होम आइसोलेशन में ही रिकवर हो रहे हैं ज्‍यादातर कोरोना मरीज, एक्‍सपर्ट से जानिए क्‍या हैं जरूरी सावधानियां

होम आइसोलेशन का मतलब है मरीज अपने ही घर में रहेगा, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों से अलग और घर पर ही कोरोना के मरीज का इलाज होगा।
कुछ मरीज होम आइसोलेशन में भी ठीक हो रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
कुछ मरीज होम आइसोलेशन में भी ठीक हो रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
Dr. Tushau Prasad Published: 19 May 2021, 15:18 pm IST
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत में बहुत तेजी से फैल रही है। मरीजों की संख्या में वृद्धि दिखाई दे रही है। मरीजों की संख्या अचानक बहुत ज्यादा बढ़ने की वजह से कई अस्पतालों में बेड की भी कमी हो गई है। ऐसे में कोरोना के गंभीर मामलों वाले मरीजों को ही सिर्फ अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। वैसे मरीज जिनमें बीमारी के हल्के या मध्यम श्रेणी के लक्षण (असिम्टेमेटिक) दिख रहे हैं उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है।

होम आइसोलेशन का मतलब है मरीज अपने ही घर में रहेगा, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों से अलग और घर पर ही कोरोना के मरीज का इलाज होगा। 90 फीसदी से ज्यादा लोग होम आइसोलेशन में रहकर ठीक भी हो रहे हैं।

इस दौरान किन जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए। जानिए क्‍या है वें जरूरी नियम

अगर घर में कोई कोरोना पॉजिटिव हैं, लेकिन ज्यादा गंभीर नहीं हैं, तो उन्हें घर पर ही आइसोलेट किया जा सकता है। लेकिन घर पर कोविड-19 मरीज की देखभाल कैसे करनी है, यह जानकारी लेना भी बहुत जरूरी है। 90 प्रतिशत मरीज घर पर ही ठीक हो जाते हैं, सिर्फ कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।

कोरोनावायरस के लक्षणों को गंभीरता से लेना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोरोनावायरस के लक्षणों को गंभीरता से लेना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

होम आइसोलेशन में मरीज को क्या करना चाहिए 

  1. मरीज को बाकी घरवालों से खुद को अलग रखना है।
  2. 24 घंटे उन्हे मास्क पहनकर रहना है।
  3. घर के बाकी सदस्यों को भी मास्क पहनकर रहना है।
  4. मरीज को अपने कमरे की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए।
  5. साबुन औऱ पानी से हाथ को 40 सेकंड तक धोना चाहिए।
  6. अपने बर्तन, तौलिया, चादर कपड़े बिल्कुल अलग रखें और किसी और को इस्तेमाल न करने दें।
  7. संक्रमित मरीज को अलग बाथरूम चाहिए और वो बाथरूम, टायलेट कोई और सदस्य इस्तेमाल न करे।

यह भी ध्‍यान रखें

इसके अलावा, मरीज में कुछ लक्षण दिखाई देंगे, जैसे कि हल्‍का बुखार आना, खांसी, उल्टी होना, पेट में दर्द। बुखार अगर 100 डिग्री से ऊपर हो तो मरीज को पॅरासिटामॉल की दवा लेनी चाहिए।
दिन में तीन या चार बार दवाई ले सकते हैं। बुखार कम न हो रहा हो, तो मरीज के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए।

इस दौरान आपको अपने बुखार की जांच करते रहनी चाहिए। चित्र : शटरस्‍टॉक
इस दौरान आपको अपने बुखार की जांच करते रहनी चाहिए। चित्र : शटरस्‍टॉक

खांसी ज्यादा दिन तक रहे, तो गरम पानी की भाप लेनी चाहिए। अलग-अलग तरह का काढ़ा भी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

जरूरी है ऑक्‍सीजन लेवल चैक करते रहना 

मरीज का ऑक्सीजन लेवल कितना है, यह दिन भर में छह-छह घंटे बाद जांचना चाहिए। अगर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे जाता है, तो यह चिंताजनक बात होती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। समय रहते इलाज किया जाए तो कोरोना मरीज जल्दी से जल्दी ठीक हो सकता है।

होम आइसोलेशन में जरूरी है आहार का भी ध्‍यान रखना

घर के भोजन का सेवन करना चाहिए।
मौसमी, नारंगी औऱ संतरा जैसे ताजे फल और बीन्स, दाल जैसे प्रोटीन से भरपूर आहार लें।
खाने में अदरक, लहसुन और हल्दी जैसे मसाले का उपयोग करें।
दिन में रोज 8-10 गिलास पानी पिएं।
लो फैट वाला दूध औऱ दही का सेवन करें।
कुछ भी खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें।
मैदायुक्त खाद्यपदार्थ, जंकफूड, कोल्ड ड्रिंक और मटन का सेवन न करें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड - 19 से उपचार में शरीर को हायड्रेटेड रखना बेहद ज़रूरी है. चित्र : शटरस्टॉक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड – 19 से उपचार में शरीर को हायड्रेटेड रखना बेहद ज़रूरी है. चित्र : शटरस्टॉक

क्‍या है होम आइसोलेशन की अवधि

आमतौर पर होम आइसोलेशन की अवधि 14 दिनों तक रहती है। अगर मरीज को आखिरी 10 दिनों में बुखार या अन्य कोई लक्षण नहीं है, तो वह डॉक्टर से पूछकर होम आइसोलेशन खत्म कर सकते है।

घर के सदस्य रखें इन बातों का ध्यान

कोरोना मरीज की घर पर देखभाल केवल वही कर सकता है, जिसका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा हो। मरीज की देखभाल कर रहे व्यक्ति में कैंसर, अस्थमा, सांस की दिक्कत, डायबिटीज या फिर ब्लड प्रेशर जैसी कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने होम क्‍वारंटीन के नियमों में बदलाव किया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

मरीज की देखभाल करते समय ट्रिपल लेयर मास्क, डिस्पोजेबल ग्लव्स और एक प्लास्टिक एप्रन का उपयोग करें। एप्रन को हमेशा सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ करें। बिना हाथ धोए अपने नाक, मुंह और चेहरे को न छुएं।

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कस्टमाइज़ करें

शौचालय जाने से पहले और बाद में, खाना बनाने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं। मरीज के उपयोग की किसी भी चीज को न छुएं। मरीज को खाना देते समय उसके सीधे संपर्क में ना आएं। मरीज द्वारा इस्तेमाल बर्तन को उठाते समय डिस्पोजेबल ग्लव्स जरूर पहनें।

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