आओ माहवारी पर बात करें: ये 6 महिलाएं आईं पीरियड हाइजीन के लिए आगे

जो महिलाएं, दूसरी महिलाओं का साथ देती हैं, वे सबसे ज्यादा मजबूत होती हैं। इन सुपरवुमन से मिलिए जिन्होंने लड़कियों की पीरियड और इंटीमेट हाइजीन के लिए व्यापक अभियान चलाया।
सिर्फ ताज पहनने वाले ही नायक नहीं होते। चित्र : मानुषी छिल्लर/ इंस्टाग्राम
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 1 Apr 2024, 14:45 pm IST
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अब जबकि भारत दुनिया भर में एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में पहचाना जाने लगा है, यहां अब भी कुछ मुद्दों को लेकर समाज की सोच बहुत रू‍ढ़ि‍वादी है। माहवारी एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है और देश की आधी आबादी हर माह इससे गुजरती है। तब भी हमारे समाज में पीरियड्स पर बात करते लोग झिझकते हैं।

क्‍या कहते हैं आंकड़े 

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक भारत में माहवारी के दौरान केवल 36% महिलाएं ही सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं। अर्थात 74% महिलाएं अब भी समाज में व्याप्‍त रूढ़ि‍यों के चलते सैनिटरी पैड्स या तो इस्तेमाल नहीं कर पातीं या ये उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाते।

वास्तविकता आंकड़ों से भी ज्यादा खतरनाक है। 21वीं सदी में आज भी महिलाएं माहवारी के दौरान कपड़े या फूस जैसी अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं। और इसका कारण है जानकारी और जागरुकता का अभाव, सैनिटरी पैड्स की कीमत और समाज में प्रचलित सोच।

पर, ये फीमेल फाइटर्स निकल पड़ीं हैं, मासिक धर्म यानी माहवारी को लेकर समाज में व्याप्त उस सोच को बदलने, जिसे अभी तक अछूत, बुरा या बात न करने लायक माना जाता था। भारत भर में ये फीमेल फाइटर्स महिलाओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता के संसाधन उपलब्ध करवा रहीं हैं।

आइए मिलते हैं माहवारी स्वच्छता के लिए जागरुकता फैला रही इन फीमेल फाइटर्स से –

1. दीपा खोसला

एक लाइफस्टाइल कोच दीपा ने मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जरूरी जागरूकता बढ़ाने के लिए यूनिसेफ इंडिया के साथ भागीदारी की। मासिक धर्म से संबंधित वर्जनाओं को तोड़ने के लिए उन्होंने अपने चार साथियों के साथ कोलकाता का दौरा किया और रेड डॉट चैलेंज शुरू किया।

 

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We’re partnering with @diipakhosla to raise some much needed awareness on menstrual hygiene because #MenstruationMatters Go ahead, take the #REDDOTCHALLENGE •••••••••••••••• To all my sisters and brothers who stand with me on female empowerment and emancipation!???? – Today we start the 7 Day Countdown for Menstrual Hygiene Day 2019 on May 28th with our RED DOT CHALLENGE. A challenge to bring awareness and break the taboos surrounding this important topic in our country. ???? – Together with @UNICEFIndia I will travel for my first humanitarian mission to Kolkata with 4 amazingly strong Indian Influencers to speak up on female empowerment and break taboos on menstruation. (More on this soon) ..?? – With the #REDDOTCHALLENGE we ask you to post a photo of yourself with a red dot on the palm of your hand and tag 3 friends or family members to do the same. If you tag @diipakhosla and @unicefindia in your photo I will repost as many photos as possible on my stories for the next 7 days!! Here are some photos of my mother, father, brother, sister (-in law), and husband kindly requesting you all to join and participate in raising awareness for all those girls out there that cannot speak about the issue, cannot … and feel shame every month when nature does the most natural thing all women experience So now… ready, set, red dot GO! ? #SocialMediaForSocialChange

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इस चुनौती के माध्यम से उन्होंने अपने फॉलोअर्स से पीरियड्स पर बातचीत शुरू करने के लिए कहा। जिसमें उन्हें अपनी हथेली पर एक लाल गोल निशान लगाकर फोटो पोस्ट करनी थी। #RedDotChallenge पीरियड्स और स्वच्छता के बारे में एक पॉजीटिव माइंडसेट तैयार करने के लिए शुरू किया गया था। – इन सभी कारणों ने दीपा को पीरियड हाइजीन के लिए काम करने वाला सच्चा योद्धा बना दिया।

2. सुमन

सुमन को डॉक्यूममेंटरी ‘पीरियड: एंड ऑफ सेन्टेंस’ में दिखाया गया था। जिसने वर्ष 2019 में शॉर्ट सब्जेक्ट डॉक्यूमेंटरी में ऑस्कर पुरस्कार जीता था। सुमन ने हापुड़ में अपने गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर खुद के लिए सैनिटरी पैड्स बनाए।

 

सुमन : आपको ऑस्कर विजित शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी ‘पीरियड: एंड ऑफ सेन्टेंंस’ तो याद ही होगी। वह असल में सुमन की ही कहानी थी। चित्र: सुमन

इस प्रक्रिया में, उसने न केवल खुद को, बल्कि औरों को भी सशक्त बनाया। इसके साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी उस सोच पर भी वार किया जो अब तक इस पर बात करना भी पसंद नहीं करती। जिसके चलते महिलाओं को कई तरह के स्वास्‍थ्‍य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
ऑस्कर जीतने के बाद सुमन ने कहा, “हमें एक ऐसे विषय पर सफलता मिली है जिस पर हम सार्वजनिक रूप से बात भी नहीं कर सकते थे। पीरियड्स, जिसके बारे में समाज में नीची नजर से देखा जाता है, हम उस बारे में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि महिलाएं पीरियड के दौरान अपनी स्वच्छता का ख्याल रखें।”

3. मानुषी छिल्लर

मानुषी कहती हैं, “हमें न केवल उन्हें जागरुक करना है, बल्कि यह भी ध्यान रखना है कि वे पीरियड्स के दौरान अपनी हाइजीन का ध्यान रख सकें।”मिस वर्ल्ड पेजेंट के लिए उनकेे ब्यूटी विद ए पर्पस प्रयास के अंतर्गत उन्होंने ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को मासिक धर्म स्वनच्छता के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट शक्ति की शुरुआत की।

मिस वर्ल्ड के ताज के साथ, उन्होंने प्रोजेक्ट शक्ति की अपनी जिम्मेदारी को भी बड़े पैमाने पर विस्तार दिया। गांवों में सैनिटरी पैड की आपूर्ति के लिए उन्होंने कई सैनिटरी पैड निर्माताओं से हाथ मिलाया। उनके इन प्रयासों के बाद, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह घोषणा की कि सरकार सरकारी स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड प्रदान करेगी।

4. अनुप्रिया कपूर

प्रसवोत्तर अवसाद यानी पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार रह चुकी अनुप्रिया आज एक आयुर्वेदिक इंटीमेट हाइजीन ब्रांड इम्बुनेचुरल की को-फाउंडर हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं में इंटीमेट हाइजीन के बारे में जागरूकता पैदा करना था।

उनका यह ब्रांड कैमिकल फ्री प्रोडक्ट उपलब्ध करवाता है, जो वेजाइना की हेल्थ और सेंसटिविटी के अनुकूल हैं। ये इंटीमेट हाइजीन के कैमिकल बेस्ड प्रोडक्ट का एक बेहतर विकल्प, साबित हो रहे हैं।

5. इरफाना जरगर

उनकी अनूठी पहल ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इरफाना ने ईवा सेफ्टी प्रोजेक्ट की शुरूआत की। जिसमें उन्होंने श्रीनगर के पब्लिक टॉयलेट्स में महिलाओं को निशुल्क दवाएं, सैनिटरी पैड्स और हैंड सेनिटाइजर उपलब्ध करवाना शुरू किया।
इन उत्पादों को प्रदान करने के अलावा, वे मासिक धर्म स्वमच्छता जागरुकता के प्रति भी लगातार काम कर रहीं हैं। क्योंकि यह महिलाओं के स्वास्‍थ्‍य से जुड़ा एक जरूरी मुद्दा है।
वे अपने वेतन का लगभग आधा हिस्सा शहर में उन महिलाओं की मदद करने के लिए खर्च करती हैं, जो खराब मासिक धर्म स्वच्छता की गड़बड़ियों से अनजान हैं। यह वाकई काबिले तारीफ है।

6. अदिति गुप्ता

अदिति 12 साल की थी जब उन्हें पहली बार पीरियड आए। तब उन्‍हें इसे अपने पिता और भाई से गुप्त रखने के लिए कहा गया। मासिक धर्म के प्रति यह स्टिग्मा लंबे समय तक उनके साथ रहा।
नतीजतन, अदिति ने 2012 में मासिक धर्म पर एक कॉमिक गाइड की सह-स्थापना की, जिसका उद्देश्य‍ पीरियड और हाइजीन के बारे में जागरुकता फैलाना था। साथ ही उन फुसफुसाहट पर रोक लगाना, जो अकसर हम पीरियड्स के बारे में करते हैं।

आज उनकी ये मेंस्ट्रुपीडिया नामक कॉमिक भारत के 30 स्कूलों में, सात अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध है। वे एक बेहतर भविष्य के लिए युवाओं को जागरुक कर रहीं हैं।

ये थीं हमारी पीरियड हाइजीन वॉरियर्स। क्या आप भी ऐसी ही किसी वॉरियर को जानती हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

अंग्रेजी में भी पढ़ें – Let’s talk periods, baby: These 6 women are spearheading the cause of menstrual hygiene

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