100% मार्क्‍स, बहुत अच्‍छी नौकरी, खूब सारा पैसा और अच्‍छा रिश्‍ता.... क्‍या असल में यही है सुख की असल परिभाषा? अगर हां तो इसके बावजूद क्‍यों रह जाता है मन में एक तरह का खालीपन?