सेक्स जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। हैप्पी कपल इसे एन्जॉय करते हैं और यह आपके पार्टनर के साथ आपके रिश्ते को मजबूत बनाता है। पर यौन शोषण उतना ही बड़ा अपराध है, अगर वह बचपन में किया गया है तो और भी ज्यादा। हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि जो महिलाएं बचपन में उपेक्षा या यौन शोषण का सामना करती हैं, उनका सेक्सुअल बिहेवियर जीवन भर इससे प्रभावित हो सकता है।
माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसिन ने बचपन की परवरिश और किशोरावस्था के यौन व्यवहार पर एक शोध किया है। इस शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि बचपन में भावनात्मक उपेक्षा या गंभीर यौन शोषण (Sexual Harassment) महिलाओं के मानसिक और यौनिक व्यवहार को नुकसान पहुंचाता है। इससे पीड़ित महिलाओं में किशोरावस्था (Adolescents) में जोखिम भरे सेक्सुअल बिहेवियर (Sexual Behaviour) की संभावना अधिक होती है।
बाल विकास पत्रिका में जारी अध्ययन के अनुसार, उन्होंने बचपन में दुर्व्यवहार की सूचना देने वाली 882 महिला किशोरों का मूल्यांकन किया था। इस अध्ययन से उन्हें पता चलता है कि ऐसी महिलाओं में कई प्रकार के जोखिम भरे सेक्सुअल बिहेवियर के अलावा, दुर्व्यवहार (Misbehaviour) के विभिन्न के रुप पाए जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने उन बच्चों की पहचान की जो निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति और अल्पसंख्यक समूहों में पैदा होते हैं। जो उपेक्षा और यौन शोषण के कारण बाद में जोखिम भरे यौन व्यवहार से पीड़ित होते हैं। इस अध्ययन के सह-लेखक ली नीयू कहते हैं, “लैटिन और अश्वेत किशोर लड़कियों और कम प्रतिनिधित्व की श्रेणी में आने वाली युवा महिलाओं के बीच यौन जोखिम प्रक्षेपवक्र (Sexual Risk Trajectories) की घटना और समझ ज्यादा होती है।
“यह अध्ययन दुर्व्यवहार और उपेक्षा के पैटर्न के बारे में अनूठी जानकारी प्रदान करता है। साथ ही क्लीनिकल और अनुसंधान सेटिंग्स में बेहतर और अधिक व्यापक उपकरणों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इसके अलावा, यह बताता है कि समाज को महत्वपूर्ण सामाजिक ताकतों को पहचानने की जरूरत है।
यह लड़कियों के यौन विकास को प्रभावित करते हैं। इनकी पहचान कर लैंगिक असमानता और रूढ़ियों जैसे कारकों को दूर करने की जरूरत है।
ऐसे मामलों की रोकथाम और हस्तक्षेप के प्रयासों में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही किशाेरियों के बीच उपेक्षा और दुर्व्यवहार को संबोधित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले क्लीनिकल उपकरणों की व्यवस्था होनी चाहिए।
नीयू कहते हैं, यह एक महत्वपूर्ण अध्ययन हैं। इसने समाज की एक बेहद दर्दनाक सच्चाई को उजागर किया है। समाज का दायित्व है कि उन लोगों की पहचान की जाए जो बच्चों के साथ ऐसा घिनौना अपराध करते हैं। हर बच्ची और किशोरी को अपने जीवन के हर पल का आनंद लेने और मानसिक-भावनात्मक विकास का अधिकार है।
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