क्‍या खाना खाने के बाद ग्रीन टी पीने से गैस और ब्‍लोटिंग खत्म हो जाती है? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

ग्रीन टी का चलन इन दिनों तेजी से बढ़ा है और इसके बहुत सारे फायदे भी हैं। पर क्या यह वास्तव में आपकी पाचन संबंधी समस्याओं का समाधान हो सकती है? आइए चेक करते हैं
kya wakayi green tea digestion me help karti hai?
खाली पेट ग्रीन टी को पीने से परहेज़ करना चाहिए। इससे आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी देखने का मिल सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Dr. Manoj Kumar Published: 13 Feb 2023, 12:24 pm IST
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हर नई चीज की तरफ लोग आकर्षित होते हैं। और फिर उसके फायदे जानकर उसकी तरफ दौड़ने लगते हैं। पर यह समझने की जरूरत है कि हर चीज, हर एक पर एक जैसा काम नहीं करती। ग्रीन टी इस समय युवाओं में पसंद किया जाने वाला सबसे ज्यादा प्रचलित पेय है। कई वैज्ञनिक शोधों में इसके लाभों का दावा किया गया है। पर क्या यह वाकई अपच और पैट की गैस (does green tea help in bloating) से बचाने में आपके लिए मददगार साबित हो सकती है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

ग्रीन टी से पाचन में सुधार होता है और इसमें मौजूद कैटेचिन तथा कैफीन तत्‍वों की वजह से ब्‍लोटिंग में कमी आती है। ग्रीन टी का सेवन सवेरे या दोपहर के शुरुआती समय में करना चाहिए, और इसे बिना चीनी के साथ ब्रू करते ही लेना चाहिए। इस बात की भी संभावना है कि समय के साथ फ्लेवर्स में बदलाव हो। इसलिए आपको अपनी पसंद का पता लगाने के लिए हमेशा प्रयोग करते रहना चाहिए।

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कुछ लोगों को ग्रीन टी पीने से फायदा होता है। चित्र : शटरस्टॉक

कैफीन का सेवन भी अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है और यह सेंसटिविटी पर भी असर डालता है। इसलिए यदि आपको ग्रीन टी पीने के बाद घबराहट महसूस हो या नींद की समस्‍या हो तो ग्रीन टी का सेवन सीमित करें या बंद कर दें। ग्रीन टी भले ही पाचन में मददगार होती है, लेकिन यह पाचन संबंधी हर गड़बड़ी का हल नहीं है और न ही पाचन संबंधी मेडिकल सलाह का विकल्‍प हो सकता है। इसलिए अपनी समस्‍या के बारे में जल्‍द से जल्‍द मेडिकल सलाह लें।

जानिए कैसे काम करती है ग्रीन टी 

ग्रीन टी में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं और ब्‍लोटिंग घटाते हैं। ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन तथा कैफीन से आंत की कार्य करने की प्रक्रिया तथा उसकी गतिशीलता में सुधार होता है। यह भोज्‍य पदार्थों को पाचन प्रणाली में अधिक कुशलतापूर्वक आगे बढ़ने में मददगार होता है। कुछ लोगों को लगता है कि ग्रीन टी से अपच के लक्षण जैसे कि ब्‍लोटिंग और गैस से राहत मिलती है।

यह भी याद रखना चाहिए कि सभी लोगों को एक जैसे फायदे नहीं मिलते। अपच और ब्‍लोटिंग की समस्‍या के लिए कुछ अन्‍य कारण जैसे कि आपकी खुराक, आपकी तनावग्रस्‍तता तथा अन्‍य कोई चिकित्‍सकीय कारण भी जिम्‍मेदार हो सकता है।

क्या है ग्रीन टी पीने का सही समय और तरीका ? (Right time to drink green tea)

ग्रीन टी पाचन को बढ़ावा देने के साथ-साथ आंत की कार्यप्रणाली में सुधार करती है। यह देखा गया है कि ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन तथा कैफीन से पाचन तंत्र उत्‍प्रेरित होता है, जो भोजन को आगे बढ़ने तथा आंत को अधिक कुशलतापूर्वक काम करने में मदद करता है जिससे ब्‍लोटिंग कम होती है।

इसके सेवन का बेहतरीन समय आमतौर पर सुबह या दोपहर के शुरुआती घंटों के दौरान है। अगर आपने सोने के समय के आसपास इसे पिया तो इसमें मौजूद कैफीन तत्‍व आपकी नींद के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। खाली पेट ग्रीन टी पीने से स्‍वास्‍थ्‍य पर अच्‍छा असर पड़ता है।

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रुटीन में ग्रीन टी शामिल करने से पहले कुछ बातों के बारे में जान लेना जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉक

अपने रुटीन में ग्रीन टी शामिल करने से पहले जान लें कुछ बातें 

  1. हमेशा ताज़ा तैयार की हुई ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए, बोतलबंद या कैन्‍ड वैरायटी में अतिरिक्‍त शूगर या अन्‍य कुछ पदार्थ मिले हो सकते हैं जो इसके स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी फायदों को को कम कर सकते हैं।
  2. ग्रीन टी में शुगर या मिठास के लिए किसी प्रकार के स्‍वीटनर्स न मिलाएं। ऐसा करने से ग्रीन टी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ कम हो सकते हैं।
  3. अपना मनपसंद फ्लेवर प्राप्‍त करने के लिए ग्रीन टी के साथ जबर्दस्‍ती प्रयोग न करें (स्‍टीपिंग) क्‍योंकि इसकी वजह से आपकी ग्रीन टी का स्‍वाद कसैला हो सकता है।
  4. याद रखें कि कैफीन और ग्रीन टी के मामले में हरेक की पसंद और टॉलरेंस स्‍तर अलग-अलग हो सकता है। अगर आप कैफीन को लेकर सेंसिटिव हैं या किसी तरह बैचेनी, घबराहट या नींद में व्‍यवधान महसूस करें, तो ग्रीन टी का सेवन सीमित कर दें या इसे बंद कर दें।

क्या ग्रीन टी पीना अपच से बचने का उपाय है? (does green tea help in bloating)

हर बार भोजन के बाद ग्रीन टी पीने से कुछ लोगों को पाचन में मदद मिलती है और ब्‍लोटिंग भी कम करती है, लेकिन इसकी पुष्टि करने वाले वैज्ञानिक साक्ष्‍य काफी सीमित हैं। कुछ अन्‍य संभावित कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि डाइट, तनाव और अन्‍य कई मेडिकल कंडीशंस की भी इसमें कुछ भूमिका हो सकती है। इसलिए, अच्‍छा यही होगा कि इस बारे में आप अपने हेल्‍थकेयर प्रदाता से सलाह-मशविरा करें।

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