International Women’s Day : टू फिंगर टेस्ट से लेकर जबरन यौन संबंध तक, इन सभी मामलों में आपको है ‘NO’ कहने का अधिकार

अपने अधिकारों के प्रति जागरुक न होने के कारण बहुत सारी महिलाओं को अब भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। जबकि कानून में हर महिला के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार का प्रावधान है।
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कानून में किसी भी स्त्री की सुरक्षा और गरिमा के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 7 Mar 2023, 20:01 pm IST
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बार-बार आंकड़े बताने और मामले दोहराने की जरूरत नहीं है। हम सभी जानते हैं कि भारत में हर घंटे सैंकड़ों महिलाएं बलात्कार की शिकार होती हैं। जबकि लाखों महिलाओं को घरेलू और व्यवसायिक जगहों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। मनोरंजक गीतों से लेकर कानूनी जांच के नाम पर भी स्त्रियों की गरिमा से खिलवाड़ किया जाता है। जबकि कानून में किसी भी स्त्री की सुरक्षा और गरिमा के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान है। इसके बावजदू जागरुकता के अभाव में बहुत सारी महिलाएं अपने अधिकारों का लाभ नहीं ले पातीं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 (International Women’s Day 2023) के अवसर पर जानते हैं उन अधिकारों के बारे में जिसका लाभ कोई भी महिला (Women’s rights), किसी भी स्थिति में ले सकती है।

महिलााओं को कुछ कारणों की वजह से विशेष छूट दी जाती है। महिलाओं को समाज में आगे लाने और उनके प्रति होते अपराधों को रोकने के लिए यह जरूरी भी है। परंतु इन अधिकारो की ज्यादा जानकारी न होने की वजह से वे इनसे वंचित रह जाती हैं। ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की एडवोकेट कमलेश जैन, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया से, उन्होंने महिलाओं के कुछ अधिकारों को लेकर कुछ बाते साझा की।

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किसी भी महिला को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। चित्र- अडोबी स्टॉक

यहां हैं वे विशेष अधिकार जो महिलाओं को दिए गए हैं

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1 मातृत्व लाभ का अधिकार

एडवोकेट कमलेश जैन ने बताया कि मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 कहता है कि प्रत्येक कामकाजी महिला अपने नवजात बच्चे की देखभाल के लिए 26 सप्ताह के लिए अपने काम से पूर्ण भुगतान वाली छुट्टी की हकदार है। यह दो बच्चों के लिए 26 सप्ताह तक उपलब्ध है। दो से अधिक बच्चों के लिए अवकाश केवल 12 सप्ताह तक ही मिल सकता है। यह अवकाश निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत सभी महिलाओं को मिलता है। 2017 में इस अधिनियम में बदलाव कर इस अवधि को बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया था।

2 रात में गिरफ्तारी के खिलाफ अधिकार

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 46 में गिरफ्तारी के तरीके का प्रावधान है, जिसमें ये कहा गया है कि जब तक तत्काल कार्रवाई को न्यायोचित ठहराने वाली असाधारण परिस्थितियाँ न हों, किसी भी महिला को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और जहाँ ऐसी असाधारण परिस्थितियाँ मौजूद हों, वहाँ महिला पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तारी की जानी चाहिए। जो संबंधित प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को एक लिखित रिपोर्ट देगी। और गिरफ्तारी की पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी।

3 गरिमापूर्ण जांच का अधिकार

किसी भी महिला गवाह को जांच के किसी भी उद्देश्य के लिए उसके निवास स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जाएगा। यदि किसी महिला पीड़ित का बयान दर्ज किया जाना है, तो यह एक महिला अधिकारी द्वारा किया जाएगा। यदि किसी पीड़ित महिला का मेडिकल टेस्ट किया जाना है तो यह महिला डॉक्टर द्वारा या किसी अन्य महिला की उपस्थिति में शालीनता का सख्ती से पालन करते हुए किया जाएगा। बलात्कार की पुष्टि करने के लिए टू फिंगर टेस्ट अवैध है। एडवोकेट कमलेश ने बताया कि आज से 20 से 30 साल पहले टू फिंगर टेस्ट के जरिए महिला के साथ रेप हुआ है या नहीं यह तय किया जाता था।

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4 नो यानि नहीं कहने का अधिकार

कमलेश जैन बताती है कि हर महिला को अपने शरीर को लेकर पूरी आजादी है और कोई भी महिला की सहमति के बिना यौन संबंध स्थापित करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। यह रेप की श्रेणी में आएगा। यदि पति भी बिना सहमति के जबरन यौन संबंध बनाने की कोशिश करता है, तो महिला को घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 18 के तहत सुरक्षा आदेश प्राप्त करने का अधिकार है।

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दहेज हत्या, प्रताड़ना, घरेलू हिंसा अथवा असहमतियों की स्थिति में किसी भी महिला को अधिकार है कि वह विवाह तोड़ दे। चित्र : शटरस्टॉक

5 राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990

यह राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा स्थापित किया गया है, जो एक सरकारी निकाय है। इस अधिनियम का उद्देश्य पूरे भारत में महिलाओं को उनके मुद्दों और समस्याओं के बारे में बोलने के लिए आवाज और शक्ति प्रदान करना है। इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के समग्र जीवन में सुधार करना और उन्हें आर्थिक, शारीरिक रूप से स्वतंत्र बनाना है।

6 भारतीय तलाक अधिनियम, 1969

शादियां सिर्फ बिग फैट इंडियन वेडिंग ही नहीं हैं, जैसी यह फिल्मों या धारावाहिकों में नजर आती हैं। बल्कि दहेज हत्या, प्रताड़ना, घरेलू हिंसा अथवा असहमतियों की स्थिति में किसी भी महिला को अधिकार है कि वह विवाह तोड़ दे। इसके लिए भारतीय कानून हर महिला को तलाक लेने का अधिकार देते हैं।

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यह अधिनियम केवल तलाक लेने की प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इसमें कई प्रावधान भी रखे गए हैं जो तलाक के बाद एक महिला को मिलने वाले फायदों से संबंधित हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई और निपटारे के लिए फैमिली न्यायालयों की स्थापना की गई है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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