कब्ज दूर कर आपके पूप साइकल को ठीक करते हैं ये 5 योगासन

अगर आप अपच, गैस या कब्ज से परेशान हैं और हर रोज सुबह आपके लिए परेशानी भरी होती है, तो ये खास योगासन आप ही के लिए हैं।
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योग आपके पूप साइकल को नियमित बना सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
निशा कपूर Updated: 31 Aug 2022, 10:14 am IST
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खराब लाइफस्टाइल और असंतुलित खान-पान पाचन संबंधी परेशानियों की वजह बन सकता है। जिसमें गैस की समस्या होना आम बात है। आज अधिकतर लोग इस परेशानी से गुजर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करके इस परेशानी से बचा जा सकता है। पर कई बार इससे राहत पाने के लिए दवाओं का सहारा भी लेना पड़ जाता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि योग में इन समस्याओं का हल छिपा हुआ है। जी हां, आज योग एक्सपर्ट वंदना आपको कब्ज, अपच और गैस को दूर करने वाले योगासन बता रहीं हैं। जो आपके पूप साइकल को दुरूस्त कर सकते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में योगा टीचर वंदना समय-समय पर योग के फायदों के बारे में बताती रहती हैं। अभी हाल ही में उन्होंने पाचन और पूप संबंधी समस्याओं पर एक वीडियो बनाया।

योग आपके पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है, चित्र: शटरस्टॉक

डॉ वंदना कहती हैं, “योग को लंबे वक़्त से स्वास्थ्य समस्याओं में से कुछ को दूर करने के बेहतर तरीकों में से एक माना जाता है। पवनमुक्तासन और वज्रासन जैसे आसन पाचन को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। योग गैस, सूजन और गैस्ट्रिक परेशानियों को कम करने में मददगार हो सकता है। आपको इस परेशानी से बचने के लिए कुछ सरल योगासन करने चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं। .

अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में वीडियो साझा करते हुए उन योगासनों के बारे में बताया, जो आपके पूप साइकल को नियमित बना सकते हैं। किया है जिसमें उन्होंने गैस से राहत पाने के लिए कुछ सरल योगासन बताए है। यहां देखें उनका वीडियो।

यहां हैं वे आसन जो आपकी पाचन संंबंधी समस्याओं को दूर कर सकते हैं

1. पवनमुक्तासन

यह आसन पाचन तंत्र पर अच्छी तरह कार्य करता और उसे नियंत्रित करता है। पवनमुक्तासन अतिसक्रिय मेटाबॉलिज्म को शांत करने का कार्य करता है। इसके अलावा, यह आसन शरीर के द्वारा बेहतर तरीके से पोषक तत्वों को अवशोषित (Absorption) करने में सहायता भी करता है।

इस तरह करें पवनमुक्तासन

  • सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं ।
  • इस बात का ध्यान रखें कि आपके हाथ शरीर के साथ सटे रहने चाहिए।
  • अब गहरी सांस लेते हुए दाएं पैर को मोड़ें। अब आप अपने दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ें और उन्हें छाती से लगाने की कोशिश करें।
  • अब आपको सांस छोड़ते हुए सिर को उठाना होगा और नाक को घुटने का स्पर्श करना होगा। इस अवस्था में कुछ सेकंड रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए अपने पैरों और सिर को प्रारंभिक अवस्था में ले आएं।दाएं पैर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह आसन बाएं और फिर दोनों पैरों से एकसाथ करें।
  • इस आसन में आप 30 सेकंड से 1 मिनट तक रुक सकते हैं।

2. पश्चिमोत्तानासन:

यह आसन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है “पश्चिम” जिसका अर्थ है “पीछे” या “पश्चिम दिशा” “उटाना”, जिसका अर्थ है “तीव्र खिंचाव” और आसन जिसका अर्थ है “बैठने का तरीका”। यह आसन आपके दिमाग को शांत करने और तनाव को दूर करने में भी मदद करता है।

इस तरह करें पश्चिमोत्तानासन

  • सबसे पहले दोनों पैरों को बाहर की तरफ फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं।
  • पैर की उंगलियों आगे और एक साथ रहनी चाहिए।
  • सांस लें, अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और जहां तक संभव हो शरीर को आगे की तरफ झुकाने के लिए झुकें।
  • आगे की तरफ झुकते समय साँस छोड़े ।
  • अंतिम चरण में, दोनों हाथो को पैरों के तलवे को और नाक को घुटनों को छूना चाहिए।
  • इसका अभ्यास 30 सेकंड-1 मिनट या 5-10 गहरी सांसों के लिए कर सकते हैं।

3. अर्ध मत्स्येन्द्रासन:

यह आसन संस्कृत भाषा के चार शब्दों अर्ध, मत्स्य, इंद्र और आसन से मिलकर बना हैं। इसमें “अर्ध” का अर्थ आधा, “मत्स्य” का अर्थ मछली, “इंद्र” का अर्थ राजा और “आसन” का अर्थ मुद्रा हैं। ऐसा कहा जाता हैं की अर्ध मत्स्येंद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर रखा गया हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को वक्रसन के नाम से भी जाना जाता हैं।

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इस तरह करें अर्ध मत्स्येन्द्रासन

  • सबसे पहले योगा मैट बिछाकर दंडासन योग मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब बाएं पैर को मोड़े और इसे दाएं पैर के घुटने से उपर ले जाकर जमीन पर रखें।
  • उसके बाद दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े।
  • अब सांस लेते हुए अपनी गर्दन को बाएं ओर हल्का मोड़े, जितना आपसे संभव हो सकता हैं, कोई जोर जबरदस्ती न करें।
  • इस बीच अपने बाएं हाथ को जमीन पर टिका कर रखें।
  • आप इस आसन में 3-5 गहरी सांसों तक रहें और फिर धीरे-धीरे इस आसन से बाहर आजाये।
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गैस से राहत पाने के लिए करें व्रजासन। चित्र: शटरस्टॉक

4. वज्रासन

यह काफी सरल योगासन है। यह आसन आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त करने का काम करता है, जिससे पोषक तत्व शरीर में आसानी से अवशोषित होने लगते हैं। जिससे कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है।

इस तरह करें वज्रासन

  • सबसे पहले पैरों को जमीन पर फैलाकर बैठें।
  • दाहिना पैर को घुटने से मोड़ें और दाहिने कूल्हे के नीचे रखें।
  • इसी तरह से बाएं पैर को मोड़ें और अपने बाएं कूल्हे के नीचे रखें।
    अब नितम्बों को एड़ियों के बीच में लाएं।
  • हाथों को घुटनों पर रखें और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया जारी रखें और शांत रहने की कोशिश करें।
  • पहली अवस्था में आने के लिए अपने दाहिने पैर को आगे लेकर आए फिर बाएं को।
  • इस आसन में 1 मिनट तक या आराम से रहने तक रह सकते हैं।

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