आजकल के आधुनिक परिवेश में व्यस्तता और खराब होती दिनचर्या के कारण कई तरह की शारीरिक समस्याओं और बीमारियों ने हमें घेर लिया है। छोटी से लेकर तमाम तरह की बड़ी बीमारियों ने हमें इस कदर घेर लिया है, जिससे बाहर निकलने के लिए केवल स्वस्थ जीवनशैली और अच्छा खानपान ही हमारी मदद कर सकता है।
इन्हीं समस्याओं में पीठ का दर्द भी एक ऐसी समस्या है, तो व्यक्ति को काफी परेशान कर सकता है और साथ ही यह दर्द तमाम अन्य बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। पीठ में होने वाला दर्द आमतौर पर दो भागों में विभाजित किया जाता है, जिसमें पीठ के ऊपरी और निचले हिस्सों में दर्द की समस्या दोनों ही व्यक्ति को काफी परेशान कर सकती है।
वहीं, पीठ के निचले हिस्से में होने वाला दर्द तमाम बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। जून 2023 में लंदन की संस्था द लैंसेट रूमेटोलॉजी की प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पीठ के निचले हिस्से में दर्द के कुल 87.5 मिलियन मामले देखने को मिले हैं।
लोअर बैक पेन के मामले पर और गहन जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थशॉट्स ने बेंगलुरु स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के कंसल्टेंट स्पाइन सर्जन डॉ.एस विद्याधर से बात की। डॉ.विद्याधर ने बताया कि आजकल खराब दिनचर्या और बैड पोस्चर्स के कारण लोअर बैक पेन की समस्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
डॉ. विद्याधर बताते हैं कि युवाओं का एक बड़ा प्रतिशत ऐसी सेटिंग में काम करता है जिसके लिए लंबे समय तक बैठने की आवश्यकता होती है। लंबे समय तक बैठे रहना और शारीरिक गतिविधि की कमी से शरीर अकड़ जाता है और दर्द होने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती है । इसलिए, आमतौर पर ज्यादा उम्र में दिखाई देने वाली ये समस्या अब तुलनात्मक रूप से बहुत कम उम्र में पड़ने लगी हैं।
ऐसा कई जगह देखा जाता है कि जिन लोगों को दर्द की समस्या होती है, वे कोई साधारण उपाय अपना लेते हैं और उन्हें कुछ दिन के लिए आराम मिल जाता है और इसके उपचार को वे नज़रअंदाज़ कर देते है । वहीं, इस मामले पर डॉ.विद्याधर बताते है कि यदि दर्द को नजरअंदाज किया जाता है या लंबे समय तक इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो रीढ़ की हड्डी या रीढ़ की हड्डी में प्रत्येक डिस्क स्तर पर नसे सिकुड़ सकती है, जिस के कारण गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
डॉ.विद्याधर ने बताया कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द का मुख्य कारण रीढ़ की हड्डी के अंदर और उसके आसपास के कोमल ऊतकों में कुछ मोच और खिंचाव के कारण होता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द कई अलग-अलग कारणों से भी हो सकता है, और इसका उपचार, इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है।
मांसपेशियों में खिचाव या किसी तरह कि मोंच पीठ के निचले हिस्से के दर्द का मुख्य कारण हो सकता है। इसे पर्याप्त आराम, दवा और तमाम अन्य उपचार करके ठीक किया जा सकता है।
गलत बैठने या अच्छे पोस्चर की कमी के कारण पीठ का दर्द हो सकता है। सही पोस्चर का पालन करने और अच्छे पोस्चर के बारे में सजग रहने से इसे रोका जा सकता है।
कई बार पीठ के निचले हिस्से में दर्द का कारण डिस्क प्रोलैप्स, स्पाइनल स्टेनोसिस, या स्पाइनल इनफेक्शन जैसी स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी समस्याएं भी होती है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
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कस्टमाइज़ करेंआमतौर पर, जिस व्यक्ति को लोअर बैक पेन की समस्या है, उसे क्या करना चाहिए। इस सवाल पर जवाब देते हुए डॉ.विद्याधर कहते है कि पीठ के निचले हिस्से का दर्द तीन सप्ताह में अपने आप (स्वाभाविक रूप से) ठीक हो जाता है। इस उपचार अवधि के दौरान व्यापक आराम आवश्यक नहीं है। प्रभावित व्यक्ति दर्द सीमा के भीतर अपनी नियमित गतिविधियां जारी रख सकते हैं।
लेकिन यदि दर्द छह सप्ताह में कम नहीं होता है, तो स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ से परामर्श करने और उनके स्वास्थ्य देखभाल जैसे एक्स-रे या एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षणों से गुजरने की सलाह दी जाती है। परीक्षण दर्द उत्पन्न होने के कारण की पहचान करने और रीढ़ में निर्देशित इंजेक्शन द्वारा दर्द का समाधान करने में मदद करते हैं।
डॉ. विद्याधर सलाह देते हैं कि यदि आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द है, तो सबसे पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वह आपकी जांच करेंगे, आपके दर्द के कारण की पहचान करेंगे, और उपचार के लिए सुझाव देंगे। डॉक्टर के दिए गए सलाह और उपचार का पालन करना आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है ताकि आपकी स्वास्थ्य समस्या सही तरीके से ठीक हो सके।
ऐसा कई जगह देखा जाता है कि जिन लोगों को दर्द की समस्या होती है, वे कोई साधारण उपाय अपना लेते हैं और उन्हें कुछ दिन के लिए आराम मिल जाता है और इसके उपचार को वे नज़रअंदाज़ कर देते है ।
वहीं, इस मामले पर डॉ.विद्याधर बताते है कि यदि दर्द को नजरअंदाज किया जाता है या लंबे समय तक इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो रीढ़ की हड्डी या रीढ़ की हड्डी में प्रत्येक डिस्क स्तर पर नसे सिकुड़ सकती है, जिस के कारण गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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