उत्तर भारतीय रसोई का राजा है सरसों का तेल, यहां जानिए इसके कारण

दुनिया भर के तेल बाज़ार में आने के बावजूद उत्तर भारतीय रसोई में अब भी सरसों के तेल का ही राज़ है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इसकी वजह।
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सरसों का तेल विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन ई, कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

आजकल हर कोई अपने कुकिंग ऑयल को दूसरों की देखा – देखी बदलने में लगा है। कभी राइस ब्रैन, तो कभी सोयाबीन। बाज़ार में भी कई अलग – अलग तरह के ऑयल आपको देखने को मिल जाएंगे। ये सभी हेल्दी होने का दावा करते हैं, साथ ही कई बीमारियों से बचाने की भी बात करते हैं। यकीनन इन सब के अपने – अपने गुण दोष और फायदे होंगे। मगर यह नए जमाने के तेल हमारे पुराने सरसों के तेल का मुकाबला नहीं कर सकते हैं।

सरसों के तेल की बात ही निराली है, ये न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। औषधीय गुणों से भरपूर सरसों का तेल आपके परिवार की सेहत की हर ज़रूरत को पूरा करने में सक्षम है।

पूरी – पराठे हों या चावल यह हर तरह की डिश को बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं यह व्यंजनों में स्वाद भी जोड़ता है। इसलिए हमारा सुझाव यही है कि यदि आप हाल ही में ट्रेंड की वजह से किसी अन्य तेल का इस्तेमाल करने लगी हैं, तो अपने सरसों के तेल पर वापस आ जाइए क्यों इससे बेहतर आपके और आपके परिवार के लिए कुछ नहीं है।

जानिए क्यों एक बार फिर से आपको अपना लेना चाहिए सरसों का तेल

हार्ट हेल्थ का ख्याल रखे

यदि आपके घर परिवार में एजिंग पेरेंट्स हैं, तो उनकी हार्ट हेल्थ को बनाए रखने के लिए सरसों का तेल वाकई में फायदेमंद है। सरसों का तेल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड में उच्च होता है। एक प्रकार की असंतृप्त वसा जो नट्स, बीज और प्लांट बेस्ड फूड में पाया जाता है। अमेरिका के कृषि विभाग का दावा है कि मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। कई, अध्ययनों से पता चलता है कि वे ट्राइग्लिसराइड, रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं – ये सभी हृदय रोग के जोखिम कारक हैं।

किसी भी तरह के दर्द से राहत दिलाए

सरसों का तेल अल्फा-लिनोलेनिक एसिड में भी समृद्ध है। एक प्रकार का ओमेगा -3 फैटी एसिड जो सूजन को कम करने और रूमेटोइड अर्थराइटिस जैसी स्थितियों के कारण दर्द से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है।

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जोड़ों में लगाएँ सरसों का तेल। चित्र : शटरस्टॉक

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सरसों का तेल अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) में भी समृद्ध है। एक प्रकार का ओमेगा -3 फैटी एसिड जो सूजन को कम करने और रूमेटोइड गठिया जैसी स्थितियों के कारण दर्द से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। यदि आपकी मां को गठिया है, तो उनके लिए सरसों का तेल सबसे सही है। वे इसे गरम करके अपने पैरों पर लगा सकती हैं, जिससे दर्द बंद हो जाएगा।

इम्युनिटी बढ़ाए

सरसों के तेल की संरचना हमारे शरीर की आवश्यकता पर आधारित होती है। इसमें काफी मात्रा में लिनोलिक (18:2) और लिनोलेनिक एसिड (18:3) भी होते हैं। ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड और विटामिन E आवश्यक पोषक मूल्य प्रदान करती है और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं।

ठंड लगने से बचाए

प्राचीन काल से, सरसों के तेल का उपयोग सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन रोगों और एलर्जी को शांत करने के लिए किया जाता है। यदि आपके बच्चों को कभी भी बुखार आए, तो उनकी छाती पर गरम सरसों के तेल की मालिश करें। शुद्ध सरसों के तेल का उपयोग अक्सर सर्दी के लक्षणों जैसे खांसी और बंद नाक के प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है।

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जुकाम से बचाए सरसों का तेल। चित्र:शटरस्टॉक

त्वचा के लिए है फायदेमंद

सरसों का तेल विटामिन ई से भरपूर होता है, जो त्वचा के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। इसलिए, जब इसे त्वचा पर लगाया जाता है, तो यह फ़ाइन लाइंस और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है। परंपरागत रूप से, भारत में, बच्चों को अक्सर सरसों के तेल से मालिश की जाती है। आप पैच टेस्ट करने के बाद इसका इस्तेमाल अपनी त्वचा पर कर सकती हैं।

रेड ब्लड सेल्स को मजबूती दे

सरसों का तेल हमारे शरीर द्वारा प्लाज्मा, सेल लिपिड और सेल स्किन के रूप में विविध जैविक कार्यों को करने के लिए वसा का एक प्रमुख स्रोत है। सरसों का तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की झिल्ली संरचना में सुधार करता है।

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लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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