जानिए गर्मियां में क्‍यों परेशान करती हैं घमौरियां और इनसे कैसे बचा जा सकता है

गर्मी बढ़ने के साथ त्‍वचा संबंधी ऐसी बहुत सारी समस्‍याएं हैं, जो शुरू हो जाती हैं। पर क्‍या ये वाकई त्‍वचा संबंधी समस्‍याएं हैं या हमारी त्‍वचा हमें शरीर के बारे में कुछ बता रही है।
घमौरियां त्‍वचा की परतों में ज्‍यादा परेशान करती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
घमौरियां त्‍वचा की परतों में ज्‍यादा परेशान करती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Updated: 25 Apr 2022, 20:26 pm IST
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त्वचा का काम शरीर के अंदरूनी हिस्से को बाहरी दुनिया से बचाना होता है। त्वचा घुसपैठियों के खिलाफ एक निवारक बाधा के रूप में कार्य करती है, जो शरीर पर आक्रमण या क्षति से संक्रमण, रसायन, या पराबैंगनी प्रकाश का कारण बनता है। ये शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाती है। पर क्‍या होता है जब इस पर घमौरियां हो जाती हैं? आइए जानते हैं क्‍यों होती हैं घमौरियां और इनसे कैसे बचा सकता है। 

सबसे पहले समझि‍ए पसीने का आना 

शरीर को ठंडा करने का एक तरीका है पसीना। पसीने का निर्माण पसीने की ग्रंथियों में होता है जो पूरे शरीर को रेखाबद्ध करती हैं। पसीने की ग्रंथियां डर्मिस या त्वचा की गहरी परत में स्थित होती हैं और मस्तिष्क में तापमान नियंत्रण केंद्रों द्वारा नियंत्रित होती हैं। ग्रंथि से पसीना एक वाहिनी द्वारा त्वचा की सतह तक जाता है।

क्‍या पसीना ही घमौरियों का कारण है

घमौरियां तब होती हैं जब पसीने की नलिकाएं बंद हो जाती हैं और पसीना त्वचा की सतह तक नहीं पहुंच पाता है। इसके बजाय, ये त्वचा की सतह के नीचे फंस जाता है, जिससे हल्की सूजन या दाने हो जाते हैं।

असल में घमौरियां तब होती हैं, जब पसीने निकल नहीं पाता। चित्र: शटरस्‍टॉक
असल में घमौरियां तब होती हैं, जब पसीने निकल नहीं पाता। चित्र: शटरस्‍टॉक

घमौरियां त्वचा की एक स्थिति है, जो अक्सर बच्चों और वयस्कों को गर्म, आर्द्र मौसम की स्थिति में प्रभावित करती है। जब आपके रोम छिद्र बंद हो जाते हैं और पसीना नहीं निकल पाता है, तो आपको घमौरियां हो जाती हैं।

ये है घमौरियों की स्थिति 

घमौरियों के दाने छोटे फफोले के साथ लाल त्वचा के रूप में प्रकट होते हैं और सूजन के कारण होते हैं। ये अक्सर त्वचा की सिलवटों या तंग कपड़ों के क्षेत्रों में होता है, जहां हवा का संचार नहीं हो पाता। जबक‍ि इन जगहों पर भारी क्रीम या लोशन लगाने से पसीने की नलिकाएं बंद हो जाती हैं।

क्या इनसे बचा जा सकता है 

जब त्वचा को ठंडा होने दिया जाता है, तो घमौरियां आमतौर पर ठीक हो जाती हैं। त्वचा संक्रमित होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

खुद को ठंंडा रखना घमौरियों से बचने का आसान तरीका है। चित्र-शटरस्टॉक.
खुद को ठंंडा रखना घमौरियों से बचने का आसान तरीका है। चित्र-शटरस्टॉक.

1 ठंडे पानी से स्नान करें

त्वचा के ठंडा होने के बाद आमतौर पर घमौरियां कम हो जाती हैं। ठंडे पानी से नहाने पर आपको मदद मिल सकती है। त्वचा को सौम्‍यता से धोने से रोम छिद्र भी खुलते हैं। ये बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि भरा हुआ छिद्र गर्मी के दाने को और परेशान कर सकता है।

सुनिश्चित करें कि आप नहाने के बाद अपनी त्वचा को ठीक से सुखाएं। गीली छोड़ी गई त्वचा में जलन हो सकती है।

2 पंखे का इस्तेमाल करें

गर्म दिनों में त्वचा को ठंडा रखना महत्वपूर्ण होता है। वायु परिसंचरण (पंखे के साथ या अन्य तरीकों से) आमतौर पर त्वचा को ठंडा करने में मदद करता है। ध्यान दें कि शिशुओं को बहुत कसकर न बांधें। ताकि त्वचा तक हवा पहुंच सके। वैसे तो शरीर के सभी हिस्सों को गर्मी के मौसम में ताजी हवा के संपर्क में लाना जरूरी है। 

आपके दाने को सूखने और ठंडा रहने देने के लिए वेंटिलेशन महत्वपूर्ण है। वातानुकूलित कमरे में रहें या पंखे का प्रयोग करें।

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5 अंदरूनी हिस्‍सों की करें विशेष देखभाल 

शरीर के वे हिस्‍से, जहां तक हवा नहीं पहुंच पाती उनकी आपको विशेष देखभाल करनी होगी। जैसे अंडर आर्म्‍स, इनर थाइज, पीठ का हिस्‍सा। जरूरी है क‍ि अच्‍छी तरह साफ करने और सुखाने के बाद इन हिस्‍सों पर टेलकम पाउडर छिड़कें।

आपको अपने निजी अंगों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। चित्र : शटरस्‍टॉक
आपको अपने निजी अंगों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। चित्र : शटरस्‍टॉक 

कब जाना है डॉक्‍टर के पास 

त्वचा के ठंडा होने पर दाने अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी पसीने की ग्रंथियां संक्रमित हो सकती हैं। तब दर्द, सूजन में वृद्धि और त्वचा लाल होने लगती है। ये संक्रमण इसलिए होता है, क्योंकि बैक्टीरिया ने पसीने की ग्रंथि को अवरुद्ध कर रखा होता है। 

अगर घरेलू उपचार से भी आपके दाने ठीक नहीं हो रहे हैं, तो आपको अपनी घमौरियों के लिए त्वचा विशषेज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि इस स्थिति में आपकी त्वचा को एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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