आपके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है मेडिटेरेनियन डाइट, जानिए क्या होता है इसका प्रभाव

मेडिटेरिनियन डाइट मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है। यह रीप्रोडक्टिव हेल्थ की समस्याओं को दूर करने में भी कारगर है।
plant based protein ke side effect
प्लांट और एनिमल प्रोटीन के बीच सबसे बड़ा अंतर उनकी ल्यूसीन सामग्री में आता है। चित्र : शटर स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 21 Jan 2023, 21:00 pm IST
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इन दिनों रिप्रोडक्टिव हेल्थ संबंधी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। हालांकि सभी को इनफर्टिलिटी के एक शब्द में नहीं बांधा जा सकता। पर इनके कारण जो लोग बेबी प्लान करना चाहते हैं, वे सफल नहीं हो पाते। रिसर्च और विशेषज्ञ खानपान और लाइफ स्टाइल की ओर इशारा करते हैं। खराब खान-पान के कारण बैली फैट बढ़ जाता है। वजन बढ़ने और फीमेल रीप्रोडक्टिव कैपेसिटी के बीच सीधा संबंध है। वास्तव में ट्रांस फैट, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और अतिरिक्त शर्करा वाले आहार प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। शोध बताते हैं मेडिटेरिनियन डाइट रीप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए बढ़िया होता है।

इस बारे में क्या कहती है रिसर्च

पोलैंड की शोधकर्ता के स्कोरैका, अन्ना मारिया रिक्टर और उनकी टीम ने 35 वर्ष की औसत आयु वाले 22,786 प्रतिभागियों पर स्टडी की। लगातार एक वर्ष तक मेडिटेरिनियन डाइट लेने पर उनकी प्रजनन क्षमता में सुधार देखा गया। अध्ययन से पता चला कि स्वस्थ आहार पैटर्न का उपयोग करने से महिलाओं की फर्टिलिटी रेट में भी सुधार देखा गया। गर्भावस्था की योजना बनाने वाली या अध्ययन के दौरान गर्भवती हुई 17,544 महिलाओं में इस आहार के पालन से ओव्यूलेशन विकारों के कारण हुआ फर्टिलिटी जोखिम कम हुआ।

क्या है मेडिटेरेनियन डाइट (Mediterranean diet)

मेडिटेरिनियन डाइट या भूमध्यसागरीय आहार खाने का एक तरीका है। यह ग्रीस, इटली और भूमध्य सागर की सीमा से लगे अन्य देशों के पारंपरिक व्यंजनों पर आधारित होता है। इसमें प्लांट बेस्ड फ़ूड जैसे कि साबुत अनाज, सब्जियां, फलियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, बीज, हर्ब्स और मसाले को शामिल किया जाता है। इसमें प्रोसेस्ड रेड मीट, प्रोसेस्ड फ़ूड, रीफ़ाइन अनाज, शराब, मक्खन और हाइड्रोजनीकृत तेल को शामिल नहीं किया जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय रहना जरूरी

फ्रंटियर्स इन रिप्रोडकटिव हेल्थ जर्नल में प्रकाशित स्टडी आलेख के अनुसार, कुछ महिलाओं ने डाइट में ट्रांस-फैटी एसिड (Trans Fatty Acid) को अपने आहार में शामिल नहीं किया। साथ ही उन्होंने प्लांट बेस्ड प्रोटीन के साथ-साथ कम वसा वाले डेयरी प्रोटीन (Low Fat Dairy Product) और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Low Glycemic Index) वाले खाद्य पदार्थ, हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन किया।

उनकी फर्टिलिटी रेट में सुधार पाया गया। इन महिलाओं ने ख़ास आहार के साथ-साथ मल्टीविटामिन, आयरन, फोलिक एसिड सप्लीमेंट का सेवन भी किया था। इसके साथ वे शारीरिक रूप से भी सक्रिय थीं।

मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित करता है

अध्ययन से संकेत मिलता है, मेडिटेरिनियन डाइट मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह इंसुलिन रेसिस्टेंस, मेटाबोलिज्म संबंधी गड़बड़ी और मोटापे के जोखिम को कम करता है।

मेडिटेरिनियन डाइट  फीमेल फर्टिलिटी को प्रभावित करता है । चित्र : शटर स्टॉक

ये तीनों कारक प्रजनन क्षमता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। मेडिटेरिनियन डाइट में सब्जियों, दालों, फलों, ओलिव आयल, नॉन प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट, कम वसा वाले डेयरी और पोल्ट्री को भी जोड़ा जाता है। इसमें संतुलित मात्रा में मछली और वाइन को भी शामिल किया जाता है। इसमें रेड मीट और शुगर की खपत कम होती है। .

माइक्रोबायोटा संरचना बाधित

मेडिटेरिनियन डाइट जर्नल के अनुसार, इस डाइट पैटर्न में आहार फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid), प्लांट बेस्ड प्रोटीन (Plant Based Protein), विटामिन और खनिज भरपूर होता है। यह महिला प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। शोध इस बात पर जोर देता है कि अस्वास्थ्यकर आहार माइक्रोबायोटा संरचना को बाधित कर सकता है।

टमाटर का लाइकोपीन है फायदेमंद

इस पर यह जांच होना बाकी है कि माइक्रोबायोटा की संरचना फर्टिलिटी को बढ़ाता है या नहीं। इस डाइट में कई ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।

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टमाटर भी शामिल किया जाता है, जो फर्टिलिटी में मदद कर सकते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

इसमें टमाटर भी शामिल किया जाता है, जो फर्टिलिटी में मदद कर सकते हैं। पके हुए टमाटर में लाइकोपीन कंपाउंड मौजूद होता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो शुक्राणु की मोबिलिटी और मोर्टेलिटी रेट में सुधार कर सकता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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