क्या जुकाम में दूध पीने से हालत और बिगड़ जाती है? आइए पता करते हैं

सर्दियों के मौसम में जुकाम होना एक आम समस्या है। लेकिन क्या आपको ऐसे वक्त पर दूध का सेवन करना चाहिए? जानिए इसका प्रमाणिक जवाब!
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जानते हैं, कुछ ऐसी चीजों के बारे में जिनकी मदद से अपने फेफड़ों को डिटॉक्स कर स्वस्थ रख सकते हैं। चित्र:शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Published: 28 Oct 2021, 09:30 am IST
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क्या आप बंद नाक, सर दर्द, खराश और खांसी से परेशान हैं? यह स्थिति आपको बहुत परेशान कर सकती है। ऐसे समय में आपका खाने का मन हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन अगर आप भूखे हैं, तो आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में बहुत सारे सवाल होते हैं। ऐसी दुविधा विशेष रूप से डेयरी उत्पादों के लिए होती है जिन्हें अक्सर खारिज कर दिया जाता है।

ठंडी आइस क्रीम से लेकर पनीर और यहां तक की दूध को भी जुकाम में पीने से मना किया जाता है। इसका कारण यह दिया जाता है कि डेयरी उत्पाद बलगम (cough) के उत्पादन को बढ़ाते है। लेकिन जानिए कि क्या है  इसके पीछे की सच्चाई! 

दूध और जुकाम के बीच का प्राचीन संबंध

दूध और बलगम के बीच का संबंध प्राचीनकाल से माना जाता है। यह पारंपरिक चीनी चिकित्सा (chinese medicine) में और 12 वीं शताब्दी के डॉक्टर मूसा मैमोनाइड्स के लेखन में पाया जा सकता है। 2004 के एक अध्ययन में पाया गया कि 58% लोग अभी भी इस पर विश्वास करते हैं, और कुछ ने इसे अपने डॉक्टरों से सुना है।

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जुकाम में दूध उत्पादों का सेवन। चित्र- शटरस्टॉक।

ऐसा माना जाता है कि जुकाम की स्थिति को बिगाड़ने के लिए ज्यादा दूध पीने की आवश्यकता नहीं है। 1993 के शोध में पाया गया कि लगभग दो-तिहाई लोगों का मानना ​​था कि सिर्फ एक गिलास दूध से गले में अधिक बलगम पाया जा सकता है। अपनी स्थिति का वर्णन करने के लिए लोगों ने चिपचिपा, मोटा,  भारी और भरा हुआ जैसे शब्दों का उपयोग किया है।

क्या कहता है आधुनिक शोध? 

आधुनिक शोध के अनुसार दूध और जुकाम के बीच का संबंध मिल्क-एलर्जी (milk allergy) से अलग होता है। दूध से होने वाली एलर्जी में उल्टी, जलन, चकत्ते और सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे लैक्टोज इंटॉलरेंस (lactose intolerance) के नाम से भी जाना जाता है। 

लेकिन दूध के कारण जुकाम की बिगड़ी स्थिति एलर्जी से अलग होती है। यह पता लगाने के लिए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के एक अस्पताल के शोधकर्ताओं ने 125 लोगों को गाय का दूध (cow milk) या सोया दूध (soya milk) पीने को दिया। 

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सर्दी में दूध पीने से बचें। चित्र-शटरस्टॉक।

इसके बाद कोको पेपरमिंट फ्लेवर के साथ उन्हे हीट ट्रीटमेंट (heat treatment) दिया गया। इससे जुकाम जैसी स्थिति पैदा होने लगी। इसका मतलब था कि दूध  का स्वाद अलग आने लगा। जब बाद में सवाल किया गया तो गाय के दूध पीने वाले लोगों ने कहा कि उन्हें निगलने में मुश्किल होती है, उनकी लार गाढ़ी महसूस होती है और वे अपने गले में एक लेप महसूस कर रहे हैं। 

महत्वपूर्ण बात यह है कि सोया मिल्क का सेवन करने वाले लोगों ने भी यही प्रतिक्रिया दी। इससे यह प्रमाणित होता है कि जुकाम की स्थिति में वीगन (vegan) और नॉन-वीगन (non-vegan) डेयरी उत्पाद नुकसान पहुंचा सकते है। 

चलते-चलते 

इन शोधों से यह पता चलता है कि सर्दी-जुकाम के समय आपको डेयरी उत्पादों का सेवन कम करना चाहिए। साथ ही आइस क्रीम या अन्य ठंडी चीजों को भी नहीं खाना चाहिए। सादा ठंडा दूध भी आपकी जुकाम की स्थिति को बिगाड़ सकता है। अगर आप इससे बचना चाहते है, तो हल्दी वाला गरम दूध पी सकते हैं। क्योंकि हल्दी में औषधीय गुण होते है, जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करता है। 

दूध पीने से आपको कब्ज़ हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
जुकाम में वीगन और नॉन वीगन डेयरी उत्पादों से बचें। चित्र: शटरस्टॉक

तो लेडीज जुकाम में वीगन हो या नॉन-वीगन, दोनों ही तरह के डेयरी उत्पादों के सेवन से बचें।

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