काम का तानव या फाइनेंशियल कंडीशन जैसी रोज़मर्रा की परेशानियों से रिश्तों में दरार आ सकती है। कोविड -19 महामारी के दौरान कई जोड़ों के बीच यह सब और भी बड़ी समस्याएं बन गयी हैं। ऐसे में रिश्तों में दरार न पड़े इसलिए, एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगाने से अच्छा है कि हालात को दोष दिया जाए।
इसी बात की पुष्टि करते हुए ‘सोशल साइकोलॉजिकल एंड पर्सनैलिटी साइंस’ की रिपोर्ट में एक नए अध्ययन में सामने आया कि, जिन लोगों ने अपने साथी को दोष न देते हुए महामारी पर अपने तनाव को जिम्मेदार ठहराया, वे अपने रिश्ते में खुश थे।
पिछले कई अध्ययन से पता चला है कि तनाव का अनुभव होने पर रोमांटिक पार्टनर एक-दूसरे के प्रति अधिक आलोचनात्मक हो जाते हैं। मगर प्राकृतिक आपदाओं जैसी प्रमुख घटनाएं हमेशा बिगड़ते संबंधों से जुड़ी नहीं होती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि छोटे – छोटे तनाव अकसर नज़र नहीं आते और बड़ी घटनाएं प्रत्यक्ष तौर पर सामने होती हैं।
ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय में मानव विकास और परिवार विज्ञान के सहयोगी प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखकों में से एक लिसा नेफ कहती हैं कि “इस जागरूकता के कारण, जब प्रमुख तनाव होते हैं, रोमांटिक पार्टनर अपनी समस्याओं के लिए एक-दूसरे को दोष देने की संभावना कम कर सकते हैं। जो रिश्ते पर तनाव के हानिकारक प्रभावों को कम कर सकती है।”
कोविड-19 महामारी, अपने व्यापक प्रभाव के साथ, एक अनूठा संदर्भ प्रस्तुत करती है। शोधकर्ताओं ने महामारी के शुरुआती हफ्तों के दौरान 191 प्रतिभागियों से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया और सात महीने बाद फिर से जांच की, कि क्या समस्याओं के लिए महामारी को दोष देने से तनाव कम हो सकता है, जिसे स्ट्रेस स्पिलओवर के रूप में जाना जाता है।
नेफ कहती हैं, “जैसा कि अपेक्षित था, लोग आम तौर पर अपनी मौजूदा समस्याओं के लिए महामारी को दोष दे रहे थे, बजाये अपने साथी के।” आपके बता दें कि यह प्रवृत्ति फायदेमंद है। “जो लोग महामारी को दोध दे रहे थे, वे तनाव के हानिकारक प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील थे।”
प्रतिभागियों ने अपनी समस्याओं के लिए महामारी को किस हद तक दोषी ठहराया, इसका आकलन करते हुए एक प्रश्नावली पूरी की। इसके बाद एक 14-दिवसीय दैनिक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें उनके दैनिक जीवन के तनाव, रिश्ते की संतुष्टि और उनके साथी के प्रति उनके द्वारा प्रदर्शित नकारात्मक व्यवहार की रिपोर्ट पर ध्यान केंद्रित किया गया।
महामारी को दोष देने से रिश्ते पर तनाव के हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है, यह उन्हें खत्म नहीं करता है। यदि जोड़ों को उनके रिश्ते पर पड़ने वाले तनाव के प्रभाव के बारे में पता है, लेकिन तनावपूर्ण परिस्थितियां उनकी मुकाबला करने की क्षमता से अधिक हैं, तो रिश्ते को नुकसान हो सकता है। फिर भी, शोध इस बात को पहचानने के महत्व को दर्शाता है कि तनाव भागीदारों को उनके रिश्ते को समझने और एक दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीके को सही कर सकता है।
नेफ कहती हैं – “जब जोड़े जानते हैं कि तनाव उनके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है, तो उन्हें अपनी समस्याओं के लिए एक-दूसरे को दोष नहीं देना चाहिये। “ऐसा करने से भागीदारों को एक-दूसरे का अधिक प्रभावी ढंग से समर्थन करने में मदद मिल सकती है।”
ऐसा करने से वे समस्याओं से जल्दी निकल आयेंगे!
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