कुछ महिलाओं को अपने खानपान में अचानक बदलाव लाने की इच्छा से यह संकेत मिलने लगता है कि उनका पीरियड शुरू होने वाला है। उन्हें कुछ विशेष खाने की इच्छा होने लगती है। पीरियड के दौरान क्रेविंग होना सामान्य बात है। एक्सपर्ट तो कुछ ऐसा ही कहती हैं। विशेषज्ञ इसे पीरियड क्रेविंग का नाम देते हैं। ऐसा शरीर के बायोलॉजिकल और साइकोलोजिकल दोनों कारणों से हो सकता है। कभी-कभी किसी सामान की मार्केटिंग कुछ इस तरह से की जाती है कि क्रेविंग होना सामान्य-सा लगता है। यहां जानने वाली बात यह है कि यदि अन्हेल्दी फ़ूड लेती हैं, तो इससे प्रति दिन अनुमानित 500 एक्स्ट्रा कैलोरी शरीर तक पहुंच सकता है। इससे बचना चाहिए। पीरियड क्रेविंग (Period Craving) को रोकने का उपाय करना चाहिए।
इसके पीछे पूरी तरह हार्मोन जिम्मेदार हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के 150 से अधिक अलग-अलग लक्षण होते हैं।इनमें पीरियड्स के दौरान फ़ूड क्रेविंग सबसे अधिक बार रिपोर्ट की जाने वाली समस्याओं में से एक है। 90 प्रतिशत से भी अधिक महिलाओं को फ़ूड क्रेविंग होती है। यह पीरियड शुरू होने से ठीक पहले होने लगती है। इस दौरान हार्मोन में उतार-चढ़ाव होते हैं। यह न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करते हैं।
आमतौर पर उस समय जब आपका ओव्यूलेशन (ovulation) के दौरान एग निकलता है। आपका शरीर कार्ब्स, वसा और मीठे पदार्थ खाना चाहता है। इसलिए आप हाई कैलोरी व्यंजनों तक अपनी पहुंच बनाने लगती हैं। यह शरीर से उत्पादित सेरोटोनिन के निचले स्तर को बढ़ावा देता है। ये फील-गुड हार्मोन किसी भी मूड स्विंग से निपटने के लिए भी जरूरी होते हैं। ये पीरियड के दौरान होने वाले स्ट्रेस से बचाव करने में मदद करते हैं।
पीरियड से ठीक पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन लेवल में बदलाव से कार्बोहाइड्रेट और शुगर की लालसा हो सकती है। कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि भूख को नियंत्रित करने वाले इंटरनली सीक्रेट होने वाले ओपिओइड पेप्टाइड्स पीएमएस के दौरान अधिक सक्रिय होते हैं।
एस्ट्रोजेन, इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल के बीच का संबंध फ़ूड क्रेविंग और उसके बाद वजन बढ़ने को भी प्रभावित करता है। पीरियड फ्लो के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट मेनोपॉज के प्रभाव की नकल कर सकती है। इससे इंसुलिन प्रतिरोध और ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि हो सकती है। आपका शरीर उन कोशिकाओं में ब्लड शुगर भेजने की कोशिश करता है, जहां ऊर्जा की आवश्यकता होती है। बदले में भूख भोजन सेवन और वजन बढ़ने पर दो तरफ से प्रभाव डालता है।
दिन के पहले भाग में पेट भरा हुआ महसूस कराने के लिए अंडे जैसे प्रोटीन से भरपूर ब्रेकफास्ट लें। पीरियड से पहले हेल्दी प्रोटीन और फैट खाना चाहिए। जब हार्मोन बदलते हैं, तो अत्यधिक खाने की संभावना कम हो जाती है। नियमित एक्सरसाइज जरूर करें।
कोशिकाएं ओव्यूलेशन के बाद के दिनों में भी मैग्नीशियम की मांग करती हैं। कोको बीन्स में इसकी मात्रा अधिक होती है, इसलिए चॉकलेट खाने की इच्छा बहुत अधिक प्रबल हो जाती है। अन्य किस्मों की तुलना में डार्क चॉकलेट का चयन करके कैलोरी सेवन को कम किया जा सकता है। इसमें कम चीनी होती है। मैग्नीशियम की अधिक खुराक प्राप्त करने के लिए जौ, हरी सब्जियां या सप्लीमेंट लिया जा सकता है। मैग्नीशियम ऐंठन, कब्ज, अनियमित नींद, चिंता या सिरदर्द में भी मदद कर सकता है।
सबसे सुरक्षित तरीका यह है कि पीरियड से पहले घर से हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों को हटा दें। हेल्दी विकल्प ढूंढें। यदि चीनी की जरूरत है, तो तृप्त करने के लिए फल का एक मीठा टुकड़ा मुंह में डालें।
मिठाइयों के बाद सबसे आम क्रेविंग नमक (Period Craving) की होती है। जैसे-जैसे हार्मोन में उतार-चढ़ाव होता है, एड्रीनल ग्लैंड उन्हें रेगुलेट करने के लिए अधिक मेहनत करती हैं। गति बनाए रखने के लिए उन्हें नमक सहित अधिक मिनरल की जरूरत होती है। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए खाना पकाने में सी साल्ट का उपयोग करें। सी फ़ूड या पानी से भरपूर सब्जियां खाएं। प्रोसेस्ड साल्ट, कैन फ़ूड से दूर रहें।
नियमित रूप से भोजन करना या नाश्ता करना भी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस चरण के दौरान संतुलित रहा जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंखाद्य पदार्थों के लिए लालसा या क्रेविंग (Period Craving) वास्तव में कोशिकाओं और ग्रंथियों में पैदा हो सकती है।
मीठे खाद्य पदार्थों की प्रबल इच्छा यूटरस लाइनिंग को फिर से भरने और पिछले महीने में वहां बने विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए जरूरी ऊर्जा के कारण होती है। इसलिए पीरियड के दौरान शुगर और कार्ब की लालसा सबसे अधिक होती है। हेल्दी कार्ब लेने की कोशिश करें।
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