हैवी ब्रेस्ट वाली महिलाओं को ज्यादा परेशान कर सकता है ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम, जानिए क्या है ये और इससे कैसे बचना है 

नैरो स्ट्रैप और हैवी ब्रेस्ट के कारण कई बार सही शेप की ब्रा भी आपके शोल्डर्स, स्पाइन और यहां तक कि सिर दर्द का कारण भी हो सकती है।
शालिनी पाण्डेय Published: 8 Sep 2022, 23:11 pm IST
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हम सब जानती हैं कि गलत शेप और साइज की ब्रा पहनने से आपको कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे कंधे और सिर में दर्द। लेकिन, मान लीजिए कि आपने अपनी ब्रा के आकार की जांच की सारे पहलू को ध्यान में रखते हुए एक ऐसी ब्रा पहनी, जो आपकी ब्रेस्ट को पूरी तरह से कवर और सपोर्ट दे।  इसके बावजूद हैवी ब्रेस्ट होने के नाते आपको शोल्डर्स और स्पाइन में दर्द की समस्या जारी है, तो हो सकता है आप भी ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम की समस्या से ग्रसित हों। चलिए जानें क्या है ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम (Bra strap syndrome)। साथ ही इसके लक्षण और बचाव के उपाय भी। 

क्या है ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम

ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम (Bra strap syndrome) को मेडिकल लैंग्वेज में कॉस्टोक्लेविकुलर सिंड्रोम (costoclavicular syndrome) के रूप में जाना जाता है। जबकि बोलचाल की भाषा में इसे ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम कहा जाता है। भारी ब्रेस्ट और पतली स्ट्रैप होने पर आपकी ब्रा की स्ट्रैप आपके कंधों पर दबाव डाल सकती हैं और गर्दन, कंधों और बांह में दर्द का कारण बन सकती है। जिससे आप असहज महसूस कर सकती हैं। 

 भारी स्तनों वाली महिलाओं को ज्यादा होता है इसका जोखिम 

 एनसीबीआई के एक अध्ययन में यह सामने आया कि हैवी ब्रेस्ट वाली महिलाओं में कॉस्टोक्लेविकुलर पैसेज का कम्प्रेशन तब होता है, जब वे बहुत नैरो स्ट्रैप वाली ब्रा पहनती हैं। ऐसी ब्रा जो आपके कंधों पर शार्प कट के साथ होती है, वह भी इस समस्या का कारण बन सकती है। क्योंकि ये आपके स्तनों और कंधों पर बहुत टाइट होती है। 

बहुत टाइट ब्रा पहनने  से आपकी गर्दन और कंधों के आसपास की नसों और धमनियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी महिलाएं जो उम्रदराज़ हो चुकी हैं या जिनके स्तन का आकार काफी बड़ा है उनमें यह दिक्कत बेहद आम है। यह और ज़्यादा तकलीफदेह तब होती है जब ब्रा की स्ट्रैप आपके कंधों के आसपास के नरम ऊतकों पर नीचे की ओर दबाव डालती हैं। इस दबाव के कारण कॉस्टोक्लेविकुलर मार्ग संकुचित होता है। 

क्या हैं ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम के नुकसान

इस दिक्कत का सामना करने वाली महिलाओं को गर्दन और कंधों में तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। इससे प्रभावित क्षेत्र में अकड़न या थकान भी हो सकती है। यह दर्द ज़्यादा स्ट्रेस से बढ़ सकता है और साथ ही इस आराम से नियंत्रित भी किया जा सकता है।

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सही साइज की ब्रा के चुनाव के बावजूद कंधों और पीठ में दर्द हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

यदि आप अपने कंधों पर भारी बैग और शॉपिंग बैग ले कर जाती हैं, तो भी कंधों में दर्द बढ़ सकता है। यही नहीं सुबह में स्ट्रेस कम होने से यह दर्द कम हो सकता है, पर जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है और ब्रा का कसाव आपको और ज्यादा महसूस हो सकता है। साथ ही, इससे महिलाओं में ‘गोल कंधों’ का इंडेंटेशन या विकास हो सकता है।

पहचानिए ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम के लक्षण 

इसे पहचानने का पहला तरीका  कंधे, गर्दन और बाहों में दर्द महसूस होना है। आपको बाहों में झुनझुनी भी महसूस हो सकती है। कुछ महिलाओं के हाथ सूजे हुए या नीले पड़ जाते हैं। ब्रा को हटाने के बाद अगर आप कंधों को रिलैक्स महसूस करती हैं, तो यह भी लक्षण है कि आपकी ब्रा की स्ट्रैप आपको परेशान कर रहीं हैं। 

यदि कंधे पर स्ट्रैप से  पड़ने वाले निशान अस्थायी हैं और आसानी से चले जाते हैं, तो नुकसान ज्यादा नहीं हो सकता है। लेकिन अगर वे लंबे समय तक बने रहते हैं, तो आपके आंतरिक ऊतक (internal tissues) क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम से बचने के तरीके 

अच्छी खबर यह है कि ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम को  होने से पूरी तरह से रोका जा सकता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण तरीका यह हो सकता है कि जब भी संभव हो, तो ब्रा बिल्कुल न पहनें। जब आप सोते हैं और जब भी आप घर पर होते हैं, तो इसे उतार दें। 

ब्रा पहन कर न सोएं, चित्र: शटरस्टॉक

दूसरे, ऐसी ब्रा की तलाश करें जो आपको अच्छी तरह से फिट हो, बहुत टाइट न हो और जिसमें चौड़ी पट्टियां हों। नियमित व्यायाम और एक अच्छा पोश्चर आपको इसे दूर रखने में मदद कर सकता है।

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ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम होने के बाद क्या हो सकता है इसका उपचार 

यदि आप बचाव के चरण से आगे बढ़ गईं हैं और ब्रा के स्ट्रैप लगातार कंधों और गर्दन में दर्द का कारण बन रहे हैं, तो अब उपचार का समय है। 

सबसे पहले, कम से कम कुछ समय के लिए, यदि संभव हो तो एक स्ट्रैपलेस ब्रा पर स्विच करने का प्रयास करें। 

प्रभावित क्षेत्र की रोजाना 10 मिनट तक सिंकाई करें और इसे अच्छी तरह से मॉइस्चराइज करें। 

योग या व्यायाम का अभ्यास करें, लेकिन विशेषज्ञ की देखरेख में। इसके अलावा, अपने कंधों पर कुछ भी भारी ले जाने से बचें। अगर दर्द ज्यादा  बढ़ रहा है तो डॉक्टर से बात करने में संकोच न करें।

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