रा के सेवन के बारे में बता सकते हैं।

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