बचपन में यदि टूट चुकी है हड्डी, तो बढ़ सकती है बोन फ्रैक्चर की संभावना, स्टडी में हुआ खुलासा

कम उम्र में यदि बच्चे की हड्डी टूटती है, तो बड़े होने पर फ्रैक्चर के चांसेज महिलाओं में बढ़ जाते हैं। इस बात का खुलासा एक स्टडी में हुई है।
fracture hips pain ka cause ho sakta hai
फ्रैक्चर कूल्हे में दर्द का एक बड़ा कारण है। चित्र शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 19 Dec 2022, 17:08 pm IST
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कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। हालांकि यह बात पॉजिटिव सेंस में कही गई है। पर यहां बात नेगेटिव सेंस में कही जा रही है। हाल में हुई एक स्टडी बताती है कि बचपन में यदि किसी बच्काची की हड्डी टूट जाती है, तो यह किसी ख़ास समस्या की ओर संकेत है। यह भविष्य में फ्रैक्चर जोखिम और ऑस्टियोपोरोसिस की चेतावनी (risk of bone fractures in adulthood) का संकेत हो सकता है।

क्या है स्टडी (bone density research) 

डुनेडिन मल्टीडीसीपलीनरी हेल्थ एंड डेवेलपमेंट रिसर्च यूनिट की स्टडी के अनुसार, जिन महिलाओं को बचपन में फ्रैक्चर हुए। बाद के जीवन में उनके हिप बोंस कम अस्थि खनिज घनत्व से जुड़े थे।यदि बचपन में किसी कारणवश हड्डी टूटती है, तो बड़े होने पर ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए बचपन के फ्रैक्चर को अनदेखा नहीं करना चाहिए। इस रिसर्च सेंटर द्वारा मध्यम आयु वर्ग के लोगों के समूह में फ्रैक्चर के इतिहास की जांच पांच दशकों से हो रही है। इस स्टडी के निष्कर्ष में बताया गया कि जिन लोगों ने अपने बचपन में एक से अधिक बार हड्डी तोड़ी, वयस्क होने पर उनमें हड्डी टूटने की संभावना दोगुनी से अधिक थी। इसके कारण 45 वर्ष की आयु में महिलाओं में कूल्हे की हड्डी का घनत्व कम हो गया। निष्कर्ष में यह भी बताया गया कि अगर जीवन शैली में बदलाव को जीवन में पहले ही लागू किया जाए तो बोन डेंसिटी में सुधार हो जा सकता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम में कमी आ सकती है। हालांकि स्टडी में इस बात का पता नहीं चल पाया कि कम उम्र में हड्डी बार-बार क्यों टूटती है।

बोन मास पर पर्यावरण, आहार, हार्मोनल और आनुवंशिक प्रभाव

इंडियन जर्नल ऑफ़ एन्डोक्रिनोलोजी एंड मेटाबोलिज्म जर्नल में भी बच्चों और वयस्कों के बोन हेल्थ पर भी स्टडी रिपोर्ट प्रकाशित किया गया।
बचपन और किशोरावस्था के दौरान हमारा स्केलेटल सिस्टम कई परिवर्तन से गुजरता है। मॉडलिंग और रीमॉडेलिंग की प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए यह सिस्टम अपने वयस्क विन्यास को प्राप्त करता है। अंत में पूर्ण रूप से विकसित होकर बोन मास को प्राप्त करता है।

पर्यावरण, आहार, हार्मोनल और आनुवंशिक प्रभाव भी बोन हेल्थ को प्रभावित करते हैं । चित्र शटरस्टॉक

पर्यावरण, आहार, हार्मोनल और आनुवंशिक प्रभाव भी बोन मास को प्रभावित करते हैं। कई प्रकार की तीव्र और पुरानी स्थितियां और आनुवंशिक स्थिति भी बोन डेंसिटी के कम होने के साथ जुड़ी हुई हैं। इससे बचपन में और बाद में एडल्ट होने पर फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है। यदि किसी प्रकार का अस्थि विकार है, तो उसका मूल्यांकन करने पर बोन डेंसिटी का घनत्व कम होना कारण होता है।

मोटापा से टूट सकती है हड्डी (obesity effect on bone)

अन्य महत्वपूर्ण कारकों में बॉडी मास भी शामिल है। मोटे बच्चों में आमतौर पर हड्डियों का द्रव्यमान और घनत्व अधिक होता है और हड्डियां बड़ी होती हैं। इसलिए उनकी हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। यदि विसेरल मास अधिक होता है, तो हड्डी के प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है।
यह रिसर्च बताता है कि धूप के सेवन के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में विटामिन डी के स्रोत वाले आहार का सेवन भी अपर्याप्त होता है। इसलिए, विटामिन डी की दैनिक आवश्यकता त्वचा के संश्लेषण और सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करती है। डार्क स्किन, यूवी सनब्लॉकर्स का उपयोग, या ऐसी ड्रेस जो त्वचा को बड़े पैमाने पर कवर कर लेती हैं। यूवीबी प्रकाश के स्किन एब्जोर्पशन को कम कर देती हैं।

हड्डियों की मजबूती के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खानपान ( vitamin d for bone health)

शोध इस बात पर जोर देता है कि बड़े होने आपकी हड्डियां तभी मजबूत रह सकती हैं जब आप छोटी उम्र में खान-पान पर ध्यान देना शुरू कर देती हैं। यहां यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अन्य पोषक तत्व जैसे कि विटामिन डी और विटामिन के, कॉपर, प्रोटीन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, आयरन भी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

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बोन हेल्थ के लिए  विटामिन डी से भरपूर भोजन लेना जरूरी होता है।चित्र: शटरस्टॉक

आहार के अलावा, शारीरिक गतिविधि, विशेष रूप से भार वहन करने वाली गतिविधि, बोन डेंसिटी का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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