Battered woman syndrome : जानिए क्या है यह स्थिति, जिसमें प्रताड़ना को आप अपनी किस्मत मानने लगती हैं

''जो प्यार करता है वही मारता है'' - आलिया भट्ट और विजय वर्मा स्टारर डार्लिंग्स मूवी का ये डायलॉग अगर आपके जीवन का सच बन गया है, तो आप भी हो सकती हैं बैटर्ड वुमन सिंड्रोम की शिकार। जानिए क्या है और इससे बचना क्यों जरूरी है।
battered women syndrome
बार - बार माफी मांगने और प्रताड़ित करने का यह चक्र निरंतर चलने वाला है। चित्र : शटरस्टॉक

आपने कई बार लोगों को कहते हुये सुना होगा कि ”उसका पार्टनर अब्यूसिव है! देखो फिर भी वो उसके साथ रह रही है।” कई बार हम इन परिस्थितियों में रह रही महिलाओं की स्थिति को गर्व और उनके धैर्य के दृष्टिकोण से देखते हैं। और कभी-कभी हम एक चलताऊ कमेंट देते हैं कि ‘वह उसे छोड़ क्यों नहीं देती? असल में ये दोनों ही टिप्पणियां उस महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जो पहले से ही एक जहरीले रिश्ते की गिरफ्त में है। जहरीले रिश्ते को ही अपनी नियति मानकर निभाते चले जाने को विज्ञान की भाषा में बैटर्ड वुमन सिंड्रोम (Battered woman’s syndrome) का शिकार कहा जाता हैं।

हम सब जानते हैं कि टॉक्सिक रिलेशन (Toxic Relation) को छोड़ना ही बेहतर है। मगर, जो महिलाएं ऐसा नहीं कर पाती हम उनके मन को समझने की कोशिश नहीं करते हैं। ज़रा सोचिए कि ऐसी महिला जो हर रोज़ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना (Physical and Mental Abuse) का सामना कर रही है उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी?

कई बार फैमिली के प्रेशर, बच्चों की देखभाल, अकेलापन और आर्थिक रूप से सक्षम न होने पर महिलाएं अब्यूसिव रिलेशनशिप को निभाती रहती हैं। हैरानी सबसे ज्यादा तब होती है जब आर्थिक-सामाजिक रूप से सक्षम होने के बावजूद बहुत सारी महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस सहती रहती हैं। तब यकीनन आपके मन में सवाल आता होगा, कि आखिर ऐसा क्यों है? तो इसे विज्ञान की भाषा में बैटर्ड वुमन सिंड्रोम (Battered woman’s syndrome) का शिकार कहा जाता हैं। यदि आप या आपका कोई जानने वाला भी इसी परिस्थिति से गुजर रहा है, तो जरूरी है कि आप मदद के लिए आगे बढ़ें।

क्या है बैटर्ड वुमन सिंड्रोम? (Battered woman’s syndrome)

यह सिंड्रोम पोस्टट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का एक प्रकार है। मनोवैज्ञानिक लेनोर वॉकर, एडीडी, ने 1979 की अपनी किताब, द बैटरेड वुमन में इस शब्द को गढ़ा था। बैटर्ड वुमन सिंड्रोम इंटीमेट पार्टनर के हिंसक व्यवहार के कारण उत्पन्न हो सकता है। बता दें कि यह कोई मेंटल इलनेस नहीं है, बल्कि हर दिन मिलने वाली उस फिजिकल और मेंटल वायलेंस का नतीजा है, जो एक महिला कि मानसिक स्थिति को बदतर बना देता है। यह डीप ट्रॉमा की स्टेट है।

इस सिंड्रोम का शिकार कोई तब होता है जब शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक शोषण साइकल में होता है। जिसकी वजह से तनाव बढ़ता है, फिर हिंसा होती है। उसके बाद दुर्व्यवहार करने वाला माफी मांगता है और बेहतर बनने का वादा करता है।

क्या है बैटर्ड वुमन सिंड्रोम और इससे बचने के उपाय। चित्र : शटरस्टॉक

कैसे पहचान सकती हैं कि आप भी हैं बैटर्ड वुमन सिंड्रोम की शिकार

एनसीबीआई द्वारा 2014 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बार – बार और सालों साल मेंटल वायलेंस का शिकार होने की वजह से ब्रेन के कुछ हिस्से परमानेंटली डैमेज हो सकते हैं। जिसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जैसे

पार्टनर के सामने कुछ गलत करते ही एंग्जाइटी होना
उनके आसपास घबराहट महसूस होना
अक्सर चीज़ें भूल जाना
फोकस की कमी
कुछ समझ न आना

बार – बार माफी मांगने और प्रताड़ित करने का यह चक्र निरंतर चलने वाला है। ऐसे में यदि आपका कोई अपना इसे अपनी नियति मान कर बैठा है, तो उन्हें इससे बाहर निकालने में मदद करें।

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जो महिला इस तरह की गैसलाइटिंग का शिकार हो उसे मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास ले जाया जाना चाहिए। चित्र : शटरस्टॉक

इस स्थिति से बचने और बाहर निकलने के उपायों के बारे में जानने के लिए हमने अपोलो हॉस्पिटल, विजयनगर, इंदौर के मनोचिकित्सक डॉ. आशुतोष सिंह से बात की। उनसे जानिए इससे बचने के उपाय

1 एक सेफ्टी प्लान बनाएं

उन्हें सुरक्षित रखने के लिए एक सेफ्टी प्लान बनाएं। इसमें आप अपने किसी पड़ोसी या दोस्त की मदद ले सकती हैं। ताकि जब किसी प्रकार की वायलेंस हो, तब आप पुलिस को फोन लगा सकें। ताकि ऐसा व्यक्ति रंगे हाथ पकड़ा जा सके।

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2 मदद करने का प्रयास करें

डॉ. आशुतोष का कहना है कि ”यदि आपके परिवार में कोई इस तरह की गैसलाइटिंग (Gaslighting) का शिकार है, तो ऐसे में उन्हें समझाने का प्रयास करें कि जो आपके साथ हो रहा है वो नॉर्मल नहीं है। और इसमें न ही उनकी कोई गलती है। गलती है तो सिर्फ अब्यूज़र की, क्योंकि ये बात वे खुद समझ पाएं, इतनी वे सक्षम नहीं हैं।”

3 थेरेपी या काउंसलिंग करवाएं

डॉ. आशुतोष के अनुसार ”जो महिला इस तरह की गैसलाइटिंग का शिकार हो उसे मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास ले जाया जाना चाहिए। ताकि उनकी सही काउंसलिंग हो सके।”

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प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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