सभी युवा महिलाओं को जानने चाहिए ये 4 कारक, जो बढ़ा सकते हैं उनका मधुमेह का जोखिम

आपको जानकर हैरानी होगी कि मिलेनियल महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले डायबिटीज का जोखिम ज्यादा होता है।
मिलेनियल वुमेन में डायबिटीज का जोखिम बढ़ता जा रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक
मिलेनियल वुमेन में डायबिटीज का जोखिम बढ़ता जा रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 24 Nov 2023, 07:07 am IST
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हम हर पल विकास और तरक्की की ओर बढ़ रहे हैं, एक नई दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं और यह अच्छा है। लेकिन इसके साथ ही जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे कैंसर और मधुमेह भी बढ़ी हैं। ब्रिटिश चैरिटी हेल्थ फाउंडेशन द्वारा की गई स्टडी का दावा है कि इस वक्त जो महिलाएं 20s और 30s के दशक में हैं, वे आने वाले 30 सालों में सबसे ज्‍यादा इन बीमारियों के जोखिम में होंगी।

डायबिटीज का जोखिम महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है। भले ही महिलाएं फिटनेस के लिए ज्यादा सजग हो, योग और जुम्बा जैसे ट्रेंड्स में भी शामिल हो, पर वे अंदर से स्वस्थ नहीं हैं।
इससे प्रभावित देशों में चीन और भारत का नाम सबसे ऊपर है। WHO के अनुसार, भारत में 62 मिलियन लोग डायबिटीज के मरीज हैं और 2025 तक यह संख्या 70 मिलियन हो जाएगी। ये दर न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि डरावनी भी है।

आइये जानते हैं क्यों मिलेनियल महिलाओं में डायबिटीज का जोखिम अधिक है:

1. नियमित चेकअप की कमी

बुजुर्ग नियमित रूप से अलग-अलग जांच करवाते रहते हैं, खासकर डायबिटीज के लिए। लेकिन मिलेनियल महिलाओं का मानना है कि उन्हें इस उम्र में मधुमेह नहीं होगा। यह समझना जरूरी है कि जांच न करवाने पर ब्लड शुगर लेवल पता नहीं चल पाता और यहीं से समस्या शुरू होती है।
हर छह महीने या एक साल पर खुद के सभी चेकअप करवाना जरूरी है।

डायबिटीज में चैकअप करवाना बहुत जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
डायबिटीज में चैकअप करवाना बहुत जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

2. स्थिर जीवनशैली

हमारे जीवन मे अधिकांश समय तो हम अपने गैजेट्स से ही चिपके रहते हैं, चाहें वह फोन हों या लैपटॉप। हमें यह एहसास नहीं होता कि शारीरिक एक्टिविटी की कमी कई स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं की जड़ है। फिजिकल एक्टविटी से मांसपेशियों में ग्लूकोज और इंसुलिन का इस्तेमाल ज्यादा होता है जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है।

जब हम कोई मूवमेंट नहीं करते हैं, मांसपेशियों की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सेंसिटिविटी खो देती हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव होता रहता है।

मिलेनियल महिलाओं के लिए घर और काम दोनों को संभालते हुए एक्सरसाइज का समय नहीं मिलता। यही कारण है कि उनके स्वास्थ्य के साथ अक्सर समझौता हो जाता है और परिणाम स्वरूप डायबिटीज जैसी बीमारियां उन्हें शिकार बना लेती हैं।

3. प्रोसेस्ड फूड से बढ़ता प्यार

हर दिन की भाग दौड़ में अगर हम सबसे कम ध्यान किसी चीज पर देते हैं तो वह है हमारा भोजन। बाजार से बने बनाए प्रोसेस्ड फूड खरीद लेना, वीकेंड पर पिज़्जा या बर्गर मंगा लेना और आये दिन मैगी खाना- इस तरह की आदतें हमें जंक फूड पर निर्भर बना देती हैं।

जंक फूड से बढ़ता प्‍यार डायबिटीज का जोखिम बढ़ा रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक
जंक फूड से बढ़ता प्‍यार डायबिटीज का जोखिम बढ़ा रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक

यही हमारे स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। प्रोसेस्ड फूड में सबसे ज्यादा शुगर होती है जो इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज का कारण बनती है। अगर डायबिटीज का पता नहीं लगा है या आप उसे नजरअंदाज कर रही हैं, तो बहुत गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
घर का ताजा बना खाना ही सबसे अच्छा होता है।

4. तनाव पूर्ण जीवन

यह तो आप जानती ही होंगी कि तनाव हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह है। तनाव होने पर शरीर उसके प्रति रेस्पॉन्स करता है, और अधिकांश मामलों में यह रेस्पॉन्स होता है ब्लड शुगर लेवल का बढ़ जाना।

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जब हम स्ट्रेस में होते हैं, दिमाग कॉर्टिसोल नामक एक हॉर्मोन निकालता है जो ब्लड शुगर पर सीधा प्रभाव डालता है। बेहतर है कि आप अपने लिए समय निकालना और रिलैक्स करना शुरू कर दें। तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन, हॉबीज इत्यादि का सहारा लें।

तो लेडीज, अब आप जानती हैं कि क्यों आप मधुमेह के जोखिम में हैं। इसलिए अपना और अधिक ख्याल रखें, सावधानी बरतें और स्वस्थ रहें।

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