कभी-कभी आप लोगों से बातचीत करना बहुत कम कर देती हैं। आप सामने वाले की बात तो सुन रही होती हैं, लेकिन ध्यान नहीं दे पाती हैं। इसके लिए लोग आप पर दोष भी मढ़ते हैं। आप दूसरों से बातचीत तो करना कम कर देती हैं, लेकिन अपने-आप से बात करती जाती हैं। आप किसी विषय को लेकर उसके निगेटिव और पॉजिटिव पॉइंट्स पर लगातार सोचती रहती हैं। दरअसल, ये आपकी ओवरथिंकिंग की आदत है, जिसके कारण आप स्ट्रेस में रहने लगती हैं। ओवरथिंकिंग की आदत को स्टॉप (How to stop overthinking) करने से पहले जानें ये क्या है?
ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ सायकियेट्री के अनुसार, ओवरथिंकिंग एक विचार प्रक्रिया है जहां आप पिछली घटनाओं, सबसे खराब स्थिति या भविष्य के परिणामों पर विचार करती रहती हैं। ओवरथिंकिंग की आदत व्यक्ति के मिलनसार होने के बावजूद उसे अपने-आप तक रहने के लिए मजबूर कर देता है। किसी भी बात पर व्यक्ति लगातार सोचता रहता है। इसके पीछे असुरक्षा की भावना भी हो सकती है। किसी बातचीत या विचार पर मन में लगातार विचार करते रहना या उस पर अत्यधिक सोचना ओवरथिंकिंग का उदाहरण हो सकता है। इसके लिए स्वयं के अलावा दूसरे लोग भी कारण हो सकते हैं।
जर्नल ऑफ़ मेंटल हेल्थ के अनुसार, किसी विचार या निर्णय पर विचार करना बिल्कुल सामान्य बात है। जब तक यह जरूरत से अधिक नहीं होता है, यह मददगार होता है। दूसरी ओर, किसी विषय पर बहुत अधिक चिंता करना (Worrying) कभी-भी मददगार नहीं होता है। अत्यधिक चिंता अवसाद की तरफ आपको ले जा सकती है। इसके कारण बुरे परिणामों पर आप लगातार सोचती रहती हैं, लेकिन आगे नहीं बढ़ती हैं। ज्यादा होने पर चिंता करना और अत्यधिक सोचना दोनों मेंटल हेल्थ के लिए नुकसाननदेह है। इसलिए ओवरथिंकिंग को खत्म करना जरूरी है।
जर्नल ऑफ़ मेंटल हेल्थ के अनुसार, जब भी आप अधिक सोचती हैं, चिंता करती हैं या गुस्सा करती हैं, तो यह उपाय सबसे अधिक कारगर है। अपनी आंखें बंद कर लें। धीरे-धीरे सांस अंदर-बाहर करें। गहरी सांस ब्रेन में अधिक ऑक्सीजन पहुंचाती है, जिससे पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (parasympathetic nervous system) सक्रिय हो जाता है। यह आराम करने और पचाने में मदद करता है।
यह आपके सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (sympathetic nervous system) के विपरीत है, जो आपकी लड़ो या प्रतिक्रिया करो को ट्रिगर करता है। पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम दिमाग को शांत करता है और साफ़ करता है।
ध्यान भटकाने से भूलने में मदद मिलती है। परेशान करने वाली बातों-विचारों से व्यक्ति दूर हो जाता है। इससे व्यक्ति रिचार्ज भी हो जाताहै। फ़िल्में देखना, भोजन पकाना, एक्सरसाइज करना, किताब पढ़ना या रुचि के किसी अन्य काम को करना। शुरुआत में यह कठिन लग सकता है। अपने आप को एक समय सीमा जरूर देनी चाहिए। जैसे कि पढने के लिए आधे घंटे का समय देना। इस दौरान ओवरथिंकिंग बिलकुल नहीं हो पाएगी।
आपका अपने प्रति जागरूक होना जरूरी है। छोटी-मोटी घटनाओं को भूलना ही बेहतर है। याद रखें कि लोगों को भी आपकी छोटी गलतियां याद नहीं रहेंगी, बल्कि आपने क्या हासिल किया या कैसा प्रदर्शन रहा, ये याद रहेगा।स्वयं को बेहतर ढंग से समझने और खुद में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आत्म-जागरूक होना जरूरी है।
पिछले जीवन के कटु अनुभवों पर ओवरथिंक करने की बजाय आगे बढ़ें। सकारात्मक विचारों का पोषण करें कि कि गलतियां सभी से होती हैं। असफलता के लिए सभी को तैयार होना पड़ता है। थोड़ा डरना हेल्दी है, लेकिन डर पर जीत हासिल कर लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना सबसे अधिक जरूरी (How to stop overthinking) है।
यदि आप किसी पत्रिका या अखबार में लिखती हैं, तो अपने दृष्टिकोण और विचार को प्रकट करने का यह एक शानदार तरीका (How to stop overthinking) है। यह ओवरथिंकिंग के लक्षणों को भी कम करता है। यदि यह अवसर नहीं मिल रहा है, तो अपने सोशल साइट के पेज, ब्लॉग पर लिखने से भी ओवरथिंकिंग में कमी आ सकती है।
यह भी पढ़ें :- Tips to stay Calm : गुस्से में आउट ऑफ कंट्रोल होने से बेहतर है इन 6 टिप्स के साथ खुद को शांत रखें
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करें