ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं आयुर्वेद में क्‍या हैं अवसाद के कारण और उपचार

आयुर्वेद दुनिया भर में चिकित्सा की एक भरोसेमंद पद्धति है। ऐसे समय में जब दुनिया के ज्यादातर लोग तनाव और अवसाद का सामना कर रहे हैं, वे जानना चाहते हैं कि आयुर्वेद में क्या है इसका कारण और उपचार।
आयुर्वेद में आपकी रसोई के मसालों को ही औषधि माना गया है। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Updated: 15 Jun 2020, 20:12 pm IST
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कोविड-19, कोरोनावायरस, सोशल डिस्टेंसिंग, आइसोलेशन और मानसिक अवसाद, सब एक-दूसरे से जुड़े मुद्दे हैं। इस महामारी के शुरूआत में ही डब्‍ल्‍यूएचओ ने दुनिया भर के देशों से मानसिक अवसाद (Mental Depression) से निपटने के प्रति सतर्क रहने को कहा था। नोवल कोरोनावायरस (Novel Coronavirus) ऐसी बीमारी है जिसका इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है। जिसके चलते लोगों में असुरक्षा और मानसिक तनाव दोनों का स्तर काफी बढ़ गया है।

क्यों जरूरी है सावधान रहना

फरवरी के दूसरे सप्ताह में ही डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) ने यह चेतावनी दी थी कि कोरोनावायरस महामारी के कारण जिन दो समस्याओं का दुनिया भर को लंबे समय तक सामना करना पड़ेगा वह है मानसिक अवसाद (Mental Depression) और मोटापा (Obesity)। लॉकडाउन, आइ‍सोलेशन और आर्थिक मंदी के कारण अवसाद दुनिया भर के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।

समाज को जोड़ने वाला सिमेंटिक फैक्टर स्पर्श और संवाद, दोनों पर ही इस वायरस ने हमला किया है।

आयुर्वेद में क्या है तनाव

इस समय लोग अपनी प्राचीन पद्धतियों पर दवाओं से ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। ऐसे में वे जानना चाहते हैं कि आयुर्वेद में तनाव और अवसाद को कैसे परिभाषित किया गया है।

आयुर्वेद के मुताबिक मस्तिष्क को तीन उप दोष चलाते हैं। वात का उप दोष है प्राण वात। यह दिमाग की संवेदी धारणाओं और मन को चलाता है। कफ का उप दोष है तरपाक कफ। तरपाक कफ मस्तिष्कमेरू द्रव्य को नियंत्रित करता है। पित्त का उप दोष है साधक पित्त। यह भावनाओं और उसके दिल पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित करता है।

तीन तत्व करते हैं सोच को नियंत्रित

आयुर्वेद के अनुसार हेल्दी ब्रेन की अवस्था को सत्व अवस्था कहा जाता है। जबकि रजस और तमस अवस्था को अस्वस्थ दिमाग की अवस्थाएं माना गया है। जब ब्रेन में इन दो तत्वों की अधिकता हो जाती है तब तीनों उप दोष भी असंतुलित हो जाते हैं। साधक पित्त जलन का प्रभाव पैदा करता है और प्राण वात ड्रायनेस को बढ़ाता है। इनसे दिमाग की रक्षा के लिए तरपाक कफ अधिक मात्रा में मस्तिष्कमेरू द्रव्य बनाता है।

जैसे शरीर को सफाई की जरूरत होती है, आयुर्वेद में मस्तिष्‍क को भी निगेटिव चीजों से दूर रखने की सलाह दी गई है। चित्र: शटरस्‍टॉक

पर जब रजस और तमस इतना अधिक हो जाता है कि तरपाक कफ उन्हें नियंत्रित नहीं कर पाता तो वह पहले की तुलना में ज्यादा चिपचिपा हो जाता है। जिससे पाचन तंत्र में भी गड़बड़ी आने लगती है। जिससे शरीर में विषैले पदार्थों का बनना शुरू हो जाता है। ये विषैले तत्व ब्रेन की वाहिकाओं में शामिल हो जाते हैं, जिससे कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन का स्राव बढ़ जाता है। इसके बाद बेचैनी और तनाव बढ़ने लगता है।

आयुर्वेद के अनुसार तनाव और अवसाद का उपचार

आयुर्वेद में किसी भी मर्ज को सिर्फ मस्तिष्क से जोड़कर नहीं देखा जाता, न ही सिर्फ शरीर से। बल्कि इसमें तन, मन और प्राण तीनों के ही स्तर पर काम किया जाता है। आयुर्वेद में तनाव और अवसाद के उपचार को भी हर्बल जड़ी-बूटियों, योग एवं ध्यान और कुछ खास आहार के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

अवसाद को रोकने वाली जड़ी-बूटियां

पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में अश्वगंधा की जड़, शंखपुष्पी, धात्री रसायन, शकपुषादि, ब्राह्मी, जटामानसी, प्रवल पिष्टी और आंवला का इस्तेमाल होता है। ये सभी वात दोष का असंतुलन दूर कर तनाव को कम करते हैं।

आयुर्वेद में अश्‍वगंधा की जड़ को तनाव की बेहतरीन औषधि बताया गया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

इस पर हुए अब तक के शोध भी यह साबित करते हैं कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां तनाव कम करती हैं, सतर्कता बढ़ाती हैं और मानसिक तनाव को बढ़ने से रोकती हैं। आयुर्वेद में इन्हें मेधा जड़ी बूटियां कहा जाता है। जो कमजोर दिमाग को पर्याप्त पोषण देती हैं।

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डाइट प्लान

आयुर्वेद में आहार योजना पर खास ध्यान दिया जाता है। जब भी आप बीमार हों शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से खुद को डाउन फील करें, तो आयुर्वेद के अनुसार आपको मांसाहार से परहेज करना चाहिए। इन्हें आयुर्वेद में तामसिक आहार माना गया है। इसके साथ ही शराब, सिगरेट और कॉफी आदि भी तनाव को बढ़ाने वाले आहार माने जाते हैं।

कॉफी और कैफीन युक्त पेय, कार्बोनेटेड ड्रिंक और शराब तनाव, असहजता, बेचैनी और अनिद्रा को बढ़ा देते हैं।

एनिमल बेस्ड हाई प्रोटीन डाइट भी दिमाग में डोपामाइन और नॉरपिनफ्राइन का स्तर बढ़ा देती है। इनके स्थान पर अपने आहार में ताजी हरे पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। ताजे फलों का रस भी आपके दिमाग को शांत करने में मददगार हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार ताजी और हरी सब्जियां आपको तनाव से बचा सकती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

मैदा और चीनी वाले उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड, पैकेट बंद या बचे हुए आहार के सेवन से बचें। इनके स्थान पर ताजा पका खाना, मोटे-साबुत अनाज, नट्स, मौसमी फल खांए। ये दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर सिरोटोनिन के स्तर को संतुलित करता है। जिससे आप कूल और खुशी महसूस करते हैं।

योग एवं ध्यान

अगर आप किसी भी तरह के तनाव या अवसाद में हैं तो खुद को एक्टिव रखें। इसके लिए नियमित योगाभ्यास एक बेहतर विकल्प है। साथ ही आप मेडिटेशन भी कर सकती हैं। यह आपको तनाव मुक्त होने और खुद को महसूस करने का मौका देता है। पर इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने आसपास, अपने घर और खुद की सफाई रखें। कई बार ये छोटे-छोटे कारण भी तनाव के स्तर को बढ़ा देते हैं।

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लेखक के बारे में

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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