हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार होना चाहिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य : डॉ चांदनी तुगनैत

बीमारी के दौरान जब अपने पिता को चांदनी ने मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष करते देखा, उन्होंने तभी तय कर लिया था कि वे मेंटल हेल्थ वेलनेस के लिए काम करेंगी। आज वे देश की जानी-मानी मेंटल वेलनेस कोच हैं।
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पढ़िए कैसे चांदनी तुगनैत बनीं एक मेंटल हेल्थ वेलनेस कोच। चित्र : चांदनी तुगनैत
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 23 Oct 2023, 09:14 am IST
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चांदनी डेढ़ साल की थी जब उनके पिता शारीरिक बीमारी के शिकार हो गए थे। वे राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज़ थे और बीमारी के कारण अपनी चैंपियनशिप में भाग नहीं ले पाए थे। इसके बाद उन्हें 7 साल तक बिस्तर पर रहना पड़ा। बड़े होने पर, अपने पिता को हर दिन बेहतर जीवन के लिए संघर्ष करते देखकर, डॉ. चांदनी तुगनैत पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया।

वे एक ऐसा क्षेत्र चुनना चाहती थीं, जो लोगों के समग्र मानसिक कल्याण में मदद करे। जिसके चलते वे मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य और उपचार के विभिन्न रूपों के अध्ययन की ओर आकर्षित हुई।

अब मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय बन गया है जिसके बारे में दबी जुबान में बात नहीं की जाती। भले ही दुनिया अब बदल रही है और अब लोग मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने लगी है। इसके बावजूद अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

हेल्थ शॉट्स ने डॉ. चांदनी तुगनैत (mental health wellness coach Dr Chandni Tugnait interview) के साथ एक विशेष बातचीत की। जिसमें उन्होंने एक मेंटल वेलनेस कोच के रूप में अपनी यात्रा और चुनौतियों के बारे में बात की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश।

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उन्होंने तय कर लिया था कि वे मेंटल हेल्थ वेलनेस के लिए काम करेंगी। चित्र : इंस्टाग्राम

आखिर अब तक मानसिक स्वास्थ्य को टैबू क्यों माना जाता है?

“सामाजिक अवधारणाओं ने मानसिक स्वास्थ्य ((mental health wellness) से जुड़े मुद्दों को टैबू बना रखा है। इसे अभी तक सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली। साथ ही लोग इसलिए भी इस पर बात नहीं करते क्योंकि उन्हें डर होता है कि आसपास के लोग उन्हें जज करेंगे। कई बार तो लोग मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। यहां तक कि घरवाले भी इस समस्या पर बात करने में संकोच महसूस करते हैं। बहुत बार, जागरूकता की कमी के कारण लोग चिंता और तनाव को सामान्य मानने लगे हैं।”

चांदनी (Dr Chandni Tugnait) आगे कहती हैं, “लगभग 12 साल पहले मैंने एक हीलर और कोच के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। उन दिनों मेरे इस निर्णय का काफी मजाक बनाया गया। परंतु मेरे माता-पिता ने मुझे अपने दिल की सुनने की सलाह दी। मैंने अपनी पसंद के सभी सर्टिफिकेशन कोर्स किए और आज में यहां मानसिक स्वास्थ्य के लिए इतनी मजबूती से काम कर पा रही हूं।

असल में साइकोथेरेपिस्ट, साइकैट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट एक-दूसरे से कितने अलग हैं?

साइकोथेरेपिस्ट, साइकैट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के बीच के अंतर पर डॉ तुगनैत कहती हैं, “ये सभी मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल हैं, लेकिन उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण और उपचार का दृष्टिकोण अलग है। एक साइकोलॉजिस्ट वह है जिसने मनोविज्ञान में डॉक्ट्रेट की डिग्री पूरी की है और मानसिक स्वास्थ्य उपचार के मूल्यांकन, उपचार और निदान में प्रशिक्षित है। मनोवैज्ञानिक अपने मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए बहुत सी सीबीटी तकनीकों का उपयोग करते हैं।

जबकि साइकेट्रिस्ट एक मेडिकल प्रोफेशनल है, जो मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में माहिर होते हैं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के साइकोलॉजिकल और बायोलॉजिकल दोनों पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाता है। साइकेट्रिस्ट लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए दवाएं लिख सकते हैं। वे अपने इलाज में ‘टॉक थरेपी’ का प्रयोग कर सकते हैं।

एक साइकोथेरेपिस्ट ‘टॉक थेरेपी’ में विशेषज्ञता रखता है और उनके पास अलग-अलग स्तर की शिक्षा होती है। वे व्यक्तियों को उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए सीबीटी, साइकोडायनामिक थेरेपी और इंटरपर्सनल थेरेपी जैसी तकनीकों के संयोजन का उपयोग करते हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य और उपचार के विभिन्न रूपों के अध्ययन की ओर आकर्षित हुई। चित्र : इंस्टाग्राम

आप खुद अपने मानसिक स्वास्थ्य को कैसे मैनेज करती हैं?

“लोग हमें सुपरहीरो मानते हैं, जिन्हें कभी कोई समस्या नहीं हो सकती। हालांकि, वे भूल जाते हैं कि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सामान्य लोगों की तरह है। हमे समय-समय पर भावनात्मक रूप से कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।

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फर्क सिर्फ इतना है कि सालों की प्रैक्टिस के बाद हम मेंटल स्ट्रेस और ट्राॅमा को मैनेज करना सीख चुके होते हैं। मेरे मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में सबसे बड़ा योगदान पर्याप्त नींद का है। मुझे नींद का महत्व पता है, क्योंकि इसका सीधा असर मेरे मरीजों के इलाज पर पड़ता है। साथ ही, मैं हमेशा कुछ नया सीखने का प्रयास करती रहती हूं। यह मेरे विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे मुझे अपने ग्राहकों के साथ बेहतर तरीके से व्यवहार करने का मोटिवेशन मिलता है। इसके अलावा, मैं महीने में एक बार अपने दोस्तों से जरूर मिलने जाती हूं। ये मुझे मानसिक रूप से काफी शांत रखता है। साथ ही किसी ऐसी जगह जरूर जाती हूं जहां मैं अकेले समय व्यतीत कर सकूं और खुद की भावनाओं को समझने की कोशिश करती हूं। साथ ही मैंने अब अपने मरीजों के साथ एक उचित सीमाएं निर्धारित करना सिख लिया है।”

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सभी को अच्छी मेंटल हेल्थ मिल सके, इसके लिए किस तरह के बदलाव की जरूरत है?

हमारे देश में अवसाद और आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए हमें बहुआयामी दृष्टिकोण (multifaceted approach) का पालन करने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए आसानी से सुलभ बनाया जाना चाहिए। हर किसी को इसका उचित लाभ उठाने की अनुमति होनी चाहिए। बहुत से लोगों को अभी भी लगता है कि मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट यानी कि साइकैट्रिस्ट के पास जाना एक सोशल टैबू है। इसके साथ ही हम देश में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता और शिक्षा में सुधार कर सकते हैं।

साथ ही हम मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सामाजिक मुद्दों पर चिंतन करते हुए इसमें सुधार ला सकते हैं जैसे कि गरीबी, आघात और भेदभाव। यह सभी मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम को बढ़ावा देते हैं। अंत में, हम एक समुदाय या एक सुरक्षित स्थान बना सकते हैं, जहां लोग बेझिझक अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में बातचीत कर सकें।

एक व्यक्ति के तौर पर क्यों जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना?

डॉ. चांदनी तुगनैत के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य आपके समग्र स्वास्थ्य, आपके रिश्तों और प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करता है। इसलिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखे। मोटे तौर पर हम इसके लिए 5 कारण गिन सकते हैं –

1. खराब मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है

“खराब मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे गैस्ट्रिक, एसिडिटी, सुन्नता, जलन और अनिद्रा जैसे कई लक्षण नजर आ सकते हैं।”

2. खराब मानसिक स्वास्थ्य प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करता है

एक खराब मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है। वहीं काम पर ध्यान केंद्रित रखने में परेशानी आती है और व्यक्ति उत्पादकता और यहां तक कि अनुपस्थिति की ओर जाता है।

3. रिश्तों पर असर पड़ता है

एक व्यक्ति जब किसी रिश्ते की शुरुआत करता है तो ऐसे में सबसे पहले उनका मानसिक रूप से संतुलित होना बहुत जरूरी है। इसलिए, मजबूत और स्वस्थ संबंधों को विकसित करने के लिए, अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है।

4. यह आपके सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित करता है

खराब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव समाज पर भी पड़ता है। जिससे स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि होती है, उत्पादकता में कमी आती है और सामाजिक असमानता बढ़ती है।

5. मानव अधिकार है एक अच्छा मानसिक स्वास्थ्य

एक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पर्याप्त सुविधा मिलनी चाहिए और वे इसका पूर्ण लाभ उठा सकते हैं। यह उनका अधिकार है।

डॉ. तुगनैत कहती हैं कि “भले ही मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बातें हो रही हों, लेकिन इसे अन्य समस्यायों से अलग समझना बिल्कुल भी उचित नहीं है। इस बारे में स्पेशलिस्ट से मदद लेना बिल्कुल सामान्य है। असल में एक्सपर्ट की सलाह लेने वाले लोगों में मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि देखने को मिली। हालांकि, बहुत से लोग डर के साथ आते हैं उन्हें लगता है कि मेन्टल हेल्थ एक्सपर्ट के पास जाने से लोग उन्हें जज किया जायेगा परंतु ये अवधारणा बिल्कुल गलत है। इतना ही नहीं अभी तक लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर घरवालों से भी खुलकर बातचीत नहीं कर पाते।”

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